6 JUNE EVENING NEWS

                         6 JUNE  

                 EVENING NEWS


Environment Day: पाकिस्तान से लगी सरहद पर 'ग्रीन-वॉल' तैयार करेगी BSF, रेगिस्तान में आएगी हरियाली

पर्यावरण दिवस के मौके पर बीएसएफ ने पौधरोपण किया.

पर्यावरण दिवस के मौके पर बीएसएफ ने पौधरोपण किया.

World Environment Day 2021: देश की सीमा की रखवाली करने वाले BSF के जवान राजस्थान में 'सरहद पर हरियाली की दीवार' बनाने के अनोखे मुहिम में जुट गए हैं. पर्यावरण दिवस के मौके पर बाड़मेर में पाकिस्तान से लगी सीमा पर 4 लाख पौधे लगाने का किया ऐलान.




बाड़मेर. राजस्थान के रेतीले बाड़मेर में पाकिस्तान से लगती सरहद पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने विश्व पर्यावरण दिवस पर एक अनोखी शुरुआत की है. इस बार मानसून सक्रिय होते ही बीएसएफ बॉर्डर एरिया में सघन पौधरोपण करवाएगी. इसको लेकर बीएसएफ सेक्टर मुख्यालय पर ही नर्सरी से पौधे तैयार किए जा रहे हैं. इस नर्सरी में हजारों औषधीय और देशज पौधे तैयार किए गए हैं. पौधों को विकसित करने के लिए उन्होंने अपने स्तर ही नर्सरी तैयार की है. इसमें अब तक 4 लाख पौधे विकसित करने के साथ ही सीड्स बॉल भी तैयार की है, जो बॉर्डर क्षेत्र के गांवों में पौधे विकसित करने में उपयोग में ली जाएगी.

रेतीला इलाका और पानी की कमी के कारण यहां पौधरोपण के साथ इन्हें इजराइल की प्रसिद्ध मटका पद्धति और बूंद-बूंद प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है. बीएसएफ की पूरी पौधशाला ऑर्गेनिक तरीके से तैयार की गई है. गोबर खाद और नियमित पेड़ों से गिरने वाले पत्तों की वर्मी कंपोस्ट तैयार की गई है. इसी से 4 लाख पौधे तैयार किए गए हैं. बीएसएफ सेक्टर मुख्यालय डीआईजी विनीत कुमार के मुताबिक बॉर्डर की तारबंदी से 22 मीटर पहले दो लेयर में पाकिस्तान से लगती 270 किलोमीटर तक सघन पौधरोपण किया जाएगा.

डीआईजी विनीत कुमार ने बताया कि मानसून आने के बाद यह अभियान शुरू किया जाएगा. इसके लिए पौधे तैयार कर लिए हैं. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण व बॉर्डर क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बाड़मेर के रेतीले दरिया में सरहद के जांबाज हरियाली की इस दीवार को नीम, शरेष, गूगल, कनेर, मीठे नीम पौधे के साथ साथ एलोवेरा, गूगल, नींबू, सदाबहार, नागफनी, तुलसी, मेहंदी, धतुरा, कैर, इमली, अमरूद जैसे पौधों से हरी-भरी करते नजर आएंगे.

इतना ही नहीं, तारबंदी के पास पौधरोपण के अलावा गांवों में लोगों को प्रत्येक घर के चार फलदार पौधे बांटने की भी योजना है. बीएसएफ ने इसको लेकर वन विभाग से 20000 फलदार पौधों की डिमांड की गई है. इसमें से 5000 पौधे जल्द ही मिल जाएंगे. इन पौधों को बॉर्डर के गांवों में ग्रामीणों को घरों में दिए जाएंगे. सरहद पर दुश्मनों की नापाक नजर से देश को बचाने में तैनात बीएसएफ अब अपने इस नवाचार से कुदरत की हिफाजत में ऐतिहासक कदम धरा पर रखकर एक नया आयाम स्थापित करती नजर आएगी.

राजस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को मिलेगी फ्री कोचिंग

इस योजना का लाभ हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को मिलेगा.

इस योजना का लाभ हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को मिलेगा.

इसमें परीक्षार्थियों की मेधा का निर्धारण 12वीं अथवा 10वीं के प्राप्तांकों के आधार पर किया जाएगा. विभाग जिलावार लक्ष्य निर्धारित कर विद्यार्थियों की मेधा के अनुरूप चयनित संस्थानों के माध्यम से कोचिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे.










    जयपुर. राजस्थान सरकार ने विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ‘मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना’ लागू करने की स्वीकृति दी है. इस योजना का लाभ हर वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को मिलेगा. वित्त विभाग ने योजना के लिए परिपत्र के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं.

    एक सरकारी प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि राज्य के मेधावी विद्यार्थी आर्थिक तंगहाली के कारण अपने सुनहरे भविष्य से वंचित नहीं रहे --इस सोच के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना को मंजूरी दी है.

    जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा अल्पसंख्यक मामलात विभाग के माध्यम से संचालित की जाने वाली इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वे विद्यार्थी पात्र होंगे, जिनके परिवार की वार्षिक आय आठ लाख रूपए प्रतिवर्ष से कम है. साथ ही, ऐसे विद्यार्थी जिनके माता-पिता राज्य सरकार के कार्मिक के रूप में पे-मेट्रिक्स लेवल-11 तक का वेतन प्राप्त कर रहे हैं, वे भी योजना के लिए पात्र होंगे.

    परिपत्र के अनुसार, किसी भी छात्र-छात्रा को इस योजना का लाभ केवल एक वर्ष की अवधि के लिए देय होगा. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा, राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा, सब-इंस्पेक्टर एवं 3600 ग्रेड पे या पे-मैट्रिक्स लेवल-10 से ऊपर की अन्य परीक्षा, रीट, राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित ग्रेड पे-2400 या पे-मेट्रिक्स लेवल-5 से ऊपर की परीक्षा, कान्स्टेबल परीक्षा, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षा तथा क्लैट परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को योजना का लाभ मिल सकेगा.
    इसमें परीक्षार्थियों की मेधा का निर्धारण 12वीं अथवा 10वीं के प्राप्तांकों के आधार पर किया जाएगा. विभाग जिलावार लक्ष्य निर्धारित कर विद्यार्थियों की मेधा के अनुरूप चयनित संस्थानों के माध्यम से कोचिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे. छात्र-छात्राओं के चयन के समय यह प्रयास किया जाएगा कि लाभार्थियों में कम से कम 50 प्रतिशत छात्राएं हों.

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    ग्रेटर नगर निगम विवाद- स्वायत्त शासन विभाग ने कई BJP पार्षदों को थमाया नोटिस

    उधर आयुक्त के साथ हुए दुर्व्यवहार का हवाला देते हुए सफाईकर्मियों ने शनिवार को हड़ताल की.

    उधर आयुक्त के साथ हुए दुर्व्यवहार का हवाला देते हुए सफाईकर्मियों ने शनिवार को हड़ताल की.

    जानकारी ये भी है कि बीजेपी संगठन ने भी ग्रेटर निगम (Greater Corporation) के कुछ पार्षदों के साथ इस विवाद के बाद चर्चा की है.




    जयपुर. जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) में आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव (Yagyamitra Singh Deo) की ओर से बीजेपी पार्षदों पर मारपीट के आरोप लगाने और उनकी शिकायत करने के बाद राज्य सरकार भी हरकत में आ गई है. स्वायत्त शासन विभाग के द्वारा इस मसले पर कई पार्षदों को नोटिस जारी किया गया है. और रविवार दोपहर तक जवाब पेश करने के लिए कहा गया है. वहीं, कुछ पार्षदों के घर के बाहर भी नोटिस चस्पा करने की जानकारी मिल रही है. विभाग की उप निदेशक की ओर से ये नोटिस (Notice) जारी किये गए हैं. विभाग के निदेशक ने जल्द से जल्द इस मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

    संगठन ने लिया फीडबैक

    वहीं, जानकारी ये भी है कि बीजेपी संगठन ने भी ग्रेटर निगम के कुछ पार्षदों के साथ इस विवाद के बाद चर्चा की है. हालांकि, पार्षद इस मसले पर मौन साधे हुए हैं. पार्षदों के मोबाइल स्वीच ऑफ हैं. वहीं,  जिन पार्षदों के खिलाफ आयुक्त ने मुकदमा दर्ज करवाया है, उन्होंने अपने मोबाइल भी स्वीच ऑफ कर लिए हैं. बताया जा रहा है कि ये पार्षद पार्टी संगठन से लेकर मेयर और वकीलो से सलाह मशविरा करने में जुटे हैं.

    सफाईकर्मियों ने की हड़ताल
    उधर आयुक्त के साथ हुए दुर्व्यवहार का हवाला देते हुए सफाईकर्मियों ने शनिवार को हड़ताल की. ग्रेटर  और हेरिटेज निगम में सफाई कार्य ठप्प रहा. ग्रेटर निगम में सफाईकर्मियों की बैठक में खुद आयुक्त यज्ञमित्र सिंह पहुंचे और हड़ताल समाप्त करने की गुजारिश की. वहीं, हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने भी सफाईकर्मियों की यूनियन के नेताओं से बात कर हड़ताल समाप्त करने का अनुरोध किया. देर शाम संयुक्त वाल्मिकी एवं सफाई श्रमिक संघ अध्यक्ष नन्दकिशोर डंडोरिया ने 3 दिन के लिए हड़ताल स्थगित कंरने का ऐलान किया और कहा कि मुख्य सचेतक महेश जोशी और विधायक रफीक खान ने दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

    राजस्थान: मिलिए RU के ट्री मेन बिरजू से, 6 सालों में लगा दिए पांच हजार से ज्यादा पौधे

    बिरजू कई सालों से पेड़ लगा रहे हैं.

    बिरजू कई सालों से पेड़ लगा रहे हैं.

    Jaipur News: राजस्थान यूनिवर्सिटी (Rajasthan University) में अपनी सेवा दे  रहे बिरजू तंवर पिछले कई सालों से कैंपस में पेड़ पौधे लगा रहे हैं.




    जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी (Rajasthan University) में महज पांच हजार रुपए प्रतिमाह के वेतन में काम कर रहे एक संविदा कर्मी बिरजू तंवर पर ऐसा जुनून सवार हुआ कि उसने कैम्पस में पैड़ पौधों की कतारें लगा दी हैं. अपने निर्धारित कामकाज के अलावा विश्वविद्यालय के खेल मैदान से सटे लगभग 50 बीघा क्षेत्र को पहले तो हर दिन 3 घंटे की नियमित मेहनत कर उन्हेंने साफ किया. इसके बाद जब भी वर्षा ऋतु  होती तो वे उसमें कई किस्म के पौधे लगाने का काम शुरू कर दिया करते. साल 2015 से अब तक वे करीब पांच हजार से ज्यादा पौधे इन मैदानों में लगा चुके हैं.  इतने  पौधों में से  2714  पौधे सर्वाइव कर गए और  वृक्ष के रूप में आरयू की हरियाली बढ़ा रहे हैं.

    दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय में साल  2015 में कुलपति के रूप में जयपुर के तत्कालीन संभागीय आयुक्त   हनुमान सिंह  भाटी को विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार मिला.  भाटी को हरियाली विशेष रूप से वर्षा के समय पौधे लगाने का एक विशेष ही लगाव था. उस समय राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ ही उनके पास  जोबनेर के कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति का भी अतिरिक्त कार्यभार था.  इसी दौरान वर्षा ऋतु में कुलपति  भाटी के निर्देशों से जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों द्वारा विशेष किस्म के आम, शहतूत, आंवला, जामुन, अशोक, नीम, शीशम सहित अनेक औषधियों के हजारों पौधे निशुल्क रूप से उपलब्ध कराए गए. इन्हें कैसे लगाना है वह इनकी कैसे उचित देखरेख की जा सकती है  यह प्रशिक्षण भी उस समय उनके द्वारा दिया गया.

    अपनी मेहनत से कैंपस में लगाए पौधे

    संविदा कर्मी बिरजू तवर ने यह प्रशिक्षण प्राप्त किया और  प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे से 8:30 बजे तक स्वयं हाथ में फावड़ा लेकर पौधों को पानी देने के साथ ही समय पर खाद, कीटनाशकों का छिड़काव किया. इसके चलते उनकी मेहनत आज हरियाली बनकर लहलहाई हैं. यह संविदा कर्मी कुछ अन्य कर्मचारियों बनवारी, गगन नेगी और  डॉ. राजेश पुनिया जैसे शिक्षकों के साथ अब भी कड़ी मेहनत के साथ जुटे हुए है. इनकी की मेहनत का परिणाम है कि आज उस समय लगाए गए पौधों में से 2714 पौधों ने वृक्ष का रूप ले लिया है.

    राजस्थान में 7 जून से स्कूल खोलने से शिक्षक नाराज, 30 जून तक ग्रीष्मावकाश रखने की मांग

    राज्य शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को 7 जून से स्कूलों में उपस्थित रहने का फरमान सुनाया है (फाइल फोटो)

    राज्य शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों को 7 जून से स्कूलों में उपस्थित रहने का फरमान सुनाया है (फाइल फोटो)

    राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ द्वारा सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा में मनोवैज्ञानिक और भूगोलवेत्ताओं द्वारा राजस्थान की जलवायु मौसम के मद्देनजर रख कर स्कूलों में ग्रीष्मावकाश 17 मई से 30 जून प्रति वर्ष निर्धारित किया गया था. लेकिन ग्रीष्मावकाश की परिभाषा ही बदल कर रख दी गई है

    जयपुर. कोरोना काल में राजस्थान (Rajasthan) में स्कूलों में नए सत्र (New Academic Session) की शुरूआत सात जून से होने जा रही है. लेकिन शिक्षक इसका विरोध करते हुए ग्रीष्मावकाश (Summer Vacation) बढ़ाने की मांग पर अड़े हैं. हाल ही में नए सत्र को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जो निर्देश सामने आए है उसके मुताबिक नया शिक्षा सत्र सात जून से शुरू होने वाला है. जबकि आठ जून से पचास प्रतिशत स्टाफ स्कूलों में उपस्थिति देगा. वहीं, बाहर के शिक्षकों के लिए दस जून की तारीख तय की दी गई है. लेकिन शिक्षक संघ अरस्तु यानि अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्कूलों के लिए निर्धारित किये ग्रीष्मावकाश को अमनोवैज्ञानिक बताया है.

    सीएम अशोक गहलोत को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा में मनोवैज्ञानिक और  भूगोलवेत्ताओं द्वारा राजस्थान की जलवायु मौसम के मद्देनजर रख कर स्कूलों में ग्रीष्मावकाश 17 मई से 30 जून प्रति वर्ष निर्धारित किया गया था. लेकिन ग्रीष्मावकाश की परिभाषा ही बदल कर रख दी गई है. शिक्षा विभाग द्वारा मनमाने ढंग से ग्रीष्मावकाश शुरू कर देते हैं, जो पूर्णतया राजस्थान की जलवायु व भौगोलिक स्थिति से विपरीत निर्णय है. भौगौलिक कारणों की वजह से माउंट आबू में ग्रीष्मावकाश के स्थान पर दीर्घकालिक शीतकालीन अवकाश घोषित किया जाता है. अवकाश मनमाने तरीके से निर्धारित नहीं किया जा सकता.

    अरस्तु की ओर से कहा गया है कि उच्च शिक्षा कॉलेज/विश्वविद्यालय में 30 जून तक ग्रीष्मावकाश होता है. ऐसे में स्कूलों में छह जून तक ही ग्रीष्मावकाश क्यों निर्धारित किया गया है. शिक्षक संगठनों का कहना है कि प्रदेश कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में है. उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग का यह फरमान कि शिक्षक सात जून से स्कूल में उपस्थित होकर नामांकन वृद्धि के लिए घर-घर जाएंगे, यह शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों के जीवन के साथ सरासर खिलवाड़ करने जैसा है. इसलिए ऐसे कार्यक्रमों को तत्काल रोका जाना चाहिए.

    अरस्तु ने कहा कि ग्रीष्मावकाश को तोड़-मरोड़ कर सुविधानुसार नहीं करें, इससे लाखो नौनिहाल भी सुरक्षित रहेंगे और साथ में चार लाख शिक्षक भी. आदेशों के मुताबिक शिक्षकों को सात जून से स्कूल में बुलाया गया है जबकि, स्टूडेंट्स एक जुलाई से स्कूल आएंगे. इसे देखते हुए शिक्षक सवाल पूछ रहे हैं कि छात्रों के बगैर स्कूलों में उनकी उपयोगिता क्या है?

    मेधावियों को CM गहलोत की सौगात: आर्थिक कमजोर छात्रों के लिए अनुप्रति कोचिंग योजना शुरू, जानिए किसे मिलेगा फायदा 

    पैसे के अभाव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से वंचित नहीं होंगी प्रतिभाएं, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना की हुई शुरुआत.

    पैसे के अभाव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से वंचित नहीं होंगी प्रतिभाएं, मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना की हुई शुरुआत.

    प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को सीएम अशोक गहलोत ने बड़ी सौगात दी है. अब इन विद्यार्थियों को पैसे के अभाव में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से वंचित नहीं होना पड़ेगा. गहलोत सरकार ने मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना की शुरुआत की है.


    जयपुर. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को सीएम अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot) ने बड़ी सौगात दी है. अब इन विद्यार्थियों को पैसे के अभाव में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से वंचित नहीं होना पड़ेगा. गहलोत सरकार ने मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना ( Anupriti Coaching Scheme ) की शुरुआत की है, जिसके तहत मेधावी विद्यार्थी प्रोफेशनल कोर्सेज के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर पाएंगे. वित्त विभाग ने योजना के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. योजना का संचालन जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और अल्पसंख्यक मामलात विभाग द्वारा किया जाएगा. योजना के तहत एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के वे विद्यार्थी पात्र होंगे, जिनके परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम है. इसके अलावा ऐसे विद्यार्थी जिनके माता-पिता सरकारी कर्मचारी हैं, लेकिन पे मेट्रिक्स लेवल 11 तक का वेतन प्राप्त कर रहे हैं. वे भी योजना के पात्र होंगे.

    एक साल के लिए मिलेगा लाभ

    अधिकतम एक साल के लिए पात्र विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिल पाएगा. परीक्षार्थियों की मेरिट का निर्धारण 12वीं अथवा 10वीं के प्राप्तांकों के आधार पर किया जाएगा. साथ ही छात्र-छात्राओं के चयन के समय यह प्रयास किया जाएगा कि लाभार्थियों में कम से कम 50 प्रतिशत छात्राएं हों. यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा, आरपीएससी द्वारा आयोजित आरएएस और अधीनस्थ सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा, सब इंस्पेक्टर,  3600 ग्रेड पे या पे-मैट्रिक्स लेवल-10 से ऊपर की अन्य परीक्षाएं, रीट, राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित ग्रेड पे 2400 या पेमेट्रिक्स लेवल 5 से ऊपर की परीक्षा, कॉन्स्टेबल परीक्षा, इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षा और क्लैट परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा.

    पुरानी योजनाएं होंगी बंद
    अभी जनजाति विकास विभाग द्वारा चिकित्सा एवं तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग योजना संचालित की जा रही है, जबकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और अल्पसंख्यक मामलात विभाग द्वारा अनुप्रति योजना संचालित है. अब इन योजनाओं की जगह मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना ही संचालित होगी. पुरानी योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं स्टूडेण्ट्स को मिलेगा जिनकी कोचिंग या तो शुरु हो चुकी है या फिर इसके लिए कार्यादेश दिए जा चुके हैं. मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना के तहत अपना घर छोड़कर दूसरे शहर के प्रतिष्ठित संस्थान से कोचिंग करने वाले स्टूडेण्ट्स को भोजन और आवास के लिए 40 हजार रुपए की अतिरिक्त राशि उपलब्ध करवाई जाएगी. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग इसका नोडल विभाग होगा.

    खुशखबरी! राजस्थान में होगी 8000 से अधिक पुलिस कांस्टेबल की भर्ती, 10वीं पास के लिए मौका

    वर्ष 2021-22 में पुलिस कांस्टेबल के 4438 और 2022-23 में कांस्टेबल के 4000 रिक्त पदों पर भर्तियां की जाएंगी.

    Rajasthan Police Recruitment: राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पदों पर बंपर भर्तियां होने वाली हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस कांस्टेबल के 8000 से अधिक पदों को भरने की मंजूरी दे दी है.









        नई दिल्ली. राजस्थान पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है. राजस्थान सरकार अगले दो साल में पुलिस कांस्टेबल के 8438 पदों पर भर्तियां करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गृह विभाग के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. इसके तहत वर्ष 2021-22 और 2022-23 में पुलिस कांस्टेबल की बंपर भर्तियां की जाएंगी. यह प्रस्ताव बजट 2021-22 के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की की गई घोषणा के तहत तैयार किया गया है.


        राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल बनने के लिए ये होनी चाहिए फिजिकल फिटनेस

        पुरुष अभ्यर्थियों के लिए (सामान्य क्षेत्र)
        लंबाई- 168 सेंटीमीटर,
        चेस्ट- 81 सेंटीमीटर, फुलाने के बाद 86 सेंटीमीटर

        महिला अभ्यर्थी- लंबाई- 152 सेंटीमीटर
        वजन- 47.5 किग्रा

        बारा जिले के सहारिया आदिवासियों के लिए

        पुरुष अभ्यर्थी- लंबाई- 160 सेंटीमीटर, चेस्ट- 74 सेंटीमीटर, फुलाने के बाद 79 सेंटीमीटर
        महिला अभ्यर्थी- लंबाई- 145 सेंटीमीटर
        वजन- 43 किलोग्राम

        चयन प्रक्रिया
        पुलिस कांस्टेबल पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा, फिजिकल स्टैंडर्ड टेस्ट, फिजिकल एफिसिएंसी टेस्ट, मेडिकल टेस्ट, डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन और फाइनल मेरिट लिस्ट की प्रक्रिया से गुजरना होगा. लिखित परीक्षा में 150 ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं. परीक्षा दो घंटे की होगी. इसमें निगेटिव मार्किंग भी होगी. गलत जवाब देने पर .25 अंक काट लिए जाएंगे.

        Vaccine Wastage: 'खत' ने बढ़ाया सियासी पारा, महेश जोशी बोले- अंडर प्रेशर काम कर रहे राज्यपाल

        राजस्थान में वैक्सीन को लेकर सियासत. (प्रतीकात्मक तस्वीर-  news18 English Reuters)

        राजस्थान में वैक्सीन को लेकर सियासत. (प्रतीकात्मक तस्वीर- news18 English Reuters)

        Jaipur News: राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी के मामले की जांच के लिए सीएम अशोक गहलोत को एक खत लिखा है. इसे लेकर मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी (Dr. Mahesh Joshi) ने आब बड़ा बयान दिया है.


        जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में वैक्सीन के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. एक ओर जहां कांग्रेस फ्री यूनिवर्सल वैक्सीन की मांग पर केन्द्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर भाजपा वैक्सीन बर्बादी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है. अब इस लड़ाई में राज्यपाल की भी एंट्री हो गई है. राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी के मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. राज्यपाल द्वारा लिखे गए इस पत्र को लेकर मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी (Dr. Mahesh Joshi) ने बड़ा बयान दिया है. जोशी ने कहा है कि राज्यपाल भले आदमी हैं लेकिन वो अंडर प्रेशर काम कर रहे हैं. जोशी ने कहा कि केन्द्र सरकार का राज्यों पर दबाव बनाने का अपना एजेंडा है जिसके तहत राज्यपाल को मजबूर होकर जांच की बात करनी पड़ी. आपको बता दें कि कल ही कांग्रेस ने फ्री-वैक्सीनेशन की मांग को लेकर राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा था और कल ही राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी की जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा.

        हम डरे-घबराएं नहीं हैं

        मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने कहा कि हम जांच से डरे या घबराए हुए नहीं है. जांच में साफ हो जाएगा कि राजस्थान में अनुमत सीमा से कम वैक्सीन बर्बाद हुई. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को लोकतांत्रिक भावना से काम करना चाहिए. जोशी ने यह भी कहा कि राज्यपाल को फ्री-वैक्सीन की मांग केन्द्र सरकार के समक्ष उठानी चाहिए थी जो उन्होंने नहीं उठाई. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर भी राज्यपाल का ऐसा ही रुख सामने आया था.

        गौरतलब है कि पिछले साल सियासी संकट के बाद राज्य सरकार ने राज्यपाल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुशंसा भेजी थी. लेकिन राज्यपाल ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए विशेष सत्र बुलाने का कारण पूछ लिया था. साथ ही विधायकों को सत्र बुलाने से पूर्व 21 दिन का नोटिस दिए जाने पेंच फंसा दिया था. आखिर नोटिस अवधि पूरी होने के बाद ही विधानसभा सत्र आहूत किया गया था जिसमें गहलोत सरकार ने अपना विश्वास प्रस्ताव पारित करवाया था.

        OPINION: नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई के कारण टीके पर केंद्र को घेरने के बजाए अपने घमासान में उलझी कांग्रेस

        कांग्रेस पार्टी में आपसी खींचातानी से गर्माई राजस्थान की सियासत.

        कांग्रेस पार्टी में आपसी खींचातानी से गर्माई राजस्थान की सियासत.

        Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई सिर्फ गोविंद सिंह डोटासरा और शांति धारीवाल तक सीमित नहीं है. गहलोत मंत्रिमंडल में नंबर-दो की रस्साकशी धारीवाल और एक अन्य मंत्री बीडी कल्ला के बीच भी है.











          प्रदेश में कांग्रेस की कलह फैलती ही जा रही है. पहले यह गहलोत वर्सेज पायलट गुट के बीच सत्ता प्राप्ति के लिए था. पर अब टकराव में गहलोत गुट के अंदर ही गुटबाजी की नई परतें उघड़ने लगी हैं. पार्टी संगठन और सत्ता में वर्चस्व की लड़ाई चरम पर जा पहुंची है. प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षामंत्री गोविंद डोटासरा और यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल के बीच घमासान तीसरे दिन भी जारी रहा. हालात यह हैं कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार कोई मंत्री अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ इस कदर बगावती तेवर में हैं.

          नेताओं में विवाद केंद्र से मुफ्त टीका लेने के नाम पर शुरू हुआ. दिलचस्प तथ्य यह है कि टीके पर केंद्र को घेरने के बजाए कांग्रेस पार्टी अपनों के बीच ही उलझ कर रह गई. मुफ्त टीकाकरण अभियान की पुरजोर वकालत करने के बजाए कांग्रेस के घर में बर्तन बजने लगे. और इस पर तुरुप का इक्का राज्यपाल ने चल दिया. कांग्रेस पार्टी ने मुफ्त टीके की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. राज्यपाल ने राज्य में टीके की बर्बादी को लेकर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख जांच के निर्देश दे दिए. उन्होंने कहा कि उचित कार्रवाई कर सरकार उन्हें बताए कि टीके की बर्बादी क्यों हो रही है? इस तरह कांग्रेस पार्टी की बॉल उन्हीं के पाले में आ गिरी.

          डोटासरा का मंत्रिमंडल में कद छोटा, संगठन में बड़ा

          दरअसल, ऊपरी तौर पर भले ही विवाद की जड़ में कोरोना वैक्सीनेशन दिख रहा हो, लेकिन अंदरखाने यह पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई ही है. डोटासरा वर्सेज धारीवाल पहली बार नहीं हुआ है. इनके बीच टिकट वितरण पर तकरार पहले भी हो चुकी है. धारीवाल कांग्रेस सरकार में वरिष्ठतम कैबिनेट मंत्री है, जबकि डोटासरा राज्य मंत्री हैं. लेकिन गहलोत-पायलट विवाद के बीच सचिन को हटाने के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. राज्यमंत्री के नाते भले ही वे धारीवाल से कद में छोटे हों, लेकिन संगठन के नाते प्रदेश में सर्वेसर्वा हैं. एआईसीसी के निर्देशों के अनुपालन में वर्चस्व की लड़ाई आड़े आ रही है.
          एआईसीसी के निर्देश के बाद भी नहीं रुके धारीवाल

          यह तय है कि प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी में डोटासरा के कद में इजाफा हुआ है. यही कुछ नेताओं को हजम नहीं हो रहा. वैक्सीनेशन पर एआईसीसी का सर्कुलर लाकर एक बार लगा था कि डोटासरा ने पहली बाजी जीत ली है. लेकिन धारीवाल ने न सिर्फ कैबिनेट बैठक में उन्हें "बहुत देखे हैं ऐसे अध्यक्ष" कहकर चिढ़ाया, वरन् पार्टी के निर्देश और प्रभारी होने के बावजूद वे जयपुर में नहीं रुके. वरिष्ठतम मंत्री की जगह पार्षद और निवर्तमान महासचिव को ज्ञापन देना पड़ा. यह सब पार्टी आलाकमान द्वारा धारीवाल और डोटासरा के बीच तूफानी टकराव की रिपोर्ट मांगने के बाद हुआ.

          मंत्रिमंडल में नंबर दो कौन? धारीवाल-कल्ला के बीच दौड़

          पर्यावरण दिवस विशेष: जैसलमेर के वो इलाके जहां पेड़ काटना तो दूर, टहनी उठाना भी है पाप!

          जैसेलमेर के ओरण.

          जैसेलमेर के ओरण.

          World Environment Day 2021: कोरोना काल में उत्पन्न हुई ऑक्सीजन की कमी ने आम जनता को पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताया है, लेकिन थार मरुस्थल के बीच बसे सरहदी जिले जैसलमेर में पर्यावरण संरक्षण लोक जीवन का अभिन्न हिस्सा है.


              रिपोर्ट - श्रीकांत व्यास

              जैसलमेर. कोरोना काल में उत्पन्न हुई ऑक्सीजन की कमी ने आम जनता को पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताया है, लेकिन थार मरुस्थल के बीच बसे सरहदी जिले जैसलमेर में पर्यावरण संरक्षण लोक जीवन का अभिन्न हिस्सा है. हजारों वर्षों से यहां के महत्वपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों जैसे कुछ घास मैदानों, घने कंटीले वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रों, बरसाती नदियों के कैचमेंट, यहां के विशेष खड़ीन खेतों के आसपास, मन्दिरों और वीर झुंझारों के देवस्थानों के चारों तरफ की जमीन को ओरण के नाम से सुरक्षित छोड़ने की परम्परा रही है. परंपरा व मान्यताओं के अनुसार यहां पेड़ों को काटना तो दूर टहनी तक उठाना पाप माना जाता है.

              दरअसल 'ओरण' शब्द संस्कृत भाषा के अरण्य शब्द का अपभ्रंश है, जिसे वैदिक काल में ऋग्वेद के दसवें मण्डल के अरण्यनी सूक्त में अरण्यनी नामक देवी से सम्बंधित देखा गया था. जहां वह बिना हल चलाये भी मानव व पशु कल्याण के लिये सालभर फलों व चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करती थीं. प्राचीन वैदिक काल की यह परम्परा समय गुजरने के साथ पूरे भारत में विभिन्न वैदिक, पौराणिक, लोक देवी-देवताओं व संतों के नाम पर जंगलों को सुरक्षित छोड़े जाने की परम्परा में बदल गई थी, देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन्हें रुन्ध, देवबनी, देवराय आदि नामों से जाना जाता रहा है.

              देशी फल खाकर जिंदा थे ओरणवासी
              इस प्रकार से सुरक्षित यह ओरण सदियों से अपने आसपास के गांवों को मौसमी बेर, कैर, सांगरी, कुम्भट जैसे देसी फलों, शहद, गोंद, पत्तियों, छाल, जड़ी-बूटियों, चारा, घास इत्यादि की उपलब्धता को सुनिश्चित करने का काम करते रहे हैं. इन ओरणों के होने के कारण यहाँ पर प्राचीन समय में लोग, कई-कई वर्षों तक पड़ने वाले अकालों में भी पेड़ों की छाल और जंगली घासों के बीज खाकर जिंदा रहते थे.

              ...तो झेलना पड़ता है प्रकोप

              लोकजीवन में प्रचलित मान्यताओं में इन ओरणों में पेड़ काटने और खेती करने पर प्रतिबंध रहा है, इस बात पर विश्वास नहीं करने पर माना जाता है कि ओरण से सम्बंधित देवी-देवताओं का प्रकोप किसी प्रकार की अनहोनी लाता है. जिसको शांत करने के लिये देवस्थानों पर चांदी के पेड़ चढ़ाने का प्रचलन भी रहा है. अधिकांश ओरणों के देवस्थानों से जुड़े होने के कारण, रियासतकाल में इनमें वन्यजीवों का शिकार भी प्रतिबंधित था, इस कारण आज भी कुछ ओरणों में गोडावण, चिंकारा और प्रवासी पक्षियों की आवाजाही बनी रहती है. जैसलमेर जिले की अधिकांश बरसाती जल धाराएं व नदियां, किसी न किसी ओरण से ही निकल कर रस्ते के विभिन्न गांवों के भू-जलस्तर, तालाबों और खडीनों में वर्षाजल को नियंत्रित करती हैं. इन ओरणो में मौजूद प्राचीन पेड़ आंधियों व बरसातों में भी मिट्टी के अपरदन को रोकने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं.

              100 से ज्यादा उड़न पेड़ काटने और खेती पर प्रतिबंध

              पिछले कुछ महीनों से इंटैक नई दिल्ली, जोधपुर व जैसलमेर अध्यायों द्वारा जैसलमेर में सामुदायिक पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी संस्था ERDS फॉउंडेशन संस्था के साथ मिलकर जैसलमेर के प्राचीन ओरणों का सर्वे व पहचान का कार्य जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमी पार्थ जगाणी व अमिताभ बालोच द्वारा करवाया जा रहा है. पहले चरण में 35 और उन चयनित किए गए हैं जो कि 500 वर्षों से अधिक पुराने हैं. कहीं पर 700 से 800 वर्ष पुराने विशाल वृक्ष भी मौजूद है. जानकारों की माने तो 100 से अधिक वन क्षेत्र में थे और इन सभी में पेड़ काटने और खेती करने पर प्रतिबंध था.

              इको पर्यटन के रूप में हो सकता है विकसित

              पर्यावरण से जुड़े लोग मानते हैं कि जैसलमेर के प्राचीन ओरण महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण धरोहर हैं, जिन्हें उनके सुझाव पर सर्वे कर भावी पीढ़ियों के लिये सुरक्षित रखना और इन्हें नेचर हेरिटेज के रूप में मान्यता दिलवाकर ईको पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करना महत्वपूर्ण है. इंटेक जैसलमेर संयोजक ठाकुर विक्रम सिंह नाचना बताते हैं कि संस्था द्वारा जैसलमेर में ओरणों के सर्वे के प्रथम फेज का कार्य सम्पन्न हो चुका है, इनमें से कुछ ओरण राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं, जिस पर सम्बन्धित विभागों से चर्चा की जायेगी.

              यह सभी है जैसलमेर प्राचीन और विशेष ओरण, सैकड़ों साल पुराने

              भादरियाराय ओरण, देगराय औरण, आशापुरा ओरण देवीकोट,श्रीपाबूजी ओरण, मालणबाई ओरण, कालेडूंगरराय ओरण, पन्नोधराय ओरण, आईनाथजी ओरण, हड़बूजी ओरण, नागणेची ओरण, नागाणाराय ओरण, जियादेसर ओरण, सोहड़ाजी ओरण, डूंगरपुरजी औरण, बिकनसी जी ओरण, भोपों की ओरण, पाबूजी ओरण करियाप मुख्य है. इनके अलावा जिले के हर क्षेत्र में ओरण मौजूद है. सोनू गांव में स्थित योद्धा बिकनसी जी भाटी के 13वी सदी के ओरण में स्थित मन्दिर में उनके पालतू कुत्ते व घोड़े के पूजनीय स्मारक मौजूद है, मोकला गांव में स्थित योद्धा डुंगरपीर जी का ओरण, जैसलमेर की स्थापना के कुछ समय बाद से मौजूद है और जानरा गांव में स्थित मालण बाई जी का ओरण जैसलमेर की स्थापना से भी पुराना है.

              पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई सिर्फ डोटासरा-धारीवाल तक सीमित नहीं है. गहलोत मंत्रिमंडल में नंबर दो की रस्साकशी धारीवाल और ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री बीडी कल्ला के बीच भी है. धारीवाल 13 और कल्ला 12 समितियों के अध्यक्ष या सदस्य हैं. दोनों में विभागीय कामकाज के अलावा गहलोत के बाद कौन पावरफुल है, इसे लेकर भी खींचतान है. पार्टी में चर्चा है कि विभागीय कामकाज को लेकर दोनों में कुछ अनबन चल रही है. मामला दोनों विभागों में इंजीनियरों की प्रतिनियुक्ति का बताया जाता है.

              दूसरी ओर, गहलोत गुट के अंदर पनप रही इस गुटबाजी पर सचिन पायलट गुट पैनी नजर रखे हुए है. क्योंकि हेमाराम चौधरी के इस्तीफे का विवाद भी अभी सुलझा नहीं है. बस हेमाराम और हरीश चौधरी का संयुक्त दौरा कराकर पार्टी ने पायलट गुट को मीठी गोली दे दी है. यह कितनी कारगर होगी, वह इसी माह में पता चल जाएगा.

              जोधपुर: कोरोना केस कम हुए, लेकिन बढ़ा ब्लैक फंगस का दायरा, अब तक 12 की मौत

              सांकेतिक फोटो.

              सांकेतिक फोटो.

              Rajasthan Black Fungus: राजस्थान के जोधपुर शहर में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं, लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी से चिंता.


              जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर शहर (Jodhpur City) में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं. अस्पतालों के कोरोना वार्ड में बेड खाली होते जा रहे हैं, लेकिन ब्लैक फंगस ने स्वास्थ्य महकमे की चिंता बढ़ा दी है. ब्लैक फंगस से एक दर्जन मरीज़ों की मौत तो सिर्फ एमडीएम अस्पताल में हुई है. एमडीएम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 63 मरीज इलाज करवा रहे हैं, जिनमें 57 मरीजों की सर्जरी कर ब्लैक फंगस पार्ट को हटाया गया है. लेकिन ब्लैक फंगस के कारण एक दर्जन मरीज काल में गाल में समा गए हैं.

              जोधपुर शहर में कोरोना संक्रमण की पॉजिटिव दर तो लगातार कम हो रही है, लेकिन कोरोना से मौत का सिलसिला कम नहीं हो रहा है. जोधपुर शहर में कल 5 मरीजों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हो गई. ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों की देरी के चलते मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इस बीच कोरोना वार्ड के सामान्य मरीज को स्वस्थ होकर घर लौट रहे हैं, लेकिन आईसीयू व क्रिटिकल आईसीयू में बेड अभी भी फुल हैं. ऐसे में कोरोना को लेकर चिंता अब भी बनी हुई है.

              कोरोना संक्रमण मरीज़ो का कम हो गया दबाव

              जोधपुर शहर में 15 दिन पहले जहा अस्पतालों में नो बेड की स्थिति थी, लेकिन अब जोधपुर के सभी अस्पतालों में कोरोना के मरीज घटते जा रहे हैं. मरीजो का भार कम होने से अस्पताल की राहत की सांस लेने लगे हैं. एमडीएम अस्पताल 45 मरीज कोरोना संक्रमण के भर्ती हैं. एमजीएच अस्पताल में 27 मरीज कोरोना संक्रमण के भर्ती हैं. जोधपुर एम्स में 127 मरीज कोरोना संक्रमण के चलते भर्ती हैं.

              Rajasthan: सरकार का बड़ा फैसला, 7 लाख किसानों को मिलेगा ब्याजमुक्त फसल ऋण

              किसानों को लेकर राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला.

              किसानों को लेकर राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला.

              Jaipur News: बड़ा फैसला लेते हुए गहलोत सरकार ने  साढ़े 7 लाख से ज्यादा किसानों को ब्याजमुक्त फसल ऋण (Interest Free Crop Loan) देने का फैसल लिया है.


              जयपुर. कर्जमाफी के बाद फसली ऋण से वंचित अवधिपार ऋणी किसानों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब इन किसानों को भी ब्याजमुक्त फसली ऋण  (Interest Free Crop Loan)  मिल पाएगा. राज्य सरकार के इस फैसले से साढ़े 7 लाख से ज्यादा किसानों को लाभ मिलेगा. सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने यह जानकारी देते हुए बताया कि साल 2018 और 2019 में हुई ऋणमाफी में ऐसे किसान जिन पर 5 हजार रुपए से ज्यादा राशि का अवधिपार फसली ऋण बकाया था और जिन पर वर्तमान में कोई ऋण बकाया नहीं था उन्हें अभी फसली ऋण नहीं दिया जा रहा था. फसली ऋण नहीं मिलने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. अब राज्य सरकार द्वारा इन किसानों को खरीफ 2021 फसली चक्र से अल्पकालीन साख सुविधा से जोड़ते हुए फसली ऋण उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है.

              25 हजार तक का मिलेगा ऋण

              सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना के मुताबिक ऐसे किसान को अब 25 हजार रुपए या उसकी साख सीमा में से जो भी कम हो उतनी राशि का ऋण मिल पाएगा. जिला केन्द्री सहकारी बैंकों के माध्यम से फसली ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा. सहकारिता मंत्री ने कहा कि बैंकों की तरलता के आधार पर आगामी फसली चक्रों में ऋण की राशि में बढ़ोतरी की जाएगी. गौरतलब है कि ऐसे किसानों को फसल ऋण के दायरे में लाने के लिए अतिरिक्त रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. आंजना ने कहा कि सभी किसानों को ब्याजमुक्त ऋण की सुविधा देना राज्य सरकार की प्राथमिकता है. अब तक 5 हजार रुपए से कम बकाया ऋण वाले किसानों को ही फसली ऋण दिया जा रहा था. अब सरकार के फैसले से सभी किसान सहकारी फसली ऋण के दायरे में आ गए हैं.

              इसलिए आ रही थी दिक्कतें
              प्रदेश में दो बार कर्जमाफी की गई. साल 2018 में वसुंधरा शासन में और साल 2019 में गहलोत शासन में कर्जमाफी हुई. कर्जमाफी में ज्यादातर किसानों के सम्पूर्ण कर्ज माफ कर दिए गए. राज्य सरकार ने कर्ज की राशि सहकारी बैंकों को चुकता कर दी. जिन किसानों का ऋण अवधिपार चल रहा था उनकी राशि भी राज्य सरकार द्वारा बैंकों को चुका दी गई और इस तरह किसान कर्ज मुक्त हो गए. लेकिन सहकारी बैंकों ने इन अवधिपार ऋणी किसानों को दोबारा ऋण देना बंद कर दिया. किसान संगठन लगातार इन किसानों को ब्याजमुक्त फसली ऋण मुहैया करवाने की आवाज उठा रहे थे जिसे अब मान लिया गया है.









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