9 JUNE EVENING NEWS IN HINDI

9 JUNE 

EVENING NEWS

IN HINDI 

कोराना काल की हृदय विदारक घटना:रेगिस्तान में दफनाया संक्रमित का शव, हवा से उड़ गई मिट्टी तो सामने आया सच; अंतिम संस्कार के बजाय गड्ढ़ा खोदकर दफना दिया 42 साल के युवक को

बीकानेरएक घंटा पहले
नाल में यहां दफन किया गया शव। - Dainik Bhaskar

नाल में यहां दफन किया गया शव।

कोरोना से मौत होने पर गंगा नदी में शव फेंकने का मामला सामने आने के बाद अब बीकानेर में रेत के धोरों में शव छिपा देने जैसी हृदय विदारक घटना सामने आई है। यहां एक 42 साल के युवक की कोरोना से मौत हुई तो परिजनों ने अंतिम संस्कार करने के बजाय नाल के पास मिट्‌टी के धोरों में शव दफना दिया। मामला 15 दिन बाद तब सामने आया, जब शव के ऊपर से मिट्‌टी उड़ गई। एक राहगीर ने इसकी सूचना गांव की सरपंच काे दी, तो पुलिस ने हत्या का मामला समझते हुए जांच शुरू की।

दरअसल, एक घुमंतु परिवार के राजेंद्र सिंह उर्फ राघवेंद्र (45) को पिछले दिनों कोरोना हो गया। उसे पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 24 मई को उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रशासन ने प्लास्टिक की थैली में लपेटकर शव परिजनों को सौंप दिया। मूल रूप से करौली के रामपुर धावाई के रहने वाले इस परिवार के सदस्यों ने नाल गांव में रेत के धोरों में राघवेंद्र सिंह के शव को दफना दिया। कोरोना से मौत के कारण शव को गांव ले जाने से कतरा रहे इस परिवार ने इसी तरह अंतिम संस्कार करना उचित समझा। दफन करने के लिए जो गड्‌ढा खोदा गया वो ज्यादा गहरा नहीं था। पिछले दिनों चले अंधड़ के कारण मिट्‌टी हटती चली गई और शव बाहर आ गया। एक राहगीर ने यह शव देखा तो नाल गांव की सरपंच तुलसी देवी व उनके परिजनों को सूचना दी। मामला पुलिस थाने पहुंचा कि एक युवक का शव पड़ा है। प्रथम दृष्टया इसे हत्या माना गया। शव को बाहर निकाला तो एक हाथ में कैनूला लगा था और अंगूठे पर टेग भी लगा हुआ था। जिसमें मृतक का नाम और पीबीएम अस्पताल की जानकारी थी। नाल पुलिस ने पीबीएम अस्पताल में छानबीन की तो पता चला कि शव राजेंद्र सिंह का है और 24 मई को ही उसकी मौत हो गई थी।

अस्पताल के रिकॉर्ड के आधार पर राघवेंद्र के परिजनों तक पुलिस पहुंची तो सारा मामला स्पष्ट हुआ। बताया गया कि कोरोना से मौत होने से शव गांव में लेकर नहीं आए। परिजन शायद यह बताना ही नहीं चाह रहे थे कि राजेंद्र की मौत कोरोना से हुई है। बाद में उसका शव निकाल कर पुलिस के सहयोग से नाल में ही अंतिम संस्कार किया गया।

मौके पर पहुंचे अधिकारी।
मौके पर पहुंचे अधिकारी।

लगाई गई थी पट्‌टी

शव के लिए गड्‌ढा खोदने के बाद उसके तीनों तरफ भीलवाड़ा पत्थर के टुकड़े भी लगाए गए ताकि आवारा पशु खोदकर बाहर न निकाले। इसके ऊपर जो मिट्‌टी डाली गई थी, वो उड़ गई। ऐसे में पटि्टयों को संदिग्ध नजर से देखा गया। खोलने पर पता चला कि अंदर किसी युवक का शव दफनाया हुआ है। यहीं से पुलिस की छानबीन शुरू हुई।

सरकार की तरफ से मिलता है सहयोग

राज्य सरकार ने कोरोना से मौत होने पर अंतिम संस्कार का सारा खर्च देने की नीति बनाई हुई है। इसके लिए नगर निगम को बजट भी मिला है। इसके लिए वहां बताना पड़ता है। यहां तक कि श्मसान घाट पर भी ऐसे लोगों से एक रुपए भी नहीं लिया जा रहा है। जो खर्च करने की स्थिति में नहीं है। स्वयंसेवी संगठन ही इसका खर्च उठा लेते हैं। पवनपुरी स्थित श्मशान घाट की व्यवस्था संभाल रहे विनोद जोशी का कहना है कि हम एक रुपया भी नहीं लेते अगर सामने वाले की स्थिति अच्छी नहीं है। इसी तरह पूर्व पार्षद आदर्श शर्मा ने बताया कि आईजीएनपी के पास श्मसान घाट पर ऐसे कोरोना पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार बिना खर्च किया गया है।


4 लोगों की एक्सीडेंट और पांचवें की बीमारी से मौत:श्रीडूंगरगढ़ में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की एक साथ अर्थी उठी तो पूरा कस्बा ही रो पड़ा

बीकानेर4 घंटे पहले
इस तरह एक ही परिवार के पांच सदस्यों का अंतिम संस्कार इस तरह हुआ। - Dainik Bhaskar
इस तरह एक ही परिवार के पांच सदस्यों का अंतिम संस्कार इस तरह हुआ।

श्रीडूंगरगढ़ के आडसर बास के उस गांव में मौत का जैसा तांडव मचाया, वैसा दृश्य पिछले कई सालों में देखने को नहीं मिला। इस घर से एक साथ पांच सदस्यों की अर्थी उठी तो पूरा कस्बा ही रो पड़ा। मंगलवार को हुई दुर्घटना में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि पांचवें ने PBM अस्पताल में अन्य बीमारी से इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पांच शवों को रातभर घर में नहीं रखा गया और देर रात इन सभी का अंतिम संस्कार कर दिया। इस हृदय विदारक घटना के बाद बुधवार सुबह आसपास के बाजार तक बंद रहे।

गायत्री देवी, अतुल और सरिता सैनी की इस हादसे में मौत हो गई।
गायत्री देवी, अतुल और सरिता सैनी की इस हादसे में मौत हो गई।

यह परिवार आडसरबास का है। यहां महावीर प्रसाद माली के बड़े बेटे लालचंद का स्वास्थ्य कुछ दिन से ठीक नहीं था। उन्हें PBM अस्पताल में भर्ती कराया गया। लॉकडाउन खुला तो परिवार के सदस्य PBM अस्पताल में भर्ती लालचंद की कुशलक्षेम पूछने के लिए एक कार से निकल पड़े। रास्ते में एक कैंपर से यह कार आमने-सामने भिड़ गई। इस घटना में खुद लालचंद की पत्नी मैना, भाई हरिप्रसाद की पत्नी गायत्री, हरिप्रसाद का पुत्र अतुल और दूसरे भाई किशोर की पत्नी सविता चपेट में आ गए। इस हादसे में अतुल और गायत्री की मौके पर ही मौत हो गई। मैना देवी ने अस्पताल जाते वक्त रास्ते में दम तोड़ दिया। वहीं सविता देवी ने ट्रॉमा सेंटर में दम तोड़ा। ऐसे में एक ही दिन में चार की मौत हो गई। बताया जाता है कि हादसे के बारे में लालचंद को पता चला तो वो सहन नहीं कर पाया और उसकी भी मौत हो गई।

परिवार में मातम का माहौल बुधवार तक छाया रहा।
परिवार में मातम का माहौल बुधवार तक छाया रहा।

सभी के शव रात को घर पहुंच तो मोहल्ले के साथ पूरे कस्बे में मायूसी छा गई। हर कोई आडसर बास की ओर ही जाता नजर आया। निर्णय लिया गया कि रात भर पांचों शव घर में रखने के बजाय अंतिम संस्कार किया जाये। जब पांचों की अर्थी एक साथ उठी तो परिजनों के साथ पड़ौसी भी अपने आंसू रोक नहीं पाया। बहते आंसुओं के बीच हर कोई गमगीन था। श्मसान घाट पर भी खामोशी छाई हुई थी, सिर्फ सिसकियां ही कई बा चित्कार में बदल जाती। बुधवार सुबह भी इन सिसकियों का सिलसिला थमा नहीं है।

गांव का हर बाशिन्दा शोक जताने इस घर के आगे एकत्र हो गया।
गांव का हर बाशिन्दा शोक जताने इस घर के आगे एकत्र हो गया।

बहुत खतरनाक है यह मार्ग
श्रीडूंगरगढ़ से बीकानेर की ओर आ रहे नेशनल हाईवे-11 काफी खतरनाक है। इस मार्ग पर आए दिन बड़े हादसे होते रहे हैं। कुछ महीने पहले ही इस मार्ग पर एक हादसे में दिल्ली के तीन मित्रों की कार एक ट्रक से टकरा गई, जिसमें तीनों मित्रों की मौत हो गई थी। क्षेत्र में चौड़ी सिंगल रोड होने के कारण वाहन काफी तेज गति से चलते हैं। मंगलवार को लॉकडाउन हटा, इसलिए निजी वाहनों की भीड़ रही।


Post a Comment

Previous Post Next Post