{30-05-2021} SUBAH KI TAAZI KHABARE

                            {30-05-2021}

                              MAIN HEADLINES OF RAJASTHAN

 

भीलवाड़ा के बाद अब ऑक्सीजन वेस्टेज रोकने का 'बीकानेर मॉडल' देश भर में होगा लागू


 

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बीकानेर की जिस 'ऑक्सीजन मित्र योजना' की सराहना की थी, वह अब 'बीकानेर मॉडल' बनकर देशभर में लागू होगा. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को चिठ्ठी लिखकर बीकानेर मॉडल को लागू करने का सुझाव दिया है. इससे देशभर में आक्सीजन वेस्टेज को रोकने में मदद मिलेगी. कोरोनाकाल में 'भीलवाड़ा मॉडल' के बाद यह प्रदेश का दूसरा मॉडल होगा, जो राष्ट्रीय स्तर पर लागू होगा. पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने देश के कुछ कलेक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात की थी. इसमें कोरोनाकाल में कलेक्टरों द्वारा किए जा रहे प्रयासों और नवाचारों पर चर्चा हुई.

इस कांफ्रेंसिंग के दौरान बीकानेर कलेक्टर नमित मेहता की 'ऑक्सीजन मित्र योजना' प्रधानमंत्री को अच्छी लगी. उन्होंने सात मिनट तक मेहता से बातचीत कर योजना को समझा और फिर उनकी पीठ थपथपाई थी. अब केंद्र सरकार ने इसे सभी राज्यों में लागू करने को कहा है.

ऑक्सीजन की किल्लत के बीच ही वेस्टेज

दरअसल, अप्रैल माह में कलेक्टर नमित मेहता ने कोविड अस्पताल का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने देखा कि मरीजों के खाना खाते समय, शौच आदि के लिए वाशरूम जाते समय भी ऑक्सीजन का फ्लो बंद नहीं किया जा रहा. इससे कमो​बेश सभी मरीजों के पास ​लगे ऑक्सीजन सिलेंडर से ऑक्सीजन का वेस्टेज हो रहा है. उस समय प्रदेश में ऑक्सीजन की बहुत किल्लत थी. इसके अभाव में कोविड मरीजों की मौत तक हो रही थी. ऐसे में ऑक्सीजन बचाने की योजना अमल में आई. ऑक्सीजन को बचाने के लिए बना 'बीकानेर मॉडल'

ऑक्सीजन के इस अपव्यय को रोकने के लिए योजना बनाई. इसके तहत पीबीएम अस्पताल में 100 नर्सिंग स्टूडेंट को ऑक्सीजन मित्र नियुक्त किया गया. आठ-आठ घंटे की पारियों में 'ऑक्सीजन मित्रों' को ऑक्सीजन फ्लो की मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. ऑक्सीजन मित्र बेड टू बैड आक्सीजन के फ्लो को मेंटेन करते. इस कांसेप्ट के लागू होने से अस्पताल में ऑक्सीजन की खपत 800 से 600 सिलेंडर पर आ गई.

कोरोना संक्रमण कम करने के लिए भीलवाड़ा मॉडल

पिछले साल भी कोरोना की पहली लहर में प्रदेश के भीलवाड़ा मॉडल को देशभर में प्रशंसा मिली थी. भीलवाड़ा में 20 मार्च 2020 को छह कोरोना रोगी मिले थे. इसके बाद शहर में सख्त लॉकडाउन लगाकर संक्रमण को रोका गया. जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया। जो कोरोना संक्रमित मरीज मिले उनके संपर्क में आए सभी लोगों को चिह्नित कर आइसोलेशन सेंटर में रखा गया. बीस दिन में रोगी ठीक हो गए. इसे भीलवाड़ा मॉडल के नाम से देश के कई हिस्सों में लागू किया गया.

जोधपुर: कोरोना ड्यूटी पर लगे रेजीडेंट डॉक्टर पर छात्रा से यौन शोषण की कोशिश का आरोप



जोधपुर. राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) शहर के डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज में शर्मनाक घटना सामने आई है. कोविड ड्यूटी में लगे एक रेजीडेंट डॉक्टर ने जूनियर छात्रा को नाईट ड्यूटी पर बुलाकर उसके साथ यौन शोषण का प्रयास किया. इस बीच जूनियर छात्रा ने मेडिकल कॉलेज प्रसासन को रेजीडेंट डॉक्टर की शिकायत दर्ज करवाई. छात्रा की शिकायत पर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने रेजीडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया. दरसअल मामला 4 मई का है. उस दिन रात को कोविड विंग में तैनात रेजीडेंट डॉक्टर सुरेंद्र सिंह ने कॉलेज के आंठवे सेमेस्टर की एक छात्रा को कोविड आईसीयू में नाईट ड्यूटी के लिए बुलाया.

छात्रा ने उसी रात को हॉस्टल वार्डन से डॉ सुरेंद्र सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया. छात्रा ने बताया कि आईसीयू में डॉ सुरेंद्र सिंह ने यौन शोषण की कोसिस की. इसके बाद हॉस्टल वार्डन ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को शिकायत दर्ज करवाने की बात कही और छात्रा ने प्राचार्य डॉ. एसएस राठोड़ को रेजीडेंट डॉक्टर सुरेंद्र सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

एक महीने के लिए निलंबन

मेडिकल कॉलेज ने इस मामले को महिला उत्पीड़न कमेटी को सौंपा. महिला उत्पीड़न कमेटी ने शिकायत को देखते हुए रेजीडेंट डॉक्टर सुरेंद्र सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुसंशा कर दी. मामले की गंभीरता को देखते हुए. प्राचार्य डॉ. एसएस राठौड़ ने कमेटी की रिपोर्ट पर मेडिसिन के रेजीडेंट डॉ सुरेंद्र सिंह को एक महीने के लिए निलंबित कर दिया. साथ ही रेजीडेंट सुरेंद्र सिंह के रेजीडेंट की कोर्स की अवधि एक माह के लिए बढ़ा दी.छात्रा ने अन्य छात्राओं को किया प्रेरित

पीड़ित छात्रा ने घटना के बाद हॉस्टल की सभी छात्राओं को ऐसी घटनाओं पर आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. पीड़ित छात्रा ने सोशल साइट्स पर लिखा कि आपकी मर्जी के बिना कोई आपकी उंगली तक को नही छू सकता है. आपके साथ किसी ने कोई हरकत की है. तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाए. छात्रा ने कहा ऐसे लोगों पर सजा मिलनी ही चाहिए.

मां से मारपीट का विरोध करने पर पिता ने बेटी का गला रेता, गंभीर हालत में इलाज जारी


जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) में हैवान पिता की करतूत सामने आई है. आरोपी पिता ने अपनी बेटी पर जानलेवा हमला किया है. गंभीर हालत में बेटी को जोधपुर के एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है. आरोप है कि आरोपी पिता अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता था. लिहाजा मां के साथ मारपीट की घटना देख बेटी ने कानूनी कार्रवाई की सलाह मां को दी. इसके बाद रात को जब बेटी सो रही थी तो पिता ने लोहे के सरिए से जानलेवा हमला कर बेटी को बुरी तरह घायल कर दिया. इस बीच अस्पताल में बेटी की हालत गंभीर बनी हुई है.

मिली जानकारी के मुताबिक शहर के बनाड़ स्थित जाजीवाल गहलोतान गांव में रहने वाले हुकमाराम अपनी पत्नी के साथ लगातार मारपीट करता रहता था. हुकमाराम की पत्नी के साथ मारपीट की घटना को देख हुकमाराम की बेटी ने अपनी मां को पिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की सलाह दी. इस बीच हुकमाराम ने देर रात कमरे में सो रही अपनी ही बेटी पर लोहे के सरिए से जानलेवा हमला कर दिया.

फिर चाकू से रेता गला

बनाड़ थानाधिकारी सीताराम ने बताया कि हुकमाराम अपनी पत्नी नेनीदेवी से रोजाना मारपीट करता था. हुकमाराम की शादीसुदा बेटी सरोज पर देर रात लोहे के सरिए से जानलेवा हमला बोल दिया. इतना ही नही आरोपी ने चाकू से अपनी ही बेटी का गला भी रेत दिया. इस बीच बेटी सरोज को जोधपुर एम्स में भर्ती करवाया, जहा वो जिंदगी और मौत से लड़ रही है. पुलिस ने आरोपी पिता हुकमाराम को गिरफ्तार कर लिया है.

पाकिस्तान छोड़ भारत में बसने वालों को कोरोना वैक्सीन लगेगी या नहीं, पढ़ें हाईकोर्ट ने क्या कहा?


जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर सहित प्रदेश भर में  रहने वाले करीब 25000 पाकिस्तान (Pakistan) विस्थापितों को राशन सामग्री व वैक्सीनेशन के मुद्दे को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ में सुनवाई हुई. मामले में सुनवाई करते हुए बीते शुक्रवार को खंडपीठ ने कहा कि पाक विस्थापितों को राशन उपलब्ध करवाना सरकार का दायित्व है. इनको राज्य सरकार की ओर से राशन सामग्री उपलब्ध करवाई जाए. वहीं केन्द्र सरकार की ओर से जारी एसओपी की अनुपालन में राज्य सरकार 3 जून को विस्तृत रिपोर्ट उच्च न्यायालय के समक्ष पेश करे.

राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने पाकिस्तान विस्थापितों को कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान राशन सामग्री उपलब्ध नहीं होने एवं कोरोना वैक्सीन के लिए व्यवस्था करवाने के लिए न्यायमित्र की ओर से जनहित याचिका में पेश किये एडीशनल सब्मिशन पर सुनवाई की. पूर्व में उच्च न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकार से इस सम्बंध में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी. शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता करण सिंह राजपुरोहित ने तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि जोधपुर में रहने वाले करीब साढे़ सात हजार पाक विस्थापितों के लिए राशन सामग्री के लिए पर्याप्त व्यवस्था है.

कोर्ट में सरकार ने दी ये दलील

उन्होंने बताया कि जोधपुर में जिला प्रशासन व नगर निगम उत्तर और दक्षिण ने कल ही 200 पैकेट राहत सामग्री का वितरण करवाया है. प्रत्येक पाक विस्थापित को मुफ्त राशन और भोजन की जरूरत नहीं क्योंकि कई परिवार आत्मनिर्भर हैं. इसके अलावा भी जिला प्रशासन पूरा प्रयास करेगा. जहां तक पाक विस्थापितों के वैक्सीन लगवाने के मामले में कहा कि केन्द्र सरकार ने 6 मई 2021 को जो एसओपी जारी की है, उसमें पाक विस्थापित जिनको नागरिकता नहीं मिली है उनको को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं दिये हैं और ना ही उसमें इनको शामिल करने के निर्देश दिये हैं. ऐसे में केन्द्र सरकार से निर्देश मांगे जा रहे है और वहा से निर्देश मिलने पर पाक विस्थापितो को वैक्सीन भी लगवाई जायेगी.हाईकोर्ट ने कही ये बात

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की इस दलील को मानने से स्पष्ट इंकार कर दिया कि एसओपी में कुछ शेष रहा है. क्योंकि केन्द्र सरकार की एसओपी में स्पष्ट है कि जिनके पास कोई भी दस्तावेज नहीं हैं उनको भी वैक्सीन लगाई जायेगी तो पाक विस्थापितो के लिए अलग से कोई निर्देश जारी हो.वहीं केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी मुकेश राजपुरोहित व विपुल सिंघवी के साथ सत्येन्द्र सिंह अपर सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग भारत सरकार ने जवाब पेश किया. केन्द्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि एसओपी पहले ही जारी कर दी गई है तो पाक विस्थापितों के लिए अलग से कोई निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है. वही वेक्सीन को लेकर कहा कि केन्द्र सरकार ने 27 मई 2021 तक राजस्थान को वेक्सीन की 1.72 करोड डोज उपलब्ध करवा दी है, जिसमें से 1.67 करोड डोज का उपयोग किया गया है वही 5.20 लाख डोज अभी राज्य सरकार के पास उपलब्ध हैं. वही अतिरिक्त 8 लाख डोज अभी पाइपलाइन में है, जो जल्द ही उपलब्ध करवाई जायेगी.

MLA रामलाल जाट फिर विवादों में, अब महिला तहसीलदार को धमकाया, Video Viral





भीलवाड़ा. कोरोना काल में जी जान से महामारी का मुकाबला करने में जुटी ब्यूरोक्रेसी (Bureaucracy) पर नेताओं का अनावश्यक दवाब लगातार बढ़ता जा रहा है. ताजा मामला भीलवाड़ा जिले में सामने आया है. जहां पर मांडल से कांग्रेस विधायक रामलाल जाट (Congress MLA Ramlal Jat) ने हुड़ला तहसीलदार के साथ फोन पर अभद्र व्यवहार किया और उन्हें धमकाया। अब विधायक के धमकाने के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें विधायक जाट तहसीलदार से अभद्रता कर रहे हैं

वैसे कांग्रेस विधायक रामलाल जाट और विवादों से पुराना नाता रहा है. पारसी देवी आत्महत्या प्रकरण में उन्हें अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. कांग्रेस MLA रामलाल जाट और हुडला तहसीलदार स्‍वाती झा के बीच हुई तकरार का 1 मिनट 48 सेकेंड और 9 मिनट 67 सेकेंड के दो वीडियो वायरल हो रहे हैं. जिसमें विधायक तहसीलदार को खेड़ा गांव में एक नामांतरण के मामले में भला बुरा कह रहे हैं. जबकि तहसीलदार बार-बार यह सफाई दे रही है कि इस मामले में न्‍यायालय से कोई स्‍थगन आदेश नहीं दिया है.

विधायक जाट ने ही इस मामले में उनसे सिफारिश की थी. उन्‍होंने किसी सरपंच से कोई अभद्र व्‍यवहार नहीं किया है, बल्कि आप मुझसे अभद्र व्‍यवहार कर रहे हैं. न्‍यूज18 इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है. हुड़ला तहसीलदार स्‍वाती झा को 21 मई को ही राजस्‍व मण्‍डल ने एपीओ कर दिया था. स्‍वाती झा ने राजस्‍व मण्‍डल के निर्णय के खिलाफ राजस्‍थान हाईकोर्ट से स्‍थगन प्राप्‍त कर पुन: हुड़ला तहसीलदार के पद पर अपनी ड्यूटी ज्‍वाइन कर ली है. इस सम्‍बन्‍ध में राजस्‍थान तहसीलदार सेवा परिषद् ने मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भी सौंपा था.प्रकरण से आहत राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद में आक्रोश व्याप्त हो गया है. इसे लेकर तहसीलदार सेवा परिषद ने विधायक के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर सीएम गहलोत को पत्र लिखकर उन्हें मामले से अवगत कराया है. परिषद ने मांग की है कि अगर मामले में समुचित कार्रवाई नहीं कि गई तो उन्हें राज्यव्यापी आंदोलन के लिये मजबूर होना पड़ेगा.

GST काउसिंल: केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारमण और मंत्री धारीवाल के बीच नोंक-झोंक, जानें पूरा मामला...


जयपुर. 43वीं GST परिषद की वर्चुअल बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से केंद्र  सरकार द्वारा टीके, दवा, ऑक्सीजन एवं अन्य कोविड राहत सामग्री पर 5-12% GST वसूलने पर आपत्ति जताई है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मांग की कि कोविड से संबंधित सामग्री पर जीएसटी जीरो रेटिंग की जाए. अर्थात् इन्हें जीएसटी से मुक्त किया जाये.

इस मुद्दे पर काफी गहमा-गहमी हुई. कोविड-19 के दौरान भी केन्द्र सरकार टीके पर 5 % जीएसटी एवं अन्य कोविड राहत सामग्री जैसे ऑक्सीजन सिलेण्डर, दवा आदि पर भी 12 % जीएसटी वसूल कर रही है, जो उचित नहीं है. धारीवाल ने जीएसटी काॅउसिल की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर पूरे प्रदेश के लिये घातक रही. संक्रमण दर एवं मृत्युदर दोनों ज्यादा थे.

राजस्व में लगभग 80% की कमी आई

मंत्री शांति धारीवाल ने राज्य का पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार 18 से 45 साल की उम्र वालों के लिये व्यवस्था राज्यों पर ही डाल दी. वैक्सीन कम्पनीयों से एक ही टीके के लिये तीन अलग-अलग दर (एक केन्द्र के लिये, दूसरी राज्य एवं तीसरी निजी अस्पतालों के लिये) तय करायी हैं, जो अनुचित है. राज्य की जनता को कोविड से बचाने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा 3000 करोड़ रुपये से टीका खरीदने का निर्णय लिया गया है. मई में अप्रैल की तुलना में वेट, राज्य उत्पादक शुल्क, स्टाम्प और पंजीकरण एवं जीएसटी आदि मदों में राज्य के राजस्व में लगभग 80% की कमी आयी है.केन्द्र सरकार से अब तक राशि रू. 7561.36 करोड़ मिले है. जिसमेें , जीएसटी मुआवजा रु. 2957.36 करोड़ और जीएसटी मुआवजा ऋण रु 4604.00 करोड़ है. संविधान की धारा 18 में 101वें संविधान संशोधन विधेयक के माध्यम से क्षतिपूर्ति कानून 2017 की धारा 7(1) के अन्तर्गत जीएसटी क्षतिपूर्ति दिये जाने हेतु प्रावधान किये गये हैं. इन परिस्थितियो में राजस्व घाटे की भरपाई हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान करना केन्द्र सरकार का उत्तरदायित्व है.

बकाया 4635.29 करोड़ जारी किये जाए

मंत्री धारीवाल ने कहा कि जीएसटी कांउसिल में मांग की कि वर्ष 2020-21 में राज्य को रूपये 4604 करोड़ रूपये जीएसटी क्षतिपूर्ति ऋण के रूप में जारी किये गये है जबकि उक्त वर्णित राशि भी जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान के रूप में ही जारी की जानी चाहिए थी. अतः इस राशि को जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान के मद में समायोजित किया जाये, साथ ही 2020-21 के क्षतिपूर्ति राशि के बकाया 4635.29 करोड़ रू. तुरन्त एकमुश्त जारी की जाये. राज्यों में लोक कल्याण की विभिन्न योजनाओं के लिये आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है, अतः केन्द्र सरकार को चाहिए कि जीएसटी क्षतिपूर्ति प्रदान करने की अवधि को पाँच वर्ष के लिये बढ़ा कर वर्ष 2027 तक किया जावे.धारीवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन, ऑक्सीजन टैंकर, आवश्यक दवाईयाॅ, वैक्सीनेशन आदि बीजेपी शासित राज्यों को भरपूर दे रही है. जबकि गैर बीजेपी शासित राज्य इनके लिए तरस रहे है. केन्द्र सरकार का यह सौतेला व्यवहार ठीक नहीं है. केन्द्र सरकार को सभी राज्यों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए तथा वैक्सीन की जिम्मेदारी स्वयं को उठानी चाहिए.

वैक्सीन की 11.5 लाख डोज बर्बाद होने का आरोप झूठा, CM गहलोत बोले- केवल 3.38 लाख डोज खराब




जयपुर. राजस्थान में विपक्ष ने कोविड वैक्सीन के डोज बर्बाद होने के आरोपों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खारिज कर दिया है. सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेश में कोविड वैक्सीन की 11.5 लाख डोज़ बर्बाद होने की खबर निराधार है. BJP ऐसे झूठे आरोप लगाकर 14 महीने से मेहनत कर रहे हमारे कोरोना वॉरियर्स का मनोबल तोड़ने का काम कर रही है, जो निंदनीय है. मैं विपक्ष के नेताओं से अपील करूंगा कि महामारी के समय ऐसी नकारात्मक राजनीति ना करें. सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान में कोविड वैक्सीन की 11.5 लाख डोज़ बर्बाद होने की खबर होने आरोप निराधार है. CoWIN सॉफ्टवेयर पर दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 26 मई तक प्रदेश में 1,63,67,230 लोगों को टीका लगाया जा चुका है.

सिर्फ 3.38 लाख डोज़ खराब हुई 

इनमें से 3.38 लाख डोज़ खराब हुई हैं. यह सिर्फ 2% है जो वैक्सीन खराबी की राष्ट्रीय औसत 6% एवं भारत सरकार द्वारा वैक्सीन खराबी की अनुमत सीमा 10% से बेहद कम है, वैक्सीन की ट्रेकिंग के लिए बने सॉफ्टवेयर eVIN पर वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत में तकनीकी दिक्कतों के कारण कई वैक्सीनेशन केन्द्रों पर 2.95 लाख डोज़ की एंट्री दो बार हो गई. इस कारण EVIN सॉफ्टवेयर पर कुल वैक्सीन की संख्या 1,70,01,220 दर्ज बता दी गई. यह आंकड़ा सही नहीं है.

राजस्थान में 3.38 लाख डोज़ ही खराब हुई है पूर्व में भारत सरकार के CoWIN सॉफ्टवेयर में लाभार्थी का नाम केन्द्र सरकार द्वारा स्वतः दर्ज होने के कारण उनके अनुपस्थित होने पर किसी अन्य लाभार्थी को वैक्सीन नहीं लग पाती थी। 10 के गुणांक में लोग वैक्सीन लगवाने नहीं आते तो अन्य लाभार्थी की ऑफलाइन एंट्री नहीं हो सकती थी, जिससे वैक्सीन खराब होती थी. इसी कारण हमने पत्र लिखकर केन्द्र सरकार से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की मांग की जिससे वैक्सीन खराब ना हो.जनता को गुमराह करने का प्रयास 

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में 30.2% एवं झारखंड में 37.3% वैक्सीन डोज़ खराब होने का आरोप लगाया गया जबकि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों छत्तीसगढ़ में 0.95% एवं झारखंड में 4.65% वैक्सीन डोज़ खराब होने के आंकड़े बताए हैं. कहां तो केन्द्र सरकार 37% एवं 30% के आंकड़े देती है और कहां असल आंकड़ा सिर्फ 4.65% एवं 0.95% का है। ऐसा लगता है कि महामारी के समय में यह जानबूझकर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने भाजपा पर साधा निशाना

गहलोत ने कहा कि हम सभी को साथ लेकर कोविड प्रबंधन का कार्य कर रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी ऐसे झूठे आरोप लगाकर 14 महीने से दिन रात मेहनत कर रहे कोरोना वॉरियर्स का मनोबल कम करने का प्रयास कर रही है. 21 मई को हुई वीसी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि केंद्र सरकार के पोर्टल में तकनीकी दिक्कत है जो वैक्सीन बर्बादी के प्रतिशत को बढ़ा देती है. उन्होंने स्वयं ने आश्वासन दिया था कि केन्द्र सही आंकड़े पेश करने के लिए राज्यों से बात करेगा और तब आंकड़े जारी करेगा.

Churu News: महिला कांस्टेबल ने थाने से चुराई इंसास राइफल, पुलिस महकमे में मचा हड़कंप, गिरफ्तार


चूरू. राजस्थान के चूरू महिला थाने की कांस्टेबल ने थानाधिकारी और स्टाफ को सबक सिखाने के लिये ऐसा कांड कर दिया, जिससे जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. महिला काॅन्स्टेबल गुरुवार को थाने से उस वक्त इंसास राइफल चुराकर ले गई, जब वह सन्तरी की डयुटी कर रही थी. थाने में राइफल चोरी होने की सूचना लगने पर पुलिस कर्मियों की सांसे फूल गई. पुलिस की काफी मशक्कत के बाद महिला कांस्टेबल की ओर से चुराई गई राइफल को चूरू न्यायालय में कार्यरत लिपिक के घर में मिली. बाबू के घर में उसके बेड के नीचे से बरामद की गई.

पुलिस ने महिला काॅन्स्टेबल लीलावती व उसका सहयोग करने वाले लिपिक प्रकाश को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजने के आदेश दिए गये हैं. इससे पहले पूछताछ के दौरान आरोपित महिला कांस्टेबल ने महिला थानाधिकारी सतपाल विश्नोई और स्टाफ को सबक सिखाने के लिए इंसास राइफल चुराने की बात कही.

कोतवाली थाना पुलिस ने आईपीसी की धाराओं और आर्म्स एक्ट की धारा 7/25 में मामला दर्ज किया. महिला थानाधिकारी सतपाल विश्नोई ने रिपोर्ट में बताया कि गुरुवार को पुलिस लाइन से हेड काॅन्स्टेबल भादर सिंह ने एक अन्य कॉन्स्टेबल धापी देवी के मोबाइल पर फोन कर उसे इंसास राइफल ले जाने के लिए कहा. थाने का काॅन्स्टेबल शीशराम पुलिस लाइन पहुंचा व राइफल लेकर आया. उस वक्त संतरी पहरे पर महिला कांस्टेबल सविता थी. सविता मालखाने की चाबी नहीं मिलने पर राइफल को एचएम कार्यालय के स्टोर में रख दिया, उस समय संतरी पहरे पर आरोपी कॉन्स्टेबल लीलावती तैनात थी.

पुलिस ने बताया कि शाम को करीब चार बजे एचएम ने राइफल संभाली तो गायब मिलने पर उसके होश उड़ गए. महिला कांस्टेबल लीलावती से जब राइफल के बारे में पूछा तो उसने जानकारी होने से इंकार कर दिया, जबकि उस वक्त वहीं सन्तरी तैनात थी. रायफल चोरी किये जाने से पहले महिला काॅन्स्टेबल ने शातिर तरीके से थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे भी बन्द कर दिये, जब पुलिस की ओर से थाने में लगे सीसीटीवी की जांच की तो बंद पाए गए. पूछताछ के दौरान चाय व सब्जी लगाने वालों ने आरोपित महिला काॅन्स्टेबल को राइफल ले जाते देखने की बात कही. उन्होंने बताया कि महिला कांस्टेबल वापस लौटी तो राइफल उसके पास मौजूद नहीं थी.10 मिनट तक खुद को थाने में बंद कर लिया था 

पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद आरोपित महिला कांस्टेबल पहुंची और ताला तोड़ने के बाद टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर अंदर से कुंडी लगा ली. समझाइश के बाद करीब 10 मिनट बाद गेट को खोला गया. मकान की तलाशी लेने पर कुछ नहीं मिला. बाद में मोहल्ले की बच्ची ने बताया कि उसने लीलावती को पास के मकान में रायफल फेंकते देखा था. पुलिस को अंदेशा था कि वारंट आने तक आरोपी राइफल को खुर्द-बुर्द कर सकता है, ऐसे में बिना किसी इंतजार के कोर्ट में कार्यरत आरोपी महिला काॅन्स्टेबल लीलावती का राइफल छिपाने में सहयोग करने वाले बाबू प्रकाश के घर की तलाशी ली गई. तलाशी के दौरान एक कमरे के ताला लगा रखा था. इस पर पुलिस ने खुलवाकर तलाशी ली तो गद्दे के नीचे महिला कांस्टेबल की चुराई इंसास राइफल मिल गई.

ढाई महीने बाद गुरूवार को करवाई थी आमद

महिला काॅन्स्टेबल लीलावती पिछले ढाई महीने से थाने से अनुपस्थित थी, जिसने गुरूवार को ही महिला थाने पहुंचकर डयुटी ज्वाइन की थी. प्रथमदृष्टया अपने स्टाफ से रंजिश रखने के चलते वह उन्हे फंसाना चाहती थी और इसलिये उसने सुनियोजित तरीके से इस वारदात को अंजाम दिया. राजगढ थाने में ड्यूटी के दौरान भी महिला कान्स्टेबल लीलावती विवादों में रह चुकी है. साल 2014 में राजगढ थाने में अपनी पोस्टिंग के दौरान राजगढ थाने में जमकर हंगामा किया था. लोगों के सामने सरेआम अपने ही अधिकारियों पर ऐसे गंभीर आरोप लगाए कि लोग दंग रह गए थे. सिपाही ने लोगों के सामने रो-रो कर आरोप लगाये थे कि गलत कामों में सहयोग नहीं करने पर अधिकारी उसे प्रताड़ित कर रहे हैं.

Bharatpur: गाड़ी को रोका और फिर डॉक्टर दंपती पर करे कई फायर, फिर बाइक पर फरार, CCTV में हुए कैद

दीपक पुरी

भरतपुर. भरतपुर ( Bharatpur) में शुक्रवार को दिन दहाड़े डॉक्टर दंपती की गोली मारकर हत्या कर दी गई. यह घटना उस समय की गई जब डॉ. सुदीप गुप्ता ( Dr. Sudeep Gupta) और उसकी पत्नी सीमा गुप्ता ( Seema Gupta ) कार से कहीं जा रहे थे. उसी समय निंदा गेट इलाके में बाइक से पहुंचे दो युवकों ने कार के सामने बाइक लगाकर डॉक्टर और उनकी पत्नी को गोली मार दी. यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है. डबल मर्डर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. फिलहाल हमलावरों का कुछ पता नहीं लग सका है. बताया गया है कि कई दिनों से डॉ. दंपती को जान से मारने की धमकी मिल रही थी. डॉक्टर दंपती की हत्या के मामले में चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग ने आईजी और पुलिस अधीक्षक को टीम गठित कर हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं.

जानकारी के मुताबिक, वारदात के वक्त डॉ सुदीप पत्नी सीमा के साथ निंदा गेट इलाके में सर्कुलर रोड के पास पहुंचे. तभी दो बाइक सवार दो बदमाशों ने उनकी कार के आगे बाइक लगा दी. कार के रुकने के बाद एक बाइक सवार जो चेहरे पर तौलिया बांधे हुए था. उसने डॉक्टर के पास पहुंचकर खिडक़ी से उन्हें गोली मार दी. उनके साथ ही बगल में बैठी उनकी पत्नी को भी गोली मार दी. फायरिंग की आवाज सुनकर पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. स्थानीय लोगों की सूचना के बाद मौके पर पुलिस पहुंची. बताया गया है कि डॉ. सुदीप गुप्ता और उनकी पत्नी सीमा गुप्ता की मौके पर ही मौत हो चुकी थी. अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.


 

डॉक्टर दंपती की हत्या का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. इस फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि दो युवक डॉक्टर दंपती की गाड़ी के आगे बाइक लगा देते हैं. बाइक से उतरकर गाडी के पास जाते हैं. डॉक्टर को कुछ बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके बाद डॉक्टर और उसकी पत्नी को गोली मार देते हैं. बदमाश गोली मारने के बाद तेजी से बाइक पर बैठते हंै और पिस्तौल को लहराते हुए फरार हो जाते हैं. इस मामले पर पुलिस बदमाशों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने में जुट गई है.

घटना की जानकारी पर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक आरबीएम अस्पताल पहुंचे. पूरे मामले की जानकारी ली. वही रेंज आईजी प्रसन्न कुमार खमेसरा ने इस पूरे मामले पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हत्या करने वाले बदमाशों को चिन्हित कर लिया गया है. आईजी प्रसन्न कुमार खमेसरा ने बताया कि 2019 में एक घटना से जुड़ा मामला है. गौरतलब है कि भरतपुर के सारास चौराहे पर बनी सूर्य सिटी में 7 नवंबर 2019 को  एक मकान में जलकर मां बेटे की मौत हो गई थी. जिसके बाद चिकित्सक दंपती को जेल भेजा गया, लेकिन वे जमानत पर बाहर आ गए. जिसमें पुरानी रंजिश के चलते मृतक महिला दीपा गुर्जर का एक भाई है. वहीं दूसरा उसका साथी है. जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

बाड़मेर: कोरोना काल में बड़ी सौगात, 48 लोगों को मिली सरकारी नौकरी


बाड़मेर. देश भर में कोविड के विपरीत हालातों के बीच लोगों की जान जाने और अस्पतालों में जबदस्त भीड़भाड़ और मरीजों के हाहाकार के बीच सरहदी बाड़मेर से कोरोना काल (COVID 19) में समर्पण से सेवा करने वालों को सबसे बड़ी सौगात मिली है. कोविड के विपरीत हालातों में चौबीसों घण्टे अस्पताल की सफाई व्यवस्था में लगे 48 लोगों को सरकारी नौकरी का तोहफा दिया गया है. बाड़मेर जिला अस्पताल में 48 सफाई कर्मचारी कोविड के विपरीत हालातो में जी जान से जुटा हुआ थे. चारो तरफ फैले संक्रमण और लोगोे की मौतो के बीच पीपीई किट पहन कर इन सफाई कर्मचारियों से समर्पण से अपने काम को अंजाम दिया.

अब शुक्रवार को कार्यस्थल पर नगर परिषद् आयुक्त दलीप पुनिया और नगर परिषद सभापति दिलीप माली ने इनके स्थायीकरण के प्रमाणपत्र सौंपे. इन लोगों में से एक अन्नाराम के लिए उस वक़्त खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब इसके कार्यस्थल पर आकर इसके स्थायीकरण का प्रमाण पत्र इसे सौंपा गया. अन्नाराम के मुताबिक जिला अस्पताल में शुरू  में बहुत डर लगता था लेकिन फिर जी जान से अपने काम मे जुट गए थे. अब जब स्थायीकरण के आदेश मिले है तो बहुत ही खुशी हो रही है.

48 कर्मचारियों को मिली सौगात

कोविड के विपरीत हालातों में जहां चिकित्सकों और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना की जंग बखूबी लड़ी है. वही इन सफाई कर्मचारियों के योगदान को भी कम नहीं आंका जा सकता. ऐसे में जिला मुख्यालय पर एक साथ 48 लोगों को उनकी सेवा पर सौगात मिली है. बाड़मेर नगर परिषद सभापति दिलीप माली के मुताबिक कोरोना के विपरीत हालातों में लोगों ने जी जान से अपने काम को बखूबी किया है.

सात दिनों के भीतर कांगो में दूसरी बार फटा ज्वालामुखी, 32 लोगों की हो चुकी है मौत, करीब 30 हजार लोग बेघर



गोमा (कांगो) : कांगो के गोमा शहर में एक बार फिर से ज्वालामुखी फटा, हालांकि इसकी तीव्रता कम थी. सरकार ने बताया, 'पूर्वी कांगो के गोमा शहर के नजदीक स्थित ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो उत्तर दिशा में शनिवार को एक बार फिर से सक्रिय हुआ था.'

कांगो के संचार और मीडिया मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, 'माउंट नीरागोंगो के उत्तरी हिस्से में कम तीव्रता वाला ज्वालामुखी फटा है. ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा विरुंगा पार्क के अंतर्गत आने वाले एक निर्जन इलाके में बह रहा है.'

कांगो के उत्तरी-पूर्वी प्रांत उत्तर किवू की राजधानी गोमा में दो सक्रिय ज्वालामुखी हैं नीरागोंगो और नीयामुलागिरा. इससे पहले बीते 22 मई को नीरागोंगो ज्वालामुखी फटा था, जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी. ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो फटने के बाद लावा बहकर यहां के गांवों में आ गया, जिसके कारण यहां 500 से ज्यादा मकान नष्ट हो गए थे.

गोमा में ज्लावामुखी संबंधी वेधशाला के निदेशक सेलेस्टिन कासेरेका महिंदा ने बताया था कि कई लोगों की लावा से निकलने वाले धुंए तथा जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हुई. महिंदा ने बताया कि वेधशाला के वैज्ञानिक ज्वालामुखी फटने की आशंका के संबंध में जनता को उचित तरीके से सचेत नहीं कर पाए.

वहीं, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने बताया कि 22 मई को ज्वालामुखी माउंट नीरागोंगो के फटने  की वजह से करीब पांच हजार लोग गोमा शहर छोड़कर चले गए, जबकि अन्य 25,000 ने उत्तर पश्चिम में साके शहर में शरण ली. इस प्राकृतिक आपदा के बाद से 170 से अधिक बच्चे लापता हैं. यूनिसेफ के अधिकारियों का कहना है कि वे ऐसे बच्चों की मदद के लिए शिविर लगा रहे हैं जो अकेले हैं, जिनके साथ कोई वयस्क नहीं है. यह ज्वालामुखी पिछली बार वर्ष 2002 में फटा था तब भी यहां भारी तबाही मची थी. सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी तथा 1,00,000 से अधिक लोग बेघर हो गए थे

COVID-19: वियतनाम में मिले कोरोना के नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, हवा में बेहद तेजी से फैलता है



हनोई. दुनियाभर में एक ओर जहां कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है, वहीं वियतनाम में मिले कोरोना के एक नए वेरिएंट ने चिंता को और बढ़ा दिया है. वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री विएन टान लॉन्ग ने शनिवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वियतनाम में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट पाया गया है. इससे पहले ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत में कोरोना के वेरिएंट मिल चुके हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, वियतनाम में कोरोना वायरस का जो वेरिएंट मिला है, वह भारत और ब्रिटेन में पाए गए वेरिएंट का ही मिलता-जुलता रूप है, लेकिन सबसे चिंता की बात यह है कि दूसरे वेरिएंट्स के मुकाबले यह हवा के माध्यम से कहीं ज्यादा तेजी से अपने पांव पसारता है.

इंसानों की तरह अब मधुमक्खियों में भी फैला वायरस, जॉम्बी बन खा रही हैं अपने ही लार्वा

पिछले साल आई कोरोना वायरस की पहली लहर को रोकने में वियतनाम सफल रहा था, लेकिन इस बार इस वायरस से यहां भी अपना असर तेजी से दिखाना शुरू कर दिया है और इसे रोकने के लिए सरकार काफी कोशिश कर रही है. एजेंसी के अनुसार अप्रैल माह के आखिर सप्ताह में वियतनाम के 63 में से 31 शहरों में कोरोना संक्रमण 3600 मामले सामने आए थे, जो कि पूरे देश के कुल कोरोना मामलों का 50 फीसदी है.

रॉयटर्स ने वियतनाम के स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से कहा, 'हाल में हमने कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीजों से कोविड-19 के नमूने लेकर जीनोम सीक्वेन्सिंग की थी. इस दौरान हमें एक नए किस्म का वेरिएंट मिला है. यह भारत और ब्रिटेन में मिले वेरिएंट का मिला-जुला रूप है.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यहां मिला वायरस का वेरिएंट भारत में मिले वैरिएंट की तरह है, लेकिन इसमें जो म्यूटेशन देखे गए वो ब्रिटेन के वेरिएंट में पाए गए थे.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जल्द ही सभी को इस वेरिएंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. वियतनाम में मिले कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट से पहले यहां सात वेरिएंट्स पाए जा चुके हैं, जिसमें भारत और ब्रिटेन में मिला वेरिएंट भी शामिल है. भारत में मिले कोरोना वेरिएंट को B.1.617.2, जबकि ब्रिटेन में मिले वेरिएंट को B.1.1.7 नाम दिया गया है. इन दोनों के अतिरिक्त B.1.222, B.1.619, D614G, B.1.351 और A.23.1 वेरिएंट्स भी यहां मिले हैं.

इंसानों में मिला कुत्तों का कोरोना वायरस, लेकिन क्या इससे खतरा है? जानें एक्सपर्ट की राय

कैम्ब्रिज (यूके). वैज्ञानिकों ने निमोनिया से पीड़ित कुछ लोगों में कुत्तों में पाए जाने वाले एक नई तरह के कोरोना वायरस का पता लगाया है. यह कहने और सुनने में भले खतरनाक लग सकता है, लेकिन इसका विश्लेषण करने के बाद लगता है कि इसकी वजह से आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. मलेशिया के सरवाक के एक अस्पताल में आठ लोगों में कुत्तों का कोरोना वायरस पाए जाने के बारे में अत्यधिक सम्मानित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने नैदानिक ​​​​संक्रामक रोगों से संबंधित विभाग को सूचित किया है. तो क्या इसका यह मतलब निकाला जाए कि कुत्ते इंसानों में कोरोना वायरस फैला सकते हैं?

सबसे पहले स्पष्ट करने वाली बात यह है कि कुत्तों का कोरोना वायरस क्या है? यह जान लेना महत्वपूर्ण होगा कि यह सार्स-कोवी-2, जो वायरस कोविड-19 का कारण बनता है,से काफी अलग है. कोरोना वायरस परिवार को वायरस के चार समूहों में विभाजित किया जा सकता है: अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा कोरोना वायरस. सार्स-कोवी-2 बीटा कोरोना वायरस समूह में आता है, जबकि कुत्तों के कोरोना वायरस पूरी तरह से अलग अल्फ़ा कोरोना वायरस समूह से है.

दिल्ली-NCR में कोरोना के बाद बढ़ा MIS-C का कहर, 177 बच्चों में बीमारी की हुई पुष्टि

वैज्ञानिक लगभग 50 वर्षों से कुत्तों के कोरोना वायरस के बारे में जानते हैं. इस अवधि के अधिकांश समय में ये वायरस अपने एक अनजान अस्तित्व के साथ मौजूद रहे और केवल पशु चिकित्सक और कभी-कभी कुत्तों को पालने वाले लोग इनमें रुचि रखते थे. इन वायरस के इन्सानों को संक्रमित करने के बारे में पिछली कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अब अचानक दुनिया में सब तरफ कोरोना वायरस पर सबकी नजर रहने से उन जगहों पर भी कोरोना वायरस की मौजूदगी के निशान मिल रहे हैं, जहां इन्हें पहले कभी नहीं देखा गया था.हाल ही में लोगों में पाया गया कुत्तों का कोरोना वायरस संक्रमण दरअसल इस दिशा में की जा रही गंभीर खोज का नतीजा था. जिन लोगों को इस खोज का हिस्सा बनाया गया था वह काफी समय पहले ठीक हो चुके थे. वैज्ञानिक विशेष रूप से सिर्फ कुत्तों के कोरोना वायरस की तलाश नहीं कर रहे थे, शोधकर्ता एक ऐसा परीक्षण विकसित करने की कोशिश कर रहे थे जो एक ही समय में सभी प्रकार के कोरोना वायरस का पता लगा सके - एक तथाकथित पैन-सीओवी परीक्षण.

Punjab: 8 दिनों में गावों के एक लाख से अधिक व्यक्तियों के कोरोना टेस्ट, 4654 लोग पॉजिटिव

प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए वायरस के नमूनों पर परीक्षण के काम करने की पुष्टि के बाद, उन्होंने मलेशिया के एक अस्पताल में भर्ती रहे निमोनिया के 192 रोगियों के नमूनों पर इसका परीक्षण किया. इनमें से नौ नमूनों का परिणाम कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव आया. इस संबंध में और जांच करने पर पता चला कि उपरोक्त नौ नमूनों में से पांच सामान्य मानव कोरोना वायरस थे जिससे सर्दी जुकाम हो सकता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, चार नमूने कुत्तों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के थे. इसी अस्पताल के मरीजों की और जांच करने पर चार और पॉजिटिव मरीज सामने आए. 

कुत्तों में पाए जाने वाले कोरोना वायरसों के बारे में अधिक जानने के प्रयासों के तहत शोधकर्ताओं ने इन सभी आठ मलेशियाई रोगियों के नाक और गले के नमूनों की जांच का अध्ययन किया. यह जानने के लिए कि क्या कोई जीवित वायरस मौजूद है, प्रयोगशाला में इन नमूनों को कुत्ते की कोशिकाओं में डाला गया. एक ही नमूने से वायरस को अच्छी तरह से दोहराया गया और वायरस के कणों को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके देखा जा सकता था. वैज्ञानिक वायरस के जीनोम को अनुक्रमित करने में भी सक्षम थे. विश्लेषण में पाया गया कि कुत्तों में पाया जाने वाला कोरोना वायरस कुछ अलग अल्फ़ा कोरोना वायरस - जिसमें सूअर और बिल्लियाँ भी शामिल थे - से निकटता से संबंधित था और यह भी पता चला कि इसे पहले कहीं और पहचाना नहीं गया था.

आगे फैलने का कोई सबूत नहीं

अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या मरीजों में निमोनिया के लिए कुत्तों में पाया जाने वाला यह कोरोना वायरस जिम्मेदार था? फिलहाल, हम इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते. जांच का हिस्सा बनाए गए आठ में से सात मरीज एक साथ दूसरे वायरस से भी संक्रमित थे, जो या तो एडेनोवायरस, इन्फ्लूएंजा या पैरेनफ्लुएंजा वायरस था. हम जानते हैं कि ये सभी वायरस अपने आप में निमोनिया का कारण बन सकते हैं, इसलिए इस बात की अधिक संभावना है कि ये बीमारी के लिए जिम्मेदार थे. हम कह सकते हैं कि इन रोगियों में मिले निमोनिया का कुत्तों के कोरोना वायरस के साथ संबंध है, लेकिन यह नहीं कह सकते कि सिर्फ यह वायरस ही उनमें निमोनिया का कारण है.

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इस बात को लेकर आशंकाएं हैं कि मलेशिया के इन रोगियों में पाया गया कुत्तों का कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो उसका नतीजा बड़े पैमाने पर बीमारी के प्रकोप के तौर पर सामने आएगा. इस तथ्य को प्रमुखता से उठाने वाले यह स्पष्ट नहीं करते कि इंसानों में संक्रमण के यह मामले दरअसल 2017 और 2018 के हैं. ऐसे में इस स्रोत से कुत्तों के कोरोना वायरस के प्रकोप की संभावना और भी कम हो जाती है क्योंकि बीच के तीन से चार वर्षों में इसके आगे फैलने का कोई सबूत नहीं है

इंसानों में मिला कुत्तों का कोरोना वायरस, लेकिन क्या इससे खतरा है? जानें एक्सपर्ट की राय

(सांकेतिक फोटो)

(सांकेतिक फोटो)

Coronavirus Research: जांच का हिस्सा बनाए गए आठ में से सात मरीज एक साथ दूसरे वायरस से भी संक्रमित थे, जो या तो एडेनोवायरस, इन्फ्लूएंजा या पैरेनफ्लुएंजा वायरस था.

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    कैम्ब्रिज (यूके). वैज्ञानिकों ने निमोनिया से पीड़ित कुछ लोगों में कुत्तों में पाए जाने वाले एक नई तरह के कोरोना वायरस का पता लगाया है. यह कहने और सुनने में भले खतरनाक लग सकता है, लेकिन इसका विश्लेषण करने के बाद लगता है कि इसकी वजह से आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. मलेशिया के सरवाक के एक अस्पताल में आठ लोगों में कुत्तों का कोरोना वायरस पाए जाने के बारे में अत्यधिक सम्मानित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने नैदानिक ​​​​संक्रामक रोगों से संबंधित विभाग को सूचित किया है. तो क्या इसका यह मतलब निकाला जाए कि कुत्ते इंसानों में कोरोना वायरस फैला सकते हैं?

    सबसे पहले स्पष्ट करने वाली बात यह है कि कुत्तों का कोरोना वायरस क्या है? यह जान लेना महत्वपूर्ण होगा कि यह सार्स-कोवी-2, जो वायरस कोविड-19 का कारण बनता है,से काफी अलग है. कोरोना वायरस परिवार को वायरस के चार समूहों में विभाजित किया जा सकता है: अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा कोरोना वायरस. सार्स-कोवी-2 बीटा कोरोना वायरस समूह में आता है, जबकि कुत्तों के कोरोना वायरस पूरी तरह से अलग अल्फ़ा कोरोना वायरस समूह से है.

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    वैज्ञानिक लगभग 50 वर्षों से कुत्तों के कोरोना वायरस के बारे में जानते हैं. इस अवधि के अधिकांश समय में ये वायरस अपने एक अनजान अस्तित्व के साथ मौजूद रहे और केवल पशु चिकित्सक और कभी-कभी कुत्तों को पालने वाले लोग इनमें रुचि रखते थे. इन वायरस के इन्सानों को संक्रमित करने के बारे में पिछली कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अब अचानक दुनिया में सब तरफ कोरोना वायरस पर सबकी नजर रहने से उन जगहों पर भी कोरोना वायरस की मौजूदगी के निशान मिल रहे हैं, जहां इन्हें पहले कभी नहीं देखा गया था.हाल ही में लोगों में पाया गया कुत्तों का कोरोना वायरस संक्रमण दरअसल इस दिशा में की जा रही गंभीर खोज का नतीजा था. जिन लोगों को इस खोज का हिस्सा बनाया गया था वह काफी समय पहले ठीक हो चुके थे. वैज्ञानिक विशेष रूप से सिर्फ कुत्तों के कोरोना वायरस की तलाश नहीं कर रहे थे, शोधकर्ता एक ऐसा परीक्षण विकसित करने की कोशिश कर रहे थे जो एक ही समय में सभी प्रकार के कोरोना वायरस का पता लगा सके - एक तथाकथित पैन-सीओवी परीक्षण.

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    प्रयोगशालाओं में तैयार किए गए वायरस के नमूनों पर परीक्षण के काम करने की पुष्टि के बाद, उन्होंने मलेशिया के एक अस्पताल में भर्ती रहे निमोनिया के 192 रोगियों के नमूनों पर इसका परीक्षण किया. इनमें से नौ नमूनों का परिणाम कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव आया. इस संबंध में और जांच करने पर पता चला कि उपरोक्त नौ नमूनों में से पांच सामान्य मानव कोरोना वायरस थे जिससे सर्दी जुकाम हो सकता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, चार नमूने कुत्तों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के थे. इसी अस्पताल के मरीजों की और जांच करने पर चार और पॉजिटिव मरीज सामने आए.

    कुत्तों में पाए जाने वाले कोरोना वायरसों के बारे में अधिक जानने के प्रयासों के तहत शोधकर्ताओं ने इन सभी आठ मलेशियाई रोगियों के नाक और गले के नमूनों की जांच का अध्ययन किया. यह जानने के लिए कि क्या कोई जीवित वायरस मौजूद है, प्रयोगशाला में इन नमूनों को कुत्ते की कोशिकाओं में डाला गया. एक ही नमूने से वायरस को अच्छी तरह से दोहराया गया और वायरस के कणों को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग करके देखा जा सकता था. वैज्ञानिक वायरस के जीनोम को अनुक्रमित करने में भी सक्षम थे. विश्लेषण में पाया गया कि कुत्तों में पाया जाने वाला कोरोना वायरस कुछ अलग अल्फ़ा कोरोना वायरस - जिसमें सूअर और बिल्लियाँ भी शामिल थे - से निकटता से संबंधित था और यह भी पता चला कि इसे पहले कहीं और पहचाना नहीं गया था.

    आगे फैलने का कोई सबूत नहीं

    अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या मरीजों में निमोनिया के लिए कुत्तों में पाया जाने वाला यह कोरोना वायरस जिम्मेदार था? फिलहाल, हम इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते. जांच का हिस्सा बनाए गए आठ में से सात मरीज एक साथ दूसरे वायरस से भी संक्रमित थे, जो या तो एडेनोवायरस, इन्फ्लूएंजा या पैरेनफ्लुएंजा वायरस था. हम जानते हैं कि ये सभी वायरस अपने आप में निमोनिया का कारण बन सकते हैं, इसलिए इस बात की अधिक संभावना है कि ये बीमारी के लिए जिम्मेदार थे. हम कह सकते हैं कि इन रोगियों में मिले निमोनिया का कुत्तों के कोरोना वायरस के साथ संबंध है, लेकिन यह नहीं कह सकते कि सिर्फ यह वायरस ही उनमें निमोनिया का कारण है.

    ब्रिटेन में फिर से बढ़े कोरोना के नए केस, वैक्सीनेशन के बाद भी तीसरी लहर का खतरा मंडराया!

    इस बात को लेकर आशंकाएं हैं कि मलेशिया के इन रोगियों में पाया गया कुत्तों का कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो उसका नतीजा बड़े पैमाने पर बीमारी के प्रकोप के तौर पर सामने आएगा. इस तथ्य को प्रमुखता से उठाने वाले यह स्पष्ट नहीं करते कि इंसानों में संक्रमण के यह मामले दरअसल 2017 और 2018 के हैं. ऐसे में इस स्रोत से कुत्तों के कोरोना वायरस के प्रकोप की संभावना और भी कम हो जाती है क्योंकि बीच के तीन से चार वर्षों में इसके आगे फैलने का कोई सबूत नहीं है.

    यह ऐसा समय है, जब चारों तरफ कोरोना वायरस की बात हो रही है और इससे जुड़े तमाम तरह के वायरस की खोज की जा रही है और ऐसे में अप्रत्याशित स्थानों से कुछ और पॉजिटिव नमूने मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इनमें से अधिकांश केवल अध्ययन और जांच तक सीमित होंगे और इसके लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि नए कोरोन वायरसों पर निगरानी जारी रहे और इसका विस्तार हो ताकि भविष्य में अगर कोई नई तरह का वायरस सामने आए, तो हमारे पास उसे पहचानने का हर संभव मौका हो.


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