31 MAY 2021
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अमेरिका के फ्लोरिडा में कॉन्सर्ट के बाहर अंधाधुंध फायरिंग, दो की मौत 20 घायल
अमेरिका में पिछले एक वर्ष में फायरिंग (Firing) की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने इसे अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का मुद्दा बताया था.
फ्लोरिडा. अमेरिका में फ्लोरिडा (Florida) के मियामी में रविवार को एक कॉन्सर्ट के बाहर मौजूद भीड़ पर की गई अंधाधुंध फायरिंग (Firing) में दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम 20 घायल हुए हैं. फायरिंग की यह घटना रविवार तड़के मियामी गार्डन्स के नजदीक हुई. मियामी पुलिस ने बताया कि इस जगह पर एक कॉन्सर्ट चल रहा था और बहुत से लोग जमा थे. फायरिंग करने वाले तीन लोग थे और वे निसान पाथफाइंडर SUV से आए थे. फायरिंग करने के बाद वे उसी गाड़ी में फरार हो गए.
मियामी पुलिस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, अल्फ्रेडो फ्रेडी ने एक ट्वीट में निशाना बनाकर की गई फायरिंग की कायराना घटना की निंदा की है. उन्होंने बताया कि घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. अमेरिका में पिछले एक वर्ष में इस तरह की फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. ऐसी घटनाओं के लिए अक्सर स्कूलों, ऑफिस या शॉपिंग सेंटर को निशाना बनाया जाता है.
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पिछले वर्ष अमेरिका में बंदूकों से जुड़ी हिंसा में 43,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. इनमें आत्महत्या के मामले भी शामिल थे. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले महीने कहा था कि बंदूकों से होने वाली हिंसा एक महामारी की तरह है और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का मुद्दा है.
चीन में अब तीन बच्चे पैदा कर सकेंगे लोग, इस वजह से जिनपिंग सरकार ने बदले नियम...
चीन (China) ने अपनी दो बच्चों की नीति (Two Children Policy) को खत्म करने का फैसला लिया है. साथ ही घोषणा की है कि अब चीन में युगल को दो की जगह तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति होगी
बीजिंग. जहां दुनियाभर में बढ़ती जनसंख्या (Population) एक परेशानी बनती जा रही है. इसकी वजह से खाद्य सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक और तमाम क्षेत्रों में संघर्ष करना पड़ रहा है और दुनिया जनसंख्या को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रही है, ऐसे में चीन (China) से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल चीन ने अपनी दो बच्चों की नीति को खत्म करने का फैसला लिया है और उन्होंने घोषणा की है कि अब चीन में युगल को दो की जगह तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति होगी.
सरकारी मीडिया झिंहुआ के मुताबिक राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग ने पोलित ब्यूरो मीटिंग में इस बदलाव को फैसला लिया. इस फैसला लेने की वजह दशक में एक बार होने वाली जनगणना है, जिसमें मालूम चला है कि चीन की जनसंख्या में जो बढ़ोतरी हुई है वो पिछले एक दशक में सबसे कम है. इस वजह से देश की राजधानी बीजिंग पर जनसंख्या को बढ़ाने का दबाव बढ़ता जा रहा है जिससे घटती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके.
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पिछले साल करीब 1 करोड़ 20 लाख बच्चों ने लिया जन्ममई महीने की शुरुआत में चीन की जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई जिसके मुताबिक पिछले साल करीब 1 करोड़ 20 लाख बच्चों ने जन्म लिया. 2016 के आंकड़ों (1 करोड़ 80 लाख) की तुलना में ये उल्लेखनीय गिरावट है. और 1960 से जन्मदर की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. ऐसा समझा जा रहा है कि जनगणना का डेटा सामने आने के बाद चीन ने परिवार नियोजन की नीति में बदलाव किया है.
लोन माफी के लिए चीन के सामने रोया पाकिस्तान, ड्रैगन को नहीं पड़ा कोई असर
चीन (China) ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर कर्ज राहत देने से मना कर दिया है. पाकिस्तान (Pakistan) ने CPEC के तहत बने ऊर्जा प्रॉजेक्ट में निवेश किए गए 3 अरब डॉलर को माफ करने के लिए कहा था.
इस्लामाबाद. पाकिस्तान (Pakistan) के प्रति खोखली हमदर्दी दिखाने वाले चीन की पोल अब खुलती नजर आ रही है. दरअसल, कंगाली की हालत से गुजर रहे पाकिस्तान ने चीन (China) से अपने 3 अरब डॉलर के कर्ज को पुनर्गठित करने का अनुरोध किया था, जिसे चीन ने खारिज कर दिया है. पाकिस्तान चाहता था कि चीन सीपीईसी के तहत बने ऊर्जा प्रॉजेक्ट के लिए दिए गए लोन को माफ कर दे. एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में बनाए ऊर्जा प्लांट पर चीन ने करीब 19 अरब डॉलर का निवेश किया है. चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा खरीद पर हुए समझौते को पुनर्गठित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा कि कर्ज में किसी भी राहत के लिए चीनी बैंकों को अपने नियम और शर्तों में बदलाव करना होगा. चीनी बैंक पाकिस्तान सरकार के साथ पहले हुए समझौते के किसी भी शर्त को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं.
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सीनेटर और उद्योगपति नौमान वजीर ने कहा कि नैशनल इलेक्ट्रिक पॉवर रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जिस समय निजी क्षेत्र को ऊर्जा उत्पादन की अनुमति प्रदान की थी, उस समय टैरिफ बहुत ज्यादा रखा गया. उन्होंने कहा कि इसका खुलाा पाकिस्तान के पॉवर सेक्टर को लेकर हुए एक जांच में हुआ. कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्तान के डिफाल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है.
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पाकिस्तान पर 30 दिसंबर 2020 तक कुल 294 अरब डॉलर का कर्ज था जो उसकी कुल जीडीपी का 109 प्रतिशत है. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज और जीडीपी का यह अनुपात वर्ष 2023 के अंत तक 220 फीसदी तक हो सकता है. यह वही साल है जब इमरान खान सरकार के पांच साल पूरे हो जाएंगे. इमरान खान ने सत्ता संभालने से पहले चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वह एक नया पाकिस्तान बनाएंगे जो दुनिया से कर्ज के लिए भीख नहीं मांगेगा.
बेटे को डेट करने से पहले पढ़ लो मम्मी के Dating Rules, फिर हिम्मत बचे तो आओ हवेली पर
किसी को भी डेट करने से पहले आपने सोचा भी नहीं होगा कि उसके मम्मी-पापा की कोई रूलबुक (dating rules) होगी लेकिन एक ब्रिटिश लड़की के साथ जो हुआ वो बेहद दिलचस्प है. उसके ब्वॉयफ्रेंड की मम्मी ने बाकायदा नियम-कायदों की एक लिस्ट तैयार की है. आप भी देखिए इस लिस्ट में क्या-क्या है?
दुनिया में तरह-तरह के लोग मौजूद हैं. हर किसी का मिज़ाज अलग होता है. ऐसे में अगर दो अलग-अलग मिज़ाज वाले लोग मिल जाएं तो हालात कुछ ऐसे भी बन सकते हैं जैसे ब्रिटेन में एक लड़की के साथ बने. एम्मा नाम की टिकटॉक यूज़र अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ रिलेशनशिप में हैं. इसी बीच उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसकी उन्हें कल्पना भी नहीं थी.
हर लड़की की तरह एम्मा (Emma) भी अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ शादी के सपने तो देख ही रही होंगी, लेकिन इसी बीच उनके ब्वॉयफ्रेंड की मम्मी को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने बेटे की दोस्त को डराने का अनोखा तरीका अख्तियार किया. हुआ यूं कि मम्मी ने सीधे-सीधे तो कुछ नहीं कहा लेकिन सोशल मीडिया पर एक रूलबुक शेयर कर दी. ये रूलबुक (Set of Rules on Instagram) उनके बेटे को डेट करने वाली लड़की के लिए थी.
मम्मी के बेटे को डेट करना है तो सुनो लड़कियों !
Rules For Dating My Son के शीर्षक से इंस्टाग्राम ( Instagram) पर डाले गए इस पोस्ट में कुल 10 ऐसे नियम-कायदे बताए गए हैं, जो किसी भी लड़की को सदमे में डाल देने के लिए काफी है. एम्मा के ब्वॉयफ्रेंड की मां की हिदायतें आप भी जान लीजिए क्योंकि ये काफी दिलचस्प हैं -
- मेरा बेटा आपका एटीएम नहीं है.
- अगर आप मेरे घर में 'स्ट्रिपर' की तरह दिखेंगे, तो मैं आपको बाहर कर दूंगी.
- अगर मुझे आप पसंद नहीं है, तो समझ लीजिए आप बाहर जाएंगी.
- अच्छी तरह जान लीजिए, मैं आपको बाहर निकाल सकती हूं.
- वो मम्माज़ ब्वॉय है, अगर आप ऐसा सोचती हैं तो ये तब तक मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता, जब तक आपकी शादी नहीं हो जाती.
- आप मेरे बेटे की इनचार्ज नहीं है और आप उसे बदल नहीं सकती हैं. वो जैसा है वैसे ही पसंद करें या फिर नियम नंबर 5 (अच्छी तरह जान लीजिए, मैं आपको बाहर निकाल सकती हूं. ) पढ़ लीजिए.
- मैंने उसे जेंटलमैन बनाया है, आप भी उसी तरह व्यवहार करें.
- मुझे पता है कि जेल कैसे नहीं जाना है.
- अगर आप इतने नियम पास करके आती हैं तो ये जान लीजिए मैं इससे भी ज्यादा बुरी हूं. मैं आपकी सास बनूंगी.
एम्मा ने जब ये रूलबुक पढ़ी तो वो सदमे में आ गई. इसके बाद उसने टिकटॉक (TikTok) पर इसे शयेर भी किया और लोगों को बताया कि उसके ब्वॉयफ्रेंड की मां ने ये रूलबुक बनाई है. इसे पढ़ने के बाद कुछ लोग तो उसे सांत्वना देने में जुटे हैं तो कुछ का कहना है कि ये बहुत डरावना है और उसे तुरंत अपने ब्वॉयफ्रेंड को छोड़ देना चाहिए.
जिसे मान लिया था मरा हुआ, वो 100 साल बाद लौट आया ! अब दुनिया हैरान
वैज्ञानिकों ने जिसका इस धरती से अस्तित्व ही 100 साल पहले खत्म घोषित कर दिया था, वो अब भी ज़िंदा है. अब दुनिया इस बात को देखकर हैरान है कि आखिर ये इतने दिन कहां रहा और इसका परिवार कहां है?
सोचिए, जिसे दुनिया मरा हुआ समझकर इतिहास बना चुकी हो, वो लौटकर आ जाए तो कैसा होगा? सब हैरान रह जाएंगे न ? तो ऐसी ही हैरानी वैज्ञानिकों को तब हुई, जब कछुए की उस प्रजाति का एक सदस्य उन्हें दिखाई दे गया, जिसे वे 100 साल पहले समाप्त मान चुके थे.
कछुओं की इस प्रजाति का नाम है शिलोनोयडिस फैंटास्टिकस (Chelonoidis phantasticus).इस प्रजाति की जो आखिरी सदस्य दिखाई दी है, वो मादा कछुआ है. ये पिछले 100 साल से (Extinct 100 Years ago) दिखाई नहीं दी लेकिन हाल ही में इक्वाडोर के गैलापैगोस आइलैंड (Galapagos Island) पर इसे वापस देखा गया है.
पूरी तरह स्वस्थ है मादा कछुआ
ये विशालकाय मादा कछुआ फर्नांडिना आइलैंड पर देखी गई थी. तब इसका हेल्थ चेक अप किया गया और खाने-पीने की व्यवस्था की गई. अब वैज्ञानिकों ने जब इसकी प्रजाति पता की तो वे चक्कर खा गए क्योंकि जिस प्रजाति को धरती से 100 साल पहले ही खत्म घोषित किया जा चुका था, ये मादा कछुआ उसी प्रजाति की है. इसकी उम्र 100 से भी ज्यादा है और ये पूरी तरह स्वस्थ है.
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अब वैज्ञानिक ढूंढेंगे इसका परिवार
मादा कछुआ को सांतक्रूज आइलैंड के ब्रीडिंग सेंटर में रखी गई है और अब वैज्ञानिक इसके जैसे और कछुओं की खोज करेंगे. उन्हें लगता है कि जिस आइलैंड पर ये मिली, वहां इस प्रजाति के और भी कछुए हो सकते हैं. इस कछुए के डीएनए टेस्ट का काम येल यूनिवर्सिटी (Yale University) के वैज्ञानिकों ने किया. उन्होंने 1906 में विलुप्त हुई प्रजाति के कछुओं के DNA से इसा मिलान किया तो पता चला ये उसी प्रजाति की है. शिलोनोयडिस फैंटास्टिकस (Chelonoidis phantasticus)कछुए को आखिरी बात 1906 में देखा गया था.
बेहद खास है गैलापैगोस आइलैंड
जहां से ये मादा कछुआ मिली है, वो गैलापैगोस आइलैंड भी बेहद खास है. ये वही जगह है जहां महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (British scientist Charles Darwin) ने इवोल्यूशन की ध्योरी रखी थी. यहां आज भी तमाम प्रजातियों के जीव-जंतु और पेड़-पौधे मौजूद हैं. यहां अकेले कछुओं की ही संख्या 60 हजार के करीब है. ये बात अलग है कि अब ये धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं.
इज़रायल में सत्ता की लंबी रेस के घोड़े बेंजामिन नेतन्याहू की दौड़ खत्म, एक नज़र उनके सफ़र पर
Benjamin Netanyahu Journey: दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी के प्रमुख बेंजामिन नेतन्याहू मार्च 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, इसके पहले वो 1996 और 1999 के बीच थोड़े वक्त के लिए सत्ता में आए थे.
नई दिल्ली. इज़रायल के राष्ट्रवादी कट्टरपंथी नेता नफ्ताली बेनेट ने घोषणा की है कि वह एक शक्तिशाली गठबंधन सरकार में शामिल होंगे. इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व में लंबे वक्त से चल रही सरकार का अंत हो सकता है. आईए इज़रायल में लंबे वक्त से सत्तासीन रहे नेतन्याहू के सफर पर नज़र डालते हैं. खासकर तब से जब वह 2009 के बाद दोबारा सत्ता में आए.
सत्ता में वापसी
दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी के प्रमुख मार्च बेंजामिन नेतन्याहू 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, इसके पहले वो 1996 और 1999 के बीच थोड़े वक्त के लिए सत्ता में आए थे. इसके बाद इन्होंने विदेश मंत्री रहे अति राष्ट्रवादी एविगडर लिबरमेन के साथ हाथ मिलाया. जनवरी 2013 में हुए आकस्मिक चुनाव के बाद नेतन्याहू ने कट्टरपंथियों के साथ गठबंधन किया, ये वो लोग थे जो 1967 में छह दिन चले युद्ध के दौरान फिलिस्तीन में ज़ब्त की गई ज़मीन पर कब्जा जमाना चाहते थे.
ग़ज़ा युद्धजुलाई 2014 में, इज़रायल ने हमास पर ग़ज़ा पट्टी में एक मिलेट्री ऑपरेशन लॉन्च किया और जो टनल तस्करी के लिए इस्तेमाल की जा रही थी, उन पर सीधे रॉकेट से निशाना साध कर उड़ाया जा रहा था. इस युद्ध में फिलिस्तीन के करीब 2,251 लोग मारे गए थे, इसमें से ज्यादातर नागरिक थे और वहीं इज़रायल की तरफ से 74 लोग मारे गए थे जिसमें ज्यादातर सैनिक थे.
दक्षिण-पंथी सरकार
मई 2015 में, नेतन्याहू ने चौथी बार संसद में विश्वास मत हासिल किया. एक साल बाद ही उन्होंने यिसरेल बेतन्यू पार्टी के साथ गठबंधन किया और उनके प्रमुख लिबरमैन को रक्षा मंत्री का पद दिया. ये इज़रायल के इतिहास में सबसे कट्टर दक्षिण पंथी सरकार थी. जून 2017 में, अंतर्राष्ट्रीय विचारधारा के खिलाफ जाते हुए, 1991 में फिलिस्तीन के इलाके में कब्जाई ज़मीन पर सरकार की स्वीकृत की गई पहली इमारत का काम शुरू किया.
जलता हुआ ग़ज़ा
मार्च 2018 में ग़ज़ा में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए जिसके तहत फिलिस्तीनियों ने इज़रायल स्थित अपने घर लौटने की मांग उठाई जहां से 1948 में यहूदी राष्ट्र बनने के बाद उन्हें निकाल बाहर कर दिया गया था. 2018 से दिसंबर 2019 तक 352 फिलिस्तिनी और इज़रायली आगजनी में मारे गए. आठ इज़रायली भी मारे गए.
राजनीतिक संकट
अप्रैल 2019 में लिकुद ने आम चुनाव में 120 में से 35 सीट जीती, इतनी ही सीटें नेतन्याहू के मध्यमार्गी विरोधी बैनी गांट्ज़ के हिस्से भी आई. नेतन्याहू बहुमत हासिल करने में नाकाम रहे. सितंबर 17 को नए चुनाव के बाद भी नेतन्याहू के लिकुद और गांट्ज़ के ब्लू और व्हाइट गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर रही. गठबंधन कोई नहीं बना पाया और तीसरे चुनाव की नौबत आ गई. इस बीच नेतन्याहू को समर्थन देने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2020 को मध्य पूर्व शांति योजना का अनावरण किया जो यहूदी राष्ट्र के पक्ष में है. चार अरब देश – यूएई, बहरिन, सुडान और मोरक्को ने इज़रायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य किए. ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करके इस शहर को इज़रायल की राजधानी की मान्यता दी जो एक तरह से नेतन्याहू को तोहफा था, इसके अलावा सिरियाई गोलन हाइट्स पर इज़रायल के कब्ज़े को भी मान्यता दी.
तीसरी बार गतिरोध
2 मार्च, 2020 को इज़रायल ने एक साल में तीसरी बार मतदान किया, लेकिन नेतन्याहू और गांट्ज़ के बीच फिर गतिरोध पैदा हुआ. महीना खत्म होने तक इज़रायल की अदालत ने नेतन्याहू पर लगे भ्रष्टाचार के केस की सुनवाई को टाल दिया और कोविड-19 के मामले बढ़ते गए, इस बीच गांट्ज़ ने अंतरिम आपातकाल सरकार के लिए एक करार किया. अप्रैल 20 को नेतन्याहू और गांट्ज़ ने तीन साल की एकजुट सरकार बनाई. समझौता हुआ कि नेतन्याहू 18 महीने के लिए प्रधानमंत्री रहेंगे, वहीं गांट्ज़ रक्षा मंत्री रहेंगे. फिर नए चुनाव से पहले 18 महीनों के लिए गांट्ज़ कुर्सी संभालेंगे, लेकिन यह डील ज्यादा नहीं चली.
दो साल में चौथा चुनाव
दो साल में चौथी बार हुए नए चुनाव में लिकुद ने बाज़ी मारी, लेकिन नेतन्याहू की बात नहीं बनी. इज़रायल के राष्ट्रपति ने नेतन्याहू से सरकार बनाने के लिए कहा, लेकिन वह फिर डगमगा गए. मई 5 को विपक्षी नेता लापिड पर सरकार बनाने का जिम्मा आया. नेतन्याहू को झटका देते हुए कट्टर राष्ट्रवादी नेता नफतीली बेनेट ने कहा कि वह मजबूत सरकार बनाने के लिए दोस्त लापिड का साथ देंगे. नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा होगा.
Video: इंडोनेशियाई नौका में लगी आग, तो समुद्र में ऐसे कूदकर बचाई लोगों ने जान
पूर्वी इंडोनेशिया में नौका में लगी आग (Fire) के बाद जहां सैंकड़ों लोगों को बचा लिया गया है. वहीं अभी भी एक लापता शख्स (Missing Person) की तलाश जारी है.
जकार्ता. पूर्वी इंडोनेशिया में शनिवार तड़के एक नौका (Ferry) में आग लग गई थी. नौका में चालक दल के सदस्यों समेत 200 लोग सवार थे और सभी आग लगने पर जान बचाने के लिए समुद्र में कूद गए. रविवार को अधिकारियों ने बताया कि पानी में कूदे सैकड़ों लोगों को बचाए जाने के बाद अब भी लापता (Missing) हुए एक शख्स की तलाश जारी है.
समुद्री परिवहन महानिदेशालय के प्रवक्ता विष्णु वरदाना ने बताया कि के एम कार्य इंदाह नामक नौका लीमाफटोला द्वीप पर स्थित सनाना बंदरगाह की ओर जा रही थी. नौका ने अपनी यात्रा शुरू की, उसके करीब 15 मिनट बाद ही उसमें आग लग गयी. वरदाना ने बताया कि 22 बच्चों समेत सभी 181 यात्रियों व चालक दल के 14 सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया गया. हादसे का शिकार हुए लोगों ने बताया कि आग नौका के इंजन में लगी थी.
ये भी पढ़ें: श्रीलंका: जहाज में आग लगने के बाद अब आसमान से तेजाब बरसने का डर: अधिकारीउन्होंने बताया कि आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है. गौरतलब है कि इंडोनेशिया में नौका दुर्घटना काफी आम बात है. इंडोनेशिया 17,000 से अधिक द्वीपों वाला दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपसमूह राष्ट्र है.
मेहुल चोकसी को लेकर एंटीगा मीडिया का दावा-गर्लफ्रेंड से मिलते वक्त हुआ अपहरण
कहा जा रहा है कि 23 मई को वो महिला मित्र के साथ डिनर के लिए जा रहे थे. लेकिन रेस्टोरेंट पहुंचने से पहले ही उनका अपहरण हो गया. दावा किया जा रहा है कि चोकसी करीब एक साल से बारबरा नाम की महिला के संपर्क में थे.
नई दिल्ली. पंजाब नेशनल बैंक यानी पीएनबी स्कैम (PNB Scam) मामले में पिछले दो साल से फरार चल रहे आरोपी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को लेकर लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. एंटीगा की मीडिया ने दावा किया है कि चोकसी अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए बाहर गए थे और इसी दौरान उनका अपहरण हो गया. बता दें कि चोकसी इस वक्त कैरेबियाई देश डोमिनिका रिपब्लिक में है. वो डोमिनिका से सीधे भारत आएगा या नहीं इसको लेकर 2 जून को फैसला आ सकता है. मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को लेकर इसी दिन हाईकोर्ट में सुनवाई होगी.
एंटीगा मीडिया ने मेहुल चोकसी के वकीलों के हवाले से दावा किया है कि वो अपनी महिला मित्र से मिलने गए थे और तभी उनका अपहरण हो गया. कहा जा रहा है कि 23 मई को वो महिला मित्र के साथ डिनर के लिए जा रहे थे. लेकिन रेस्टोरेंट पहुंचने से पहले ही उनका अपहरण हो गया. दावा किया जा रहा है कि चोकसी करीब एक साल से बारबरा नाम की महिला के संपर्क में थे. इससे पहले एंटीगा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्रॉने ने भी चोकसी के एक महिला से रिश्ते का ज़िक्र किया था. उन्होंने कहा था कि वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ अच्छा वक्त बिताने डोमिनिका गए थे.
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इससे पहले एंटीगा की पुलिस ने इन आरोपों का खंडन किया था कि चोकसी का अपहरण किया गया और उन्हें ज़ोर जबरदस्ती डोमिनिका ले जाया गया. एंटीगा के पुलिस कमिश्नर एटली रॉडनी का कहना था कि मेहुल चोकसी बोट से डोमिनिका गए और उन्हें वहां ले जाने में एंटीगा पुलिस की कोई भूमिका नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि चोकसी को जॉली हार्बर से जबरदस्ती ले जाया गया.
ह्यूस्टन: धोखाधड़ी के जुर्म में भारतीय-अमेरिकी नर्स को 20 साल की जेल
अमेरिका (America) में एक भारतीय-अमेरिकी नर्स को स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी के एक मामले में भूमिका के लिए 20 साल की जेल (Prison) की सजा सुनाई गई.
ह्यूस्टन. एक भारतीय-अमेरिकी नर्स को अमेरिका (America) में स्वास्थ्य देखभाल धोखाधड़ी के एक मामले में भूमिका के लिए 20 साल की जेल (Prison) की सजा सुनाई गई और 5.2 करोड़ डॉलर से अधिक का हर्जाना भरने का आदेश दिया. टेक्सास की नॉर्दर्न डिस्ट्रिक्ट के कार्यवाहक अमेरिकी अटॉर्नी प्रेरक शाह ने बताया कि त्रिविकराम रेड्डी (39) ने अक्टूबर 2020 में धोखाधड़ी करने की साजिश रचने का गुनाह कबूल कर लिया.
उस पर मेडीकेयर तथा निजी बीमा प्रदाताओं को धोखा देने के लिए एक साजिश में शामिल होने का आरोप है और उसे 25 मई को सजा सुनाई गई. अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, नर्स के तौर पर काम कर रहे रेड्डी ने कई बीमा कंपनियों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए एक साजिश रची.
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अभियोजकों ने बताया कि रेड्डी ने छह डॉक्टरों के नंबरों का इस्तेमाल कर मरीजों के फर्जी बिल बनाए और यह दावा किया कि उक्त डॉक्टर इन मरीजों का इलाज कर रहे हैं जबकि उन्होंने कभी उनका इलाज नहीं किया.
जंगल में पर्यटकों को देखकर जिराफ को आ गया गुस्सा, Video देखें फिर क्या हुआ
सोशल मीडिया पर एक वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रहा है जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे जंगल सफारी के लिए गए पर्यटकों को देखकर एक जिराफ (Giraffe) को भयंकर गुस्सा आ गया. उसके बाद उसने पर्यटकों (Tourists) की जीप का पीछा किया. आगे क्या हुआ ये जानने के लिए आप इस वीडियो को देखिए.
सोशल वायरल. आपने कई बार हाथी के गुस्से वाले वीडियो तो देखे होंगे, लेकिन किसी दूसरे जानवर के गुस्से वाले वीडियो शायद ही आपने कभी देखें हों. सोशल मीडिया में आज हमें एक ऐसा वीडियो मिला जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे. इस वीडियो में आप एक जिराफ को गुस्से में देख सकते हैं. इस वीडियो को ब्रिटिश अखबार द सन ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है. ये वीडियो केन्या का बताया बताया जा रहा है. जहां जंगल सफारी के लिए गए पर्यटकों को देखकर एक जिराफ (Giraffe) को भयंकर गुस्सा आ गया. उसके बाद उसने पर्यटकों (Tourists) की जीप का पीछा किया. आगे क्या हुआ ये जानने के लिए आप इस वीडियो को देखिए.
30 मई को शेयर किए गए इस वीडियो को अब तक दो लाख 13 हजार से ज्यादा बार देखा जा चुका है. बता दें कि जंगली जानवरों को तब गुस्सा आ जाता है जब उन्हें जंगल में कोई इंसान दिखाई देता है और उससे उन्हें अपनी सुरक्षा खतरे में पड़ते हुए दिखती है उसके बाद वह इंसानों पर हमला कर देता है. इस वीडियो में भी कुछ ऐसा ही हुआ जब कुछ लोग जंगल सफाई के लिए एक जीप से पहुंचे थे. तभी एक जिराफ ने उन्हें देख लिया और वह गुस्सा हो गया.
वीडियो में देखा जा सकता है कि जब जिराफ को गुस्सा आया तो वह पर्यटकों की जीप के पीछे भागने लगा. जिराफ को देखकर पर्यटक डर गए और उन्होंने अपनी जीप को तेजी से दौड़ाना शुरु कर दिया, लेकिन जिराफ इतना गुस्से में था कि वह इतनी तेज दौड़ा कि कुछ ही सेकंड में जीप से आगे निकल गया. जिराफ को जीप के पीछे भागता देख पर्यटक जोर-जोर से हंसने लगे. बता दें कि जिराफ शाकाहारी जानवर होते हैं और वह गुस्से में भी इंसानों को शेर, तेंदुआ या हाथी की तरह ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकते.
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इसलिए पर्यटकों को इस बात की जरा सी भी फिक्र नहीं थी कि गुस्साया जिराफ उनकी जान ले सकता है. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जिराफ भी इंसानों को अपनी टांगों या गर्दन से भी घायल तो कर ही सकता है. जैसे ही जिराफ जीप से आगे निकला वह जीप के सामने खड़ा हो गया. जिससे पर्यटक फिर से घबरा गए और रिवर्स गियर में ही जीप को दौड़ाने लगे.
Corona Side Effects: रिसर्च में दावा-कोरोना से ठीक हो चुके 14% मरीजों को हो रही है नई बीमारी
कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में बढ़ रही और कई तरह की दिक्कत. (प्रतिकात्मक तस्वीर)
Corona Side Effects: ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण जाते-जाते भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पीछे छोड़ जाता है. कोरोना संक्रमित 14 फीसदी मरीजों को फिर से अस्पताल का रुख करना पड़ता है.
लंदन. चीन से पिछले साल दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से भले ही कोई मरीज ठीक हो गया हो लेकिन उसमें कई तरह की नई बीमारियों (Disease) को खतरा बना रहता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 संक्रमण जाते-जाते भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पीछे छोड़ जाता है. शोध के मुताबिक कोरोना से संक्रमित 14 फीसदी मरीजों के शरीर को कोरोना इस कदर प्रभावित करता है कि उन्हें फिर से अस्पताल का रुख करना पड़ता है.
लंदन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पिछले साल 1 जनवरी से 31 अक्तूबर के बीच कोरोना से संक्रमित होने वाले 1,93,113 मरीजों की सेहत का अध्ययन किया. इस शोध में 18 से 65 साल के उम्र वाले मरीजों को रखा गया था. इस शोध में इन मरीजों के कोरोना संक्रमित होने के 21 दिन तक उनके शरीर में हो रहे बदलाव पर नजर रखी. शोधकर्ताओं ने नेशनल क्लेम्स डाटा का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया कि वायरस को मात देने के छह महीने के भीतर इन मरीजों ने किन नई बीमारियों का सामना किया है.
इसे भी पढ़ें :- बढ़ा खतरा: जिनको कभी नहीं हुआ कोरोना, उन पर भी हो रहा ब्लैक फंगस का हमलाशोध से मिले आंकड़ों की तुलना ऐसे मरीजों से की कई जो कोरोना से कभी संक्रमित नहीं हुए. शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना की चपेट में आने वाले 14 फीसदी मरीजों में कम से कम एक नई स्वास्थ्य समस्या देखी गई. इन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण कोरोना मरीजों को अस्पताल का रुख भी करना पड़ा. स्वस्थ लोगों के मुकाबले कोविड-19 पर जीत हासिल करने वाले रोगियों के किसी नई बीमारी के कारण अस्पतालों में भर्ती होने की दर भी पांच फीसदी ज्यादा पाई गई है.इसे भी पढ़ें :- Cocktail Drug in India: दिल्ली में आज से मिल सकता है कॉकटेल ड्रग, केवल एक डोज से होगा कोविड का इलाज
युवाओं में इसका खतरा सबसे ज्यादा
मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर इलेन मैक्सवेल ने बताया कि युवाओं में कोरोना से ठीक होने के बाद भी नई बीमारी का खतरा ज्यादा देखा गया है. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और बीमार मरीजों की तुलना में नई बीमारी से युवा ज्यादा प्रभावित दिख रहे हैं. इनमें वो मरीज भी शामिल हैं, जिन्हें पहले कभी भी सेहत संबंधी कोई परेशानी नहीं हुई थी.
लंदन. चीन से पिछले साल दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से भले ही कोई मरीज ठीक हो गया हो लेकिन उसमें कई तरह की नई बीमारियों (Disease) को खतरा बना रहता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal) में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 संक्रमण जाते-जाते भी कई स्वास्थ्य समस्याएं पीछे छोड़ जाता है. शोध के मुताबिक कोरोना से संक्रमित 14 फीसदी मरीजों के शरीर को कोरोना इस कदर प्रभावित करता है कि उन्हें फिर से अस्पताल का रुख करना पड़ता है.
लंदन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पिछले साल 1 जनवरी से 31 अक्तूबर के बीच कोरोना से संक्रमित होने वाले 1,93,113 मरीजों की सेहत का अध्ययन किया. इस शोध में 18 से 65 साल के उम्र वाले मरीजों को रखा गया था. इस शोध में इन मरीजों के कोरोना संक्रमित होने के 21 दिन तक उनके शरीर में हो रहे बदलाव पर नजर रखी. शोधकर्ताओं ने नेशनल क्लेम्स डाटा का विश्लेषण कर इस बात का पता लगाया कि वायरस को मात देने के छह महीने के भीतर इन मरीजों ने किन नई बीमारियों का सामना किया है.
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युवाओं में इसका खतरा सबसे ज्यादा
मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर इलेन मैक्सवेल ने बताया कि युवाओं में कोरोना से ठीक होने के बाद भी नई बीमारी का खतरा ज्यादा देखा गया है. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और बीमार मरीजों की तुलना में नई बीमारी से युवा ज्यादा प्रभावित दिख रहे हैं. इनमें वो मरीज भी शामिल हैं, जिन्हें पहले कभी भी सेहत संबंधी कोई परेशानी नहीं हुई थी.ऐसे भी होता है अंतिम संस्कार, कहीं कब्र से निकाल लेते हैं खोपड़ी तो कहीं गिद्धों को खिला देते हैं शव !
इंसान से जुड़ा हुआ आखिरी सांसारिक रिवाज़ है उसका अंतिम संस्कार. हर देश, धर्म और जाति में इंसान का अंतिम संस्कार उसकी परंपरा और रिवाज़ के मुताबिक होता है. हिंदू धर्म में शव को जलाने की परंपरा है तो मुस्लिम और इसाई धर्म में शव को दफनाया जाता है. दुनिया में भांति-भांति के लोग हैं और अनोखी हैं उनकी परंपराएं. ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि इसी दुनिया में कुछ जगहों पर अपने प्रियजनों के शव को उनकी कब्र से बार-बार खोदकर निकाला जाता है या उनके टुकड़े-टुकड़े कर गिद्धों को भोजन करा दिया है, तो शायद आप हमारी बात का यकीन न कर पाएं लेकिन ये सच है. चलिए कुछ ऐसी ही अनोखे अंतिम संस्कार के रिवाज़ों से आपको रूबरू कराते हैं -
दुनिया में भांति-भांति के लोग हैं और अनोखी हैं उनकी परंपराएं. ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि इसी दुनिया में कुछ जगहों पर अपने प्रियजनों के शव को उनकी कब्र से बार-बार खोदकर निकाला जाता है या उनके टुकड़े-टुकड़े कर गिद्धों को भोजन करा दिया है, तो शायद आप हमारी बात का यकीन न कर पाएं लेकिन ये सच है. चलिए कुछ ऐसी ही अनोखे अंतिम संस्कार के रिवाज़ों को जानना दिलचस्प है.
मदागास्कर नाम की जगह पर रहने वाली मालागासी जनजाति में अंतिम संस्कार की परंपरा का नाम है - फामादिहाना. इस परंपरा के तहत मर चुके परिजन के शव को पहले तो दफनाया जाता है. इसके कुछ सालों बाद शव के अवशेषों को निकालकर साफ कपड़े में लपेटते हैं और इस प्रक्रिया को उत्सव की तरह नाच-गाने के साथ मनाया जाता है. फामादिहाना हर 7 साल के बाद यूं ही सेलिब्रेट किया जाता है.
चीन और फिलीपींस में कई जगहों पर इंसान की मौत के बाद उनके शवों को दफनाया नहीं जाता बल्कि ताबूत में रखकर ऊंचे चट्टानों पर लटका दिया जाता है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इससे मृतक की आत्म सीधे स्वर्ग में पहुंच जाती है. इसके अलावा वह कीटों और पक्षियों से भी सुरक्षित रहती है.
ऐसी ही अनोखी अंतिम संस्कार की परंपरा पापुआ न्यू गिनी के अंगा जनजाति के लोग अपनाते हैं. यहां मृतक के शव को थोड़ा जलाया जाता है और फिर अधजले शव की ममी बनाकर उसे पहाड़ों पर हमेशा के लिए सुरक्षित करके रख दिया जाता है. मान्यता है कि इस तरह शव पहाड़ियों से गांव पर हमेशा नज़र रखते हैं.
घाना में क्रिश्चियन फ्यूनरल की परंपरा सबसे ज्यादा दिलचस्प है. यहां मृतक के पेशे और और उसकी ज़िंदगी के आधार पर ही कॉफ़िन का चुनाव होता है. जैसे अगर मरने वाला मछुआरा है तो उसे नाव जैसे कॉफ़िन में दफ़न किया जाता है और मरने वाला अगर बिजनेसमैन तो उसे बीएमडब्ल्यू जैसे कॉफ़िन में दफनाया जाएगा. बताते हैं ये परंपरा 60 साल से चली आ रही है.
किरिबती में किसी इंसान की मौत के बाद उसके शरीर को 12 दिन तक घर में रखा जाता है. जब हर कोई उनके दर्शन कर लेता है तो उन्हें कब्र में दफ़ना दिया जाता है. कुछ महीनों बाद फिर कब्र को खोदकर शव से खोपड़ी को निकाल लिया जाता है और उसकी साफ-सफाई करके रिश्तेदारों और दोस्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस तरह मृतक उनके भगवान नका से मिल जाता है.
तिब्बत के बौद्ध समुदाय में इंसान की मौत के बाद उसके शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें गिद्धों को खिला दिया जाता है. यहां यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है, जिसे नियिंगमा परंपरा (स्काई बरियल) कहा जाता है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि मृत व्यक्ति के शव को अगर गिद्ध खाएं तो उनकी उड़ान के साथ उस व्यक्ति की आत्मा भी स्वर्ग में पहुंच जाती है. जबकि वो आखिरी वक्त तक प्राणियों की तृप्ति के काम आता है
दुनिया में भांति-भांति के लोग हैं और अनोखी हैं उनकी परंपराएं. ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि इसी दुनिया में कुछ जगहों पर अपने प्रियजनों के शव को उनकी कब्र से बार-बार खोदकर निकाला जाता है या उनके टुकड़े-टुकड़े कर गिद्धों को भोजन करा दिया है, तो शायद आप हमारी बात का यकीन न कर पाएं लेकिन ये सच है. चलिए कुछ ऐसी ही अनोखे अंतिम संस्कार के रिवाज़ों को जानना दिलचस्प है.
मदागास्कर नाम की जगह पर रहने वाली मालागासी जनजाति में अंतिम संस्कार की परंपरा का नाम है - फामादिहाना. इस परंपरा के तहत मर चुके परिजन के शव को पहले तो दफनाया जाता है. इसके कुछ सालों बाद शव के अवशेषों को निकालकर साफ कपड़े में लपेटते हैं और इस प्रक्रिया को उत्सव की तरह नाच-गाने के साथ मनाया जाता है. फामादिहाना हर 7 साल के बाद यूं ही सेलिब्रेट किया जाता है.
चीन और फिलीपींस में कई जगहों पर इंसान की मौत के बाद उनके शवों को दफनाया नहीं जाता बल्कि ताबूत में रखकर ऊंचे चट्टानों पर लटका दिया जाता है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इससे मृतक की आत्म सीधे स्वर्ग में पहुंच जाती है. इसके अलावा वह कीटों और पक्षियों से भी सुरक्षित रहती है.
ऐसी ही अनोखी अंतिम संस्कार की परंपरा पापुआ न्यू गिनी के अंगा जनजाति के लोग अपनाते हैं. यहां मृतक के शव को थोड़ा जलाया जाता है और फिर अधजले शव की ममी बनाकर उसे पहाड़ों पर हमेशा के लिए सुरक्षित करके रख दिया जाता है. मान्यता है कि इस तरह शव पहाड़ियों से गांव पर हमेशा नज़र रखते हैं.
घाना में क्रिश्चियन फ्यूनरल की परंपरा सबसे ज्यादा दिलचस्प है. यहां मृतक के पेशे और और उसकी ज़िंदगी के आधार पर ही कॉफ़िन का चुनाव होता है. जैसे अगर मरने वाला मछुआरा है तो उसे नाव जैसे कॉफ़िन में दफ़न किया जाता है और मरने वाला अगर बिजनेसमैन तो उसे बीएमडब्ल्यू जैसे कॉफ़िन में दफनाया जाएगा. बताते हैं ये परंपरा 60 साल से चली आ रही है.
किरिबती में किसी इंसान की मौत के बाद उसके शरीर को 12 दिन तक घर में रखा जाता है. जब हर कोई उनके दर्शन कर लेता है तो उन्हें कब्र में दफ़ना दिया जाता है. कुछ महीनों बाद फिर कब्र को खोदकर शव से खोपड़ी को निकाल लिया जाता है और उसकी साफ-सफाई करके रिश्तेदारों और दोस्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है. मान्यता है कि इस तरह मृतक उनके भगवान नका से मिल जाता है.
तिब्बत के बौद्ध समुदाय में इंसान की मौत के बाद उसके शव के छोटे-छोटे टुकड़े कर उन्हें गिद्धों को खिला दिया जाता है. यहां यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है, जिसे नियिंगमा परंपरा (स्काई बरियल) कहा जाता है. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि मृत व्यक्ति के शव को अगर गिद्ध खाएं तो उनकी उड़ान के साथ उस व्यक्ति की आत्मा भी स्वर्ग में पहुंच जाती है. जबकि वो आखिरी वक्त तक प्राणियों की तृप्ति के काम आता है
जानें क्या है ग़ज़ा पट्टी, जहां पर रॉकेट बरसाकर हमला कर रहा है इजरायल
यरूशलम में हिंसा भड़कने के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर लगातार रॉकेट से हमले किए हैं. आखिर कौन सा है ये गाजा पट्टी का इलाका, जो पिछले कुछ दशकों से हिंसा से ग्रस्त रहा है. साथ ही इजरायल के साथ इस क्षेत्र में लगातार तनातनी भी जारी रहती है.
इजरायल और फिलीस्तीन के बीच लंबे समय से चली आ रही लड़ाई 10 मई को देर रात फिर छोटे-से युद्ध में बदल गई.पहले गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले हमास ने यरूशलम पर 07 रॉकेट दागे. इसके बाद तो इजरायल ने ताबड़तोड़ राकेट से हमलाकर ग़ज़ा के कई इलाकों को तबाह कर दिया. पिछले कुछ बरसों में ग़ज़ा लगातार घमासान का केंद्र रहा है. ग़ज़ा पट्टी एक जमाने में इजरायल के नियंत्रण में था लेकिन पिछले एक दशक से इस फिलीस्तीन अथारिटी का शासन है और इसे हमास संचालित कर रहा है.
ग़ज़ा पट्टी इजरायल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक 6-10 किंमी. चौड़ी और कोई 45 किमी लम्बा क्षेत्र है. इसके तीन ओर इजरायल का नियंत्रण है. दक्षिण में मिस्र है. पश्चिम की दिशा में भूमध्यसागर में इसकी जलीय सीमा इजरायल द्वारा नियंत्रित होती है. इसका नाम इसके प्रमुख शहर ग़ज़ा (उच्चारण ग़ाज़्ज़ा भी होता है) पर पड़ा है. इसका दूसरा प्रमुख शहर इसके दक्षिण में स्थित राफ़ा है जो मिस्र की सीमा से लगा है. ग़ज़ापट्टी में करीब 15 लाख लोग रहते हैं, जिसमें 04 लाख से ज्यादा लोग अकेले ग़ज़ा शहर में रहते हैं.
ग़ज़ापट्टी का इतिहास 1948 में इजरायल के बनने के साथ शुरू होता है. 1948 में इजरायल के निर्माण के बाद यहां बसे अरबों के लिए अर्मिस्टाइस रेखा बनाई गई, जिसके तहत ग़ज़ा पट्टी में अरब, मुस्लिमों को रहना तय किया गया और ये तय किया गया कि यहूदी इजरायल मे रहेंगे. 1948 से लेकर 1967 तक इस पर मिस्र का अधिकार था. लेकिन 1967 में 06 दिन की लड़ाई के बाद इजरायल ने अरब देशों को निर्णायक रूप से हरा दिया. ग़ज़ा पट्टी पर इजरायल का कब्जा हो गया. जो 25 सालों तक चला.
दिसंबर 1987 में ग़ज़ा पट्टी में भीषण विद्रोह हुआ. इसके बाद 1994 में ये तय किया गया कि ये इलाका चरणबद्ध तरीके से फिलीस्तीन अथारिटी (पीए) को स्थानांतरित कर दिया जाएगा. वर्ष 2000 में इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने नई योजना के तहत गाज़ा इलाके से इजरायली सैनिकों को हटाने और स्थानीय नागरिकों को बसाने की योजना बनाई. वर्ष 2005 में इसका नियंत्रण पीए को दे दिया गया लेकिन इजरायल ने गश्त जारी रखी. हालांकि 2007 में हमास के अगुवाई वाली पार्टी ने इस पर कब्जा कर लिया. लेकिन इसके बाद से इजरायल इस इलाके को ना केवल सीमाबंद कर चुका है बल्कि कई प्रतिबंध भी लगाता रहा है.
ग़ज़ा दुनिया भर में सबसे घनी आबादी वाला इलाक़ा है. प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 4,505 लोग रहते हैं. अनुमान के मुताबिक़ 2020 तक यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 5,835 लोग रहने लगे. 2020 तक इसकी आबादी 21 लाख के क़रीब हो गई. आबादी में 53 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग युवा हैं.
ग़ज़ा की 21 फ़ीसदी आबादी बेहद ग़रीब है. ये लोग रोज़ाना 18 डॉलर से कम पर गुज़र बसर करने को मजबूर हैं. यहां बेरोज़गारी दर 40.8 फ़ीसदी है. युवाओं में बेरोज़गारी दर 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा है. यहां की सरकार के पास इतना पैसा नहीं है कि वे अपने 50 हज़ार कर्मचारियों को समय पर वेतन दे पाएं.
ग़ज़ा के 694 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में क़रीब 4.63 लाख बच्चे पढ़ते हैं. ज़्यादातर स्कूल संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित होते हैं. इनमें से अधिकांश स्कूल दोहरी शिफ़्ट में चलते हैं. हालांकि यहां शिक्षा की दर काफ़ी ऊंची है. 93 फ़ीसदी महिलाएं और 98 फ़ीसदी पुरुष साक्षर हैं.
ग़ज़ा में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. बिजली के अभाव में अस्पताल में समय से लोगों को उपचार नहीं मिल पाता. इसके लिए ग़ज़ा मिस्र और इसराइल पर निर्भर रहा है. क़रीब 20 फ़ीसदी लोग इलाज के लिए और 25 फ़ीसदी लोग दवाओं के लिए मिस्र जाते रहे थे, लेकिन मिस्र ने भी अपनी सीमा बंद कर दी. हालांकि इलाज के लिए ग़ज़ा के लोगों को इसराइल में प्रवेश की सुविधा मिली हुई है.
ग़ज़ा की 80 फ़ीसदी आबादी भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर है. लोगों के पास अनाज ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं. 2012 से 2013 के बीच ग़ज़ा में ख़ाद्य असुरक्षा 44 फ़ीसदी से बढ़कर 57 फ़ीसदी पर पहुंच गई है. इसराइल की ओर से घोषित संघर्ष क्षेत्र में खेती पर रोक से ग़ज़ा का अनाज उत्पादन 75 हज़ार टन कम हो गया है. समुद्री क्षेत्र में मछली मारने के लिए लगाए प्रतिबंध से भी ग़ज़ा के लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं.
ग़ज़ा के लोग हर दिन बिजली संकट का सामना करते हैं. ग़ज़ा को बिजली इसराइल और मिस्र से मिलती है. देश में एक ही बिजली प्लांट है. कई घरों में जेनरेटर की सुविधा है, लेकिन इसके लिए काफ़ी महंगा ईंधन ख़रीदना पड़ता है. बिजली की कमी का असर दूसरी सुविधाओं पर भी होता है.
ग़ज़ा में नाममात्र की बारिश होती है. जल की खपत बढ़ रही है, ऐसे में संकट भी बढ़ रहा है. देश में 5.5 फ़ीसदी लोगों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के मुताबिक़ पीने का पानी मिलता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ करीब 3.5 लाख लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं. यहां गंदे पानी के निकास का समुचित प्रबंध नहीं है. क़रीब नौ करोड़ लीटर गंदा पानी हर रोज़ भूमध्य सागर में गिरता है, जिसका असर आम लोगों की सेहत और जलीय जीव जंतुओं पर पड़ रहा है.
इजरायल और फिलीस्तीन के बीच लंबे समय से चली आ रही लड़ाई 10 मई को देर रात फिर छोटे-से युद्ध में बदल गई.पहले गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले हमास ने यरूशलम पर 07 रॉकेट दागे. इसके बाद तो इजरायल ने ताबड़तोड़ राकेट से हमलाकर ग़ज़ा के कई इलाकों को तबाह कर दिया. पिछले कुछ बरसों में ग़ज़ा लगातार घमासान का केंद्र रहा है. ग़ज़ा पट्टी एक जमाने में इजरायल के नियंत्रण में था लेकिन पिछले एक दशक से इस फिलीस्तीन अथारिटी का शासन है और इसे हमास संचालित कर रहा है.
ग़ज़ा पट्टी इजरायल के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक 6-10 किंमी. चौड़ी और कोई 45 किमी लम्बा क्षेत्र है. इसके तीन ओर इजरायल का नियंत्रण है. दक्षिण में मिस्र है. पश्चिम की दिशा में भूमध्यसागर में इसकी जलीय सीमा इजरायल द्वारा नियंत्रित होती है. इसका नाम इसके प्रमुख शहर ग़ज़ा (उच्चारण ग़ाज़्ज़ा भी होता है) पर पड़ा है. इसका दूसरा प्रमुख शहर इसके दक्षिण में स्थित राफ़ा है जो मिस्र की सीमा से लगा है. ग़ज़ापट्टी में करीब 15 लाख लोग रहते हैं, जिसमें 04 लाख से ज्यादा लोग अकेले ग़ज़ा शहर में रहते हैं.
ग़ज़ापट्टी का इतिहास 1948 में इजरायल के बनने के साथ शुरू होता है. 1948 में इजरायल के निर्माण के बाद यहां बसे अरबों के लिए अर्मिस्टाइस रेखा बनाई गई, जिसके तहत ग़ज़ा पट्टी में अरब, मुस्लिमों को रहना तय किया गया और ये तय किया गया कि यहूदी इजरायल मे रहेंगे. 1948 से लेकर 1967 तक इस पर मिस्र का अधिकार था. लेकिन 1967 में 06 दिन की लड़ाई के बाद इजरायल ने अरब देशों को निर्णायक रूप से हरा दिया. ग़ज़ा पट्टी पर इजरायल का कब्जा हो गया. जो 25 सालों तक चला.
दिसंबर 1987 में ग़ज़ा पट्टी में भीषण विद्रोह हुआ. इसके बाद 1994 में ये तय किया गया कि ये इलाका चरणबद्ध तरीके से फिलीस्तीन अथारिटी (पीए) को स्थानांतरित कर दिया जाएगा. वर्ष 2000 में इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने नई योजना के तहत गाज़ा इलाके से इजरायली सैनिकों को हटाने और स्थानीय नागरिकों को बसाने की योजना बनाई. वर्ष 2005 में इसका नियंत्रण पीए को दे दिया गया लेकिन इजरायल ने गश्त जारी रखी. हालांकि 2007 में हमास के अगुवाई वाली पार्टी ने इस पर कब्जा कर लिया. लेकिन इसके बाद से इजरायल इस इलाके को ना केवल सीमाबंद कर चुका है बल्कि कई प्रतिबंध भी लगाता रहा है.
ग़ज़ा दुनिया भर में सबसे घनी आबादी वाला इलाक़ा है. प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 4,505 लोग रहते हैं. अनुमान के मुताबिक़ 2020 तक यहां प्रति वर्ग किलोमीटर 5,835 लोग रहने लगे. 2020 तक इसकी आबादी 21 लाख के क़रीब हो गई. आबादी में 53 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग युवा हैं.
ग़ज़ा की 21 फ़ीसदी आबादी बेहद ग़रीब है. ये लोग रोज़ाना 18 डॉलर से कम पर गुज़र बसर करने को मजबूर हैं. यहां बेरोज़गारी दर 40.8 फ़ीसदी है. युवाओं में बेरोज़गारी दर 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा है. यहां की सरकार के पास इतना पैसा नहीं है कि वे अपने 50 हज़ार कर्मचारियों को समय पर वेतन दे पाएं.
ग़ज़ा के 694 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में क़रीब 4.63 लाख बच्चे पढ़ते हैं. ज़्यादातर स्कूल संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित होते हैं. इनमें से अधिकांश स्कूल दोहरी शिफ़्ट में चलते हैं. हालांकि यहां शिक्षा की दर काफ़ी ऊंची है. 93 फ़ीसदी महिलाएं और 98 फ़ीसदी पुरुष साक्षर हैं.
ग़ज़ा में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. बिजली के अभाव में अस्पताल में समय से लोगों को उपचार नहीं मिल पाता. इसके लिए ग़ज़ा मिस्र और इसराइल पर निर्भर रहा है. क़रीब 20 फ़ीसदी लोग इलाज के लिए और 25 फ़ीसदी लोग दवाओं के लिए मिस्र जाते रहे थे, लेकिन मिस्र ने भी अपनी सीमा बंद कर दी. हालांकि इलाज के लिए ग़ज़ा के लोगों को इसराइल में प्रवेश की सुविधा मिली हुई है.
ग़ज़ा की 80 फ़ीसदी आबादी भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर है. लोगों के पास अनाज ख़रीदने के लिए पैसे नहीं हैं. 2012 से 2013 के बीच ग़ज़ा में ख़ाद्य असुरक्षा 44 फ़ीसदी से बढ़कर 57 फ़ीसदी पर पहुंच गई है. इसराइल की ओर से घोषित संघर्ष क्षेत्र में खेती पर रोक से ग़ज़ा का अनाज उत्पादन 75 हज़ार टन कम हो गया है. समुद्री क्षेत्र में मछली मारने के लिए लगाए प्रतिबंध से भी ग़ज़ा के लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं.
ग़ज़ा के लोग हर दिन बिजली संकट का सामना करते हैं. ग़ज़ा को बिजली इसराइल और मिस्र से मिलती है. देश में एक ही बिजली प्लांट है. कई घरों में जेनरेटर की सुविधा है, लेकिन इसके लिए काफ़ी महंगा ईंधन ख़रीदना पड़ता है. बिजली की कमी का असर दूसरी सुविधाओं पर भी होता है.
ग़ज़ा में नाममात्र की बारिश होती है. जल की खपत बढ़ रही है, ऐसे में संकट भी बढ़ रहा है. देश में 5.5 फ़ीसदी लोगों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के मुताबिक़ पीने का पानी मिलता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ करीब 3.5 लाख लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं. यहां गंदे पानी के निकास का समुचित प्रबंध नहीं है. क़रीब नौ करोड़ लीटर गंदा पानी हर रोज़ भूमध्य सागर में गिरता है, जिसका असर आम लोगों की सेहत और जलीय जीव जंतुओं पर पड़ रहा है.
COVID-19: अनलॉक के लिए दिल्ली तैयार, जानें जून में कैसा रहेगा अन्य राज्यों में लॉकडाउन
दिल्ली में अनलॉक की प्रक्रिया के पहले हफ्ते में फैक्ट्री और निर्माण गातिविधियों को ही इजाजत दी गई है.
India Coronavirus Lockdown: देश में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से आ रही गिरावट को देखते हुए कुछ राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन में ढील देने का ऐलान किया है.
- NEWS18HINDI
- LAST UPDATED: MAY 31, 2021, 4:00 PM
नई दिल्ली. देश में प्रतिदिन आने वाले कोरोना वायरस के मामले मई माह की शुरुआत से ही लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन दूसरी लहर में बीमारी की वजह से होने वाली मौतों के आंकड़ों में गिरावट की रफ्तार फिलहाल काफी धीमी है. ऐसे हालात में, कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन जैसी सख्ती को फिर से लागू किया था, जबकि दूसरे प्रदेश पाबंदी लगाने को लेकर असमंजस की स्थिति में थे, लेकिन अब आगामी जून माह में दिल्ली सहित कुछ राज्य पाबंदियों में छूट देने जैसी योजना बना रहे हैं.
दिल्ली में थोड़ी राहत, लेकिन लॉकडाउन सात जून तक बढ़ा
नई दिल्ली में बीते 29 मई को कोरोना वायरस के नए मामलों की संख्या 1000 से भी कम थी. साप्ताहिक औसत के लिहाज से बीते 20 अप्रैल को राष्ट्रीय राजधानी में 28000 से ज्यादा कोरोना केस सामने आए थे. कोरोना मामलों में आई कमी को देखते हुए दिल्ली की आप सरकार ने 31 मई से पाबंदियों में कुछ छूट देने का ऐलान किया है. हालांकि, सामान्य लॉकडाउन बढ़ाकर 7 जून तक कर दिया गया है. इस दौरान काम के घंटे, लगातार जांच और कोविड उपयुक्त व्यवहार की निगरानी से विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा सात जून तक बढ़ाए गए लॉकडाउन के दौरान विनिर्माण इकाइयों और निर्माण स्थलों पर काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों को आवाजाही के लिए ई-पास ले जाने की आवश्यकता होगी. सात जून तक मेट्रो सेवाएं, सार्वजनिक स्थानों पर शादी समारोह, थोक और खुदरा बाजार पर पहले की तरह ही पाबंदियां लागू रहेंगी.
उत्तर प्रदेश में एक जून से सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में ढीलउत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड संक्रमण के चलते राज्य में लागू कोरोना कर्फ्यू में सुबह सात बजे से शाम बजे तक की ढील दी है और अब शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी रहेगी. हालांकि, रविवार तक 600 से अधिक सक्रिय मामले वाले 20 जिलों को यह सुविधा नहीं मिलेगी. निषेध क्षेत्र के बाहर एक जून से सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक गतिविधियां संचालित होंगी. रात्रिकालीन कर्फ्यू शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक लागू रहेगा और इसके साथ ही शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी/ कोरोना कर्फ्यू लागू होगा. इस दौरान कोविड नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. प्रदेश में कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर बाकी इलाकों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक दुकान और बाजार खोलने की अनुमति सप्ताह में पांच दिन रहेगी, जबकि शनिवार व रविवार को पूरे दिन बंदी रहेगी.
कोरोना के अभियान से जुड़े फ्रंट लाइन सरकारी विभागों में पूर्ण उपस्थिति रहेगी, लेकिन शेष सरकारी कार्यालय अधिकतम 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ खुलेंगे एवं जो 50 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहेंगे उनको चक्रानुक्रम पद्धति से बुलाया जाएगा. निजी कंपनियों में 'घर से काम' की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने को कहा गया है. औद्योगिक संस्थान खुले रहेंगे. आदेश के मुताबिक सब्जी मंडियां खुली रहेंगी, लेकिन घनी आबादी वाली सब्जी मंडियों को प्रशासन खुले स्थानों पर खुलवाएगा. रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट एवं रोडवेज बसों में कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियमों के पालन के साथ ही स्क्रीनिंग व एंटीजन जांच भी की जाएगी.
स्कूल, कॉलेज तथा शिक्षण संस्थान शिक्षण कार्य हेतु बंद रहेंगे और माध्यमिक व उच्च शिक्षण संस्थानों, कोचिंग कक्षाओं में ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति विभागीय आदेशों के अनुरूप होगी. शिक्षकों एवं कर्मचारियों को प्रशासनिक कार्यों के लिए विद्यालय आने जाने की अनुमति रहेगी. आदेश के मुताबिक निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों के धार्मिक स्थलों के अंदर एक बार में एक स्थान पर पांच से अधिक श्रद्धालुओं को मौजूद रहने की मनाही है.
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों को प्रदेश के अंदर चलाने की निर्धारित सीट क्षमता पर संचालन करने की अनुमति दी गई है. कोचिंग संस्थान, सिनेमा, जिम, स्वीमिंग पूल, क्लब, शापिंग माल्स पूरी तरह बंद रहेंगे. बंद अथवा खुले स्थानों पर एक समय में अधिकतम 25 आमंत्रित अतिथियों को मास्क की अनिवार्यता और दो गज की दूरी के साथ आने की अनुमति रहेगी. शव यात्रा में अधिकतम 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई है.
महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए बढ़ा लॉकडाउन
कोरोना वायरस महामारी के कारण महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को 15 दिन के लिए बढ़ा दिया गया है, लेकिन एक जून को नए दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने 28 मई को यह जानकारी दी. अप्रैल के मध्य से लागू प्रतिबंधों की अवधि को विस्तार देने के लिए राज्य सरकार की कैबिनेट ने बृहस्पतिवार (27 मई) को हुई बैठक में निर्णय लिया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन क्षेत्रों में ढील नहीं दी जाएगी जहां मरीजों की संख्या और संक्रमण की दर अब भी ज्यादा है और अस्पताल में बिस्तर मिलने की समस्या है. मंत्री ने कहा, 'लेकिन उन क्षेत्रों में जहां स्थिति में सुधार हुआ है, (पाबंदियों में ढील देने के बाबत) कुछ दिशा निर्देश जारी किए जा सकते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या गैर आवश्यक वस्तुएं बेचने वाली दुकानों को खोलने की अनुमति है, उन्होंने कहा कि ऐसे सभी निर्णय एक जून को लिए जाएंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि एक जून के बाद प्रतिबंध जारी रहेंगे और बाद में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जाएगी.
हरियाणा ने सात जून तक बढ़ाया लॉकडाउन, कुछ प्रतिबंधों में ढील
हरियाणा में कोविड-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन को एक हफ्ते के लिए यानी सात जून तक बढ़ा दिया गया है. राज्य सरकार ने रविवार को यह घोषणा की जिसमें दुकान खोलने के वक्त और मॉल पर लगाई गई पाबंदियों में ढील देने की जानकारी भी दी गई. राज्य सरकार ने लॉकडाउन को 'महामारी अलर्ट/सुरक्षित हरियाणा' करार दिया है. मुख्यमंत्री मनोहल लाल खट्टर ने कहा कि जिन दुकानों को पूर्व में सम-विषम आधार पर सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई थी वे अब सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक खुल सकेंगी.
खट्टर ने कहा, 'हमें बाजार संगठनों से प्रतिवेदन मिले हैं कि जिसके बाद हमने समय बदलने का फैसला किया है. हालांकि, दुकानें अब भी सम-विषम व्यवस्था के आधार पर ही खुलेंगी.' उन्होंने कहा कि मॉलों को कुछ खास शर्तों के साथ सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक खोलने की अनुमति होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी मॉल के भीतर कितने लोगों को प्रवेश मिलेगा, यह मॉल के आकार पर निर्भर करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और स्कूल 15 जून तक बंद रहेंगे जैसा कि पहले भी घोषणा की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि राज्य में दैनिक 'कोरोना कर्फ्यू' का समय रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक पहले की ही तरह रहेगा.
तेलंगाना में नौ जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
तेलंगाना मंत्रिमंडल ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को रविवार को और 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया. हालांकि लोगों को हर दिन सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक रियायत मिलेगी. मौजूदा लॉकडाउन की मियाद आज खत्म हो रही थी. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के दफ्तर से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, मंत्रिमंडल ने राज्य में लागू लॉकडाउन को कल (31 मई) से अगले 10 दिनों तक जारी रखने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल ने लॉकडाउन को विस्तार देने समेत कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हैदराबाद में बैठक की थी.
कर्नाटक में लॉकडाउन की मियाद सात जून तक
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू लॉकडाउन की मियाद 24 मई से बढ़ाकर सात जून तक करने की घोषणा शुक्रवार (21 मई) को की थी. राज्य में 10 मई से ही सख्त पांबदी लागू है और यह मियाद 24 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन नए आदेश के बाद यह रोक अब सात जून की सुबह तक लागू रहेगी. मुख्यमंत्री ने कहा, 'विशेषज्ञों के सुझाव पर गौर करते हुए हमने सख्त पाबंदियों को 24 मई से बढ़ाकर सात जून तक करने का फैसला किया है.' येदियुरप्पा ने कहा, 'जन स्वास्थ्य एवं विशेषज्ञों के सुझाव के मद्देनजर पाबंदी की मियाद बढ़ाई गई है और हमें उम्मीद है कि जनता सहयोग करेगी.' मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम लोगों से अपील करते हैं कि वे कोविड-19 अनुकूल व्यवहार करें, सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनें, सफाई का ध्यान रखें और समाजिक दूरी बनाए रखें.'
केरल में लॉकडाउन नौ जून तक बढ़ाया गया
केरल सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये शनिवार (29 मई) को राज्यव्यापी लॉकडाउन एक सप्ताह यानी नौ जून तक बढ़ाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने तिरुवनंतपुरम में संवाददाता सम्मेलन में लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया. राज्य में कोरोना वायरस के मामलों में भारी वृद्धि के बाद आठ मई से लॉकडाउन लागू है. मुख्यमंत्री ने मालप्पुरम जिले में 'ट्रिपल लॉकडाउन' हटाने की भी घोषणा की, जहां मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. हालांकि, मालपप्पुरम समेत राज्य के अन्य जिलों में सामान्य लॉकडाउन जारी रहेगा. इससे पहले, सरकार ने हालात की समीक्षा करने के बाद पहले 16 मई और फिर 23 मई को राज्यव्यापी लॉकडाउन बढ़ा दिया था.
तमिलानाडु में सात जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के चक्र को तोड़ने में मदद के लिए लागू किए गए राज्यव्यापी लॉकडाउन को एक सप्ताह यानी सात जून तक बढ़ा दिया गया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 28 मई को चेन्नई में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वायरस की रोकथाम के लिये यह फैसला लिया गया है. मुख्यमंत्री ने लोगों से सरकार के साथ सहयोग करने और घरों में रहने की अपील की. स्टालिन ने एक बयान में कहा कि अगले महीने से राशन दुकानों के जरिये राशन कार्डधारियों को किराने की 13 वस्तुओं के पैकेट वितरित किये जाएंगे. तमिलनाडु में 10 मई को कुछ छूटों के साथ दो सप्ताह का लॉकडाउन लागू किया गया था. बाद में इसे 31 मई तक बढ़ा दिया गया था.
मध्य प्रदेश में एक जून से 'अनलॉक', लेकिन वीकेंड में जारी रहेगा लॉकडाउन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार (29 मई) को कहा कि राज्य में 'कोरोना कर्फ्यू' के प्रतिबंधों में एक जून से चरणबद्ध तरीके से छूट के बावजूद सप्ताहांत के दौरान पूरे प्रदेश में लॉकडाउन लागू रहेगा. प्रदेश में पांच प्रतिशत से अधिक और इससे कम संक्रमण दर वाले जिलों के लिये ‘अनलॉक’ के अलग-अलग दिशा निर्देश होंगे. कोरोना वायरस के कारण लगे प्रतिबंधों में ढील देने के बावजूद प्रदेश में सप्ताहांत में शनिवार रात दस बजे से सोमवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा. प्रदेश में फिलहाल सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, खेलकूद, मेले और मनोरंजन गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी.
इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, थिएटर, ऑडिटोरियम और पिकनिक स्थल बंद रहेंगे. मुरैना जिले में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण ‘कोरोना कर्फ्यू’ जारी रहेगा. विवाह में प्रत्येक पक्ष के दस यानि कुल 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति होगी तथा मेहमानों की सूची स्थानीय प्रशासन को अग्रिम तौर पर पेश करना अनिवार्य होगा. अंतिम संस्कार में अधिकतम दस लोग शामिल हो सकते हैं तथा धार्मिक स्थलों पर चार से अधिक लोगों को पूजा या प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.
सरकारी कार्यालय में 50 प्रतिशत कर्मचारी तथा सभी अधिकारियों की उपस्थिति में कामकाज हो सकेगा. किसी भी स्थान पर छह से अधिक लोगों के जमा होने की अनुमति नहीं होगी. 'अनलॉक' चरण के दौरान औद्योगिक गतिविधियों, अस्पतालों, नर्सिग होम, पेट्रोल पंप, फार्मा, राशन दुकान, और कृषि गतिविधियों आदि को संचालित करने की अनुमति होगी. दो सवारियों तथा कोविड-19 के अनुकूल व्यवहार के दिशा निर्देशों के पालन के साथ टैक्सी संचालन की भी अनुमति होगी.
नगालैंड में 11 जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
नगालैंड सरकार ने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर राज्य में पूर्ण लॉकडाउन 11 जून तक बढ़ा दिया है. इससे पहले, 14 मई को सात दिन के लिये लागू किये गए लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया था. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में हुई कोविड-19 संबंधी उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया. मंत्री नीबा क्रोनू ने यह जानकारी दी.
अरुणाचल प्रदेश के सात जिलों में सात जून तक लॉकडाउन
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए सात जिलों में सात जून तक लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय लिया. ईटानगर राजधानी क्षेत्र, तवांग, लोअर सुबनसिरी, नामसाई, अपर सुबनसिरी, लोहित और अंजॉ जिलों में 31 मई को लॉकडाउन समाप्त होने वाला था. कोरोना वायरस की स्थिति और राज्य की तैयारियों पर मुख्यमंत्री पेमा खांडू की अध्यक्षता में 28 मई को हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
झारखंड में कोरोना लॉकडाउन तीन जून तक बढ़ाया गया
झारखंड में कोविड-19 के मामलों में भले ही कमी आ रही हो, लेकिन सरकार ने संक्रमण पर नियंत्रण के लक्ष्य से पहले से जारी ‘स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह’ (कोरोना लॉकडाउन) को बढ़ाकर तीन जून सुबह छह बजे तक करने का फैसला लिया है. झारखंड सरकार के प्रवक्ता ने मंगलवार (25 मई) को बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में पूरी पाबंदियों के साथ लॉकडाउन को एक सप्ताह के लिए बढ़ाकर तीन जून की सुबह छह बजे तक लागू रखने का निर्णय लिया गया. इसमें राज्य सरकार का सचिवालय दोपहर दो बजे तक खुला रखने का निर्णय लिया गया. इस दौरान संयुक्त सचिव से ऊपर स्तर के सभी पदाधिकारियों को अनिवार्य रूप से सचिवालय आना होगा, वहीं मात्र 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ सचिवालय के विभिन्न विभाग कार्य करेंगे. इसके अतिरिक्त राज्य में ई-पास की अनिवार्यता जारी रहेगी, लेकिन सरकारी कर्मियों, मीडियाकर्मियों तथा बड़ी कंपनियों अथवा फैक्ट्रियों में काम करने वालों का ड्यूटी पास ही ई-पास माना जाएगा. इन्हें ई-पास की अनिवार्यता से छूट दी गई है.
बिहार में लॉकडाउन की अवधि एक जून तक
बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की अवधि 24 मई को एक जून तक बढ़ा दी. बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन समूह की चार मई को हुई बैठक में प्रदेश में पांच मई से 15 मई तक लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया था जिसकी अवधि का विस्तार बाद में 13 मई को 25 मई तक कर दिया गया था.
- NEWS18HINDI
- LAST UPDATED: MAY 31, 2021, 4:00 PM
नई दिल्ली. देश में प्रतिदिन आने वाले कोरोना वायरस के मामले मई माह की शुरुआत से ही लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन दूसरी लहर में बीमारी की वजह से होने वाली मौतों के आंकड़ों में गिरावट की रफ्तार फिलहाल काफी धीमी है. ऐसे हालात में, कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन जैसी सख्ती को फिर से लागू किया था, जबकि दूसरे प्रदेश पाबंदी लगाने को लेकर असमंजस की स्थिति में थे, लेकिन अब आगामी जून माह में दिल्ली सहित कुछ राज्य पाबंदियों में छूट देने जैसी योजना बना रहे हैं.
दिल्ली में थोड़ी राहत, लेकिन लॉकडाउन सात जून तक बढ़ा
नई दिल्ली में बीते 29 मई को कोरोना वायरस के नए मामलों की संख्या 1000 से भी कम थी. साप्ताहिक औसत के लिहाज से बीते 20 अप्रैल को राष्ट्रीय राजधानी में 28000 से ज्यादा कोरोना केस सामने आए थे. कोरोना मामलों में आई कमी को देखते हुए दिल्ली की आप सरकार ने 31 मई से पाबंदियों में कुछ छूट देने का ऐलान किया है. हालांकि, सामान्य लॉकडाउन बढ़ाकर 7 जून तक कर दिया गया है. इस दौरान काम के घंटे, लगातार जांच और कोविड उपयुक्त व्यवहार की निगरानी से विनिर्माण और निर्माण गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा सात जून तक बढ़ाए गए लॉकडाउन के दौरान विनिर्माण इकाइयों और निर्माण स्थलों पर काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों को आवाजाही के लिए ई-पास ले जाने की आवश्यकता होगी. सात जून तक मेट्रो सेवाएं, सार्वजनिक स्थानों पर शादी समारोह, थोक और खुदरा बाजार पर पहले की तरह ही पाबंदियां लागू रहेंगी.
उत्तर प्रदेश में एक जून से सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में ढीलउत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड संक्रमण के चलते राज्य में लागू कोरोना कर्फ्यू में सुबह सात बजे से शाम बजे तक की ढील दी है और अब शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी रहेगी. हालांकि, रविवार तक 600 से अधिक सक्रिय मामले वाले 20 जिलों को यह सुविधा नहीं मिलेगी. निषेध क्षेत्र के बाहर एक जून से सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक गतिविधियां संचालित होंगी. रात्रिकालीन कर्फ्यू शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक लागू रहेगा और इसके साथ ही शनिवार व रविवार को साप्ताहिक बंदी/ कोरोना कर्फ्यू लागू होगा. इस दौरान कोविड नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा. प्रदेश में कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर बाकी इलाकों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक दुकान और बाजार खोलने की अनुमति सप्ताह में पांच दिन रहेगी, जबकि शनिवार व रविवार को पूरे दिन बंदी रहेगी.
कोरोना के अभियान से जुड़े फ्रंट लाइन सरकारी विभागों में पूर्ण उपस्थिति रहेगी, लेकिन शेष सरकारी कार्यालय अधिकतम 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ खुलेंगे एवं जो 50 प्रतिशत कर्मचारी उपस्थित रहेंगे उनको चक्रानुक्रम पद्धति से बुलाया जाएगा. निजी कंपनियों में 'घर से काम' की व्यवस्था को प्रोत्साहित करने को कहा गया है. औद्योगिक संस्थान खुले रहेंगे. आदेश के मुताबिक सब्जी मंडियां खुली रहेंगी, लेकिन घनी आबादी वाली सब्जी मंडियों को प्रशासन खुले स्थानों पर खुलवाएगा. रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट एवं रोडवेज बसों में कोविड प्रोटोकॉल के सभी नियमों के पालन के साथ ही स्क्रीनिंग व एंटीजन जांच भी की जाएगी.
स्कूल, कॉलेज तथा शिक्षण संस्थान शिक्षण कार्य हेतु बंद रहेंगे और माध्यमिक व उच्च शिक्षण संस्थानों, कोचिंग कक्षाओं में ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति विभागीय आदेशों के अनुरूप होगी. शिक्षकों एवं कर्मचारियों को प्रशासनिक कार्यों के लिए विद्यालय आने जाने की अनुमति रहेगी. आदेश के मुताबिक निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर शेष सभी क्षेत्रों के धार्मिक स्थलों के अंदर एक बार में एक स्थान पर पांच से अधिक श्रद्धालुओं को मौजूद रहने की मनाही है.
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों को प्रदेश के अंदर चलाने की निर्धारित सीट क्षमता पर संचालन करने की अनुमति दी गई है. कोचिंग संस्थान, सिनेमा, जिम, स्वीमिंग पूल, क्लब, शापिंग माल्स पूरी तरह बंद रहेंगे. बंद अथवा खुले स्थानों पर एक समय में अधिकतम 25 आमंत्रित अतिथियों को मास्क की अनिवार्यता और दो गज की दूरी के साथ आने की अनुमति रहेगी. शव यात्रा में अधिकतम 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी गई है.
महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए बढ़ा लॉकडाउन
कोरोना वायरस महामारी के कारण महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों को 15 दिन के लिए बढ़ा दिया गया है, लेकिन एक जून को नए दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने 28 मई को यह जानकारी दी. अप्रैल के मध्य से लागू प्रतिबंधों की अवधि को विस्तार देने के लिए राज्य सरकार की कैबिनेट ने बृहस्पतिवार (27 मई) को हुई बैठक में निर्णय लिया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उन क्षेत्रों में ढील नहीं दी जाएगी जहां मरीजों की संख्या और संक्रमण की दर अब भी ज्यादा है और अस्पताल में बिस्तर मिलने की समस्या है. मंत्री ने कहा, 'लेकिन उन क्षेत्रों में जहां स्थिति में सुधार हुआ है, (पाबंदियों में ढील देने के बाबत) कुछ दिशा निर्देश जारी किए जा सकते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या गैर आवश्यक वस्तुएं बेचने वाली दुकानों को खोलने की अनुमति है, उन्होंने कहा कि ऐसे सभी निर्णय एक जून को लिए जाएंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि एक जून के बाद प्रतिबंध जारी रहेंगे और बाद में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जाएगी.
हरियाणा ने सात जून तक बढ़ाया लॉकडाउन, कुछ प्रतिबंधों में ढील
हरियाणा में कोविड-19 की रोकथाम के लिए लॉकडाउन को एक हफ्ते के लिए यानी सात जून तक बढ़ा दिया गया है. राज्य सरकार ने रविवार को यह घोषणा की जिसमें दुकान खोलने के वक्त और मॉल पर लगाई गई पाबंदियों में ढील देने की जानकारी भी दी गई. राज्य सरकार ने लॉकडाउन को 'महामारी अलर्ट/सुरक्षित हरियाणा' करार दिया है. मुख्यमंत्री मनोहल लाल खट्टर ने कहा कि जिन दुकानों को पूर्व में सम-विषम आधार पर सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई थी वे अब सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक खुल सकेंगी.
खट्टर ने कहा, 'हमें बाजार संगठनों से प्रतिवेदन मिले हैं कि जिसके बाद हमने समय बदलने का फैसला किया है. हालांकि, दुकानें अब भी सम-विषम व्यवस्था के आधार पर ही खुलेंगी.' उन्होंने कहा कि मॉलों को कुछ खास शर्तों के साथ सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक खोलने की अनुमति होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी मॉल के भीतर कितने लोगों को प्रवेश मिलेगा, यह मॉल के आकार पर निर्भर करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और स्कूल 15 जून तक बंद रहेंगे जैसा कि पहले भी घोषणा की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि राज्य में दैनिक 'कोरोना कर्फ्यू' का समय रात 10 बजे से सुबह पांच बजे तक पहले की ही तरह रहेगा.
तेलंगाना में नौ जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
तेलंगाना मंत्रिमंडल ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन को रविवार को और 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया. हालांकि लोगों को हर दिन सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक रियायत मिलेगी. मौजूदा लॉकडाउन की मियाद आज खत्म हो रही थी. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव के दफ्तर से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, मंत्रिमंडल ने राज्य में लागू लॉकडाउन को कल (31 मई) से अगले 10 दिनों तक जारी रखने का फैसला किया है. मंत्रिमंडल ने लॉकडाउन को विस्तार देने समेत कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हैदराबाद में बैठक की थी.
कर्नाटक में लॉकडाउन की मियाद सात जून तक
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू लॉकडाउन की मियाद 24 मई से बढ़ाकर सात जून तक करने की घोषणा शुक्रवार (21 मई) को की थी. राज्य में 10 मई से ही सख्त पांबदी लागू है और यह मियाद 24 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन नए आदेश के बाद यह रोक अब सात जून की सुबह तक लागू रहेगी. मुख्यमंत्री ने कहा, 'विशेषज्ञों के सुझाव पर गौर करते हुए हमने सख्त पाबंदियों को 24 मई से बढ़ाकर सात जून तक करने का फैसला किया है.' येदियुरप्पा ने कहा, 'जन स्वास्थ्य एवं विशेषज्ञों के सुझाव के मद्देनजर पाबंदी की मियाद बढ़ाई गई है और हमें उम्मीद है कि जनता सहयोग करेगी.' मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम लोगों से अपील करते हैं कि वे कोविड-19 अनुकूल व्यवहार करें, सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनें, सफाई का ध्यान रखें और समाजिक दूरी बनाए रखें.'
केरल में लॉकडाउन नौ जून तक बढ़ाया गया
केरल सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये शनिवार (29 मई) को राज्यव्यापी लॉकडाउन एक सप्ताह यानी नौ जून तक बढ़ाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने तिरुवनंतपुरम में संवाददाता सम्मेलन में लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया. राज्य में कोरोना वायरस के मामलों में भारी वृद्धि के बाद आठ मई से लॉकडाउन लागू है. मुख्यमंत्री ने मालप्पुरम जिले में 'ट्रिपल लॉकडाउन' हटाने की भी घोषणा की, जहां मामलों की संख्या काफी ज्यादा है. हालांकि, मालपप्पुरम समेत राज्य के अन्य जिलों में सामान्य लॉकडाउन जारी रहेगा. इससे पहले, सरकार ने हालात की समीक्षा करने के बाद पहले 16 मई और फिर 23 मई को राज्यव्यापी लॉकडाउन बढ़ा दिया था.
तमिलानाडु में सात जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
तमिलनाडु में कोरोना वायरस संक्रमण के चक्र को तोड़ने में मदद के लिए लागू किए गए राज्यव्यापी लॉकडाउन को एक सप्ताह यानी सात जून तक बढ़ा दिया गया है. मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने 28 मई को चेन्नई में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वायरस की रोकथाम के लिये यह फैसला लिया गया है. मुख्यमंत्री ने लोगों से सरकार के साथ सहयोग करने और घरों में रहने की अपील की. स्टालिन ने एक बयान में कहा कि अगले महीने से राशन दुकानों के जरिये राशन कार्डधारियों को किराने की 13 वस्तुओं के पैकेट वितरित किये जाएंगे. तमिलनाडु में 10 मई को कुछ छूटों के साथ दो सप्ताह का लॉकडाउन लागू किया गया था. बाद में इसे 31 मई तक बढ़ा दिया गया था.
मध्य प्रदेश में एक जून से 'अनलॉक', लेकिन वीकेंड में जारी रहेगा लॉकडाउन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार (29 मई) को कहा कि राज्य में 'कोरोना कर्फ्यू' के प्रतिबंधों में एक जून से चरणबद्ध तरीके से छूट के बावजूद सप्ताहांत के दौरान पूरे प्रदेश में लॉकडाउन लागू रहेगा. प्रदेश में पांच प्रतिशत से अधिक और इससे कम संक्रमण दर वाले जिलों के लिये ‘अनलॉक’ के अलग-अलग दिशा निर्देश होंगे. कोरोना वायरस के कारण लगे प्रतिबंधों में ढील देने के बावजूद प्रदेश में सप्ताहांत में शनिवार रात दस बजे से सोमवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू जारी रहेगा. प्रदेश में फिलहाल सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, खेलकूद, मेले और मनोरंजन गतिविधियों की अनुमति नहीं होगी.
इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, थिएटर, ऑडिटोरियम और पिकनिक स्थल बंद रहेंगे. मुरैना जिले में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण ‘कोरोना कर्फ्यू’ जारी रहेगा. विवाह में प्रत्येक पक्ष के दस यानि कुल 20 लोगों को शामिल होने की अनुमति होगी तथा मेहमानों की सूची स्थानीय प्रशासन को अग्रिम तौर पर पेश करना अनिवार्य होगा. अंतिम संस्कार में अधिकतम दस लोग शामिल हो सकते हैं तथा धार्मिक स्थलों पर चार से अधिक लोगों को पूजा या प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.
सरकारी कार्यालय में 50 प्रतिशत कर्मचारी तथा सभी अधिकारियों की उपस्थिति में कामकाज हो सकेगा. किसी भी स्थान पर छह से अधिक लोगों के जमा होने की अनुमति नहीं होगी. 'अनलॉक' चरण के दौरान औद्योगिक गतिविधियों, अस्पतालों, नर्सिग होम, पेट्रोल पंप, फार्मा, राशन दुकान, और कृषि गतिविधियों आदि को संचालित करने की अनुमति होगी. दो सवारियों तथा कोविड-19 के अनुकूल व्यवहार के दिशा निर्देशों के पालन के साथ टैक्सी संचालन की भी अनुमति होगी.
नगालैंड में 11 जून तक बढ़ाया गया लॉकडाउन
नगालैंड सरकार ने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर राज्य में पूर्ण लॉकडाउन 11 जून तक बढ़ा दिया है. इससे पहले, 14 मई को सात दिन के लिये लागू किये गए लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया था. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में हुई कोविड-19 संबंधी उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया. मंत्री नीबा क्रोनू ने यह जानकारी दी.
अरुणाचल प्रदेश के सात जिलों में सात जून तक लॉकडाउन
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए सात जिलों में सात जून तक लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय लिया. ईटानगर राजधानी क्षेत्र, तवांग, लोअर सुबनसिरी, नामसाई, अपर सुबनसिरी, लोहित और अंजॉ जिलों में 31 मई को लॉकडाउन समाप्त होने वाला था. कोरोना वायरस की स्थिति और राज्य की तैयारियों पर मुख्यमंत्री पेमा खांडू की अध्यक्षता में 28 मई को हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
झारखंड में कोरोना लॉकडाउन तीन जून तक बढ़ाया गया
झारखंड में कोविड-19 के मामलों में भले ही कमी आ रही हो, लेकिन सरकार ने संक्रमण पर नियंत्रण के लक्ष्य से पहले से जारी ‘स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह’ (कोरोना लॉकडाउन) को बढ़ाकर तीन जून सुबह छह बजे तक करने का फैसला लिया है. झारखंड सरकार के प्रवक्ता ने मंगलवार (25 मई) को बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में पूरी पाबंदियों के साथ लॉकडाउन को एक सप्ताह के लिए बढ़ाकर तीन जून की सुबह छह बजे तक लागू रखने का निर्णय लिया गया. इसमें राज्य सरकार का सचिवालय दोपहर दो बजे तक खुला रखने का निर्णय लिया गया. इस दौरान संयुक्त सचिव से ऊपर स्तर के सभी पदाधिकारियों को अनिवार्य रूप से सचिवालय आना होगा, वहीं मात्र 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ सचिवालय के विभिन्न विभाग कार्य करेंगे. इसके अतिरिक्त राज्य में ई-पास की अनिवार्यता जारी रहेगी, लेकिन सरकारी कर्मियों, मीडियाकर्मियों तथा बड़ी कंपनियों अथवा फैक्ट्रियों में काम करने वालों का ड्यूटी पास ही ई-पास माना जाएगा. इन्हें ई-पास की अनिवार्यता से छूट दी गई है.
बिहार में लॉकडाउन की अवधि एक जून तक
बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन की अवधि 24 मई को एक जून तक बढ़ा दी. बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन समूह की चार मई को हुई बैठक में प्रदेश में पांच मई से 15 मई तक लॉकडाउन लागू करने का निर्णय लिया गया था जिसकी अवधि का विस्तार बाद में 13 मई को 25 मई तक कर दिया गया था.
रूस में दुनिया की पहली एनिमल वैक्सीन रजिस्टर, जानिए कितनी खास है ये खबर
खास तौर से जानवरों को COVID-19 के खतरे से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई वैक्सीन के ट्रायल (Vaccine Trials) कुत्तों, बिल्लियों और ऊदबिलावों (Corona Danger to Minks) पर किए गए, जिसके बाद कोई साइड इफेक्ट न होने का दावा किया गया.
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ वैक्सीनेशन कार्यक्रम (Vaccination Drive) शुरू हो चुका है और अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन दिए जाने की खबरें आ चुकी हैं. इस बीच, ताज़ा खबर यह है कि दुनिया की ऐसी पहली वैक्सीन रूस में रजिस्टर की गई है, जो जानवरों को कोरोना वायरस (First Animal Corona Vaccine of the World) से बचाने के लिए लगाई जाने वाली है. हालांकि अभी इस वैक्सीन से जुड़े कई पहलुओं पर शोध और विश्लेषण (Research & Analysis) का काम जारी है, लेकिन रूस ने इसे लेकर पहल कर दी है. (जानवरों के कोरोना टेस्ट किए जाने संबंधी प्रतीकात्मक तस्वीर)
रूस के कृषि सुरक्षा मामलों के लिए वॉचडॉग का काम करने वाली प्रमुख संस्था के हवाले से विदेशी मीडिया में खबरें हैं कि पहली एनिमल वैक्सीन के डोज़ के छह महीने बाद तक असर रहता है. लेकिन, डोज़ डेवलपर अभी इस बारे में और रिसर्च कर रहे हैं. रूस में रजिस्टर की गई इस वैक्सीन के बारे में रोचक बातें जानिए. (प्रतीकात्मक तस्वीर Pixabay से साभार)
कबसे होगा उत्पादन? इस एनिमल वैक्सीन के कुछ डोज़ तो रजिस्टर हो चुके हैं, लेकिन इसका मास प्रोडक्शन अगले महीने से शुरू होने की बात कही गई है. यह भी गौरतलब बात है कि रूसी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस वैक्सीन के इस्तेमाल से वायरस के म्यूटेशन होने से भी बचाव संभव होगा.
क्या है यह वैक्सीन? रूस में पशु चिकित्सा सेवा की फेडरल संस्था ने जानवरों के लिए जो वैक्सीन डेवलप की है, उसका नाम कार्निवैक यानी Carnivac-Cov है. कुत्तों, बिल्लियों, लोमड़ियों जैसे जानवरों पर अक्टूबर 2020 से इस वैक्सीन के ट्रायल हो चुके हैं. इन ट्रायलों के बाद यह दावा किया गया कि दुनिया की यह पहली और अब तक इकलौती वैक्सीन है, जो जानवरों को कोविड-19 के खतरे से बचाने में कारगर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
ट्रायलों का नतीजा? खबरों में रूस की वेटनरी संस्था के हवाले से कहा गया कि ट्रायलों के नतीजों के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि इस वैक्सीन से कोई नुकसान नहीं होता और साथ ही जानवरों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हो जाती है. यही नहीं, दावे के मुताबिक ऐसा 100 फीसदी मामलों में देखा गया. मनुष्यों के लिए रूस में फिलहाल तीन वैक्सीनें दी जा रही हैं, जिनमें से एक स्पूतनिक है और बाकी दो एपिवैककोरोना और कोविवैक हैं. वहीं, आंकड़ों के मुताबिक रूस में रोज़ाना नए केसों का औसत 8000 से ज़्यादा का बना हुआ है. (रूस में मिंक्स के कोरोना के शिकार होने की खबरें रही थीं. चित्र में रूसी मिंक्स)
क्या रूस बेचेगा यह वैक्सीन? दुनिया भर से इस तरह की रिपोर्ट्स थीं कि पालतू जानवर कोरोना के शिकार हुए. इसके बाद ही खास तौर से घरेलू या पाले जाने वाले जानवरों के लिए वैक्सीन डेवलपमेंट शुरू हुआ था. रिपोर्ट्स कह रही हैं कि ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड, कनाडा, अमेरिका और सिंगापुर की कंपनियों ने रूस से संपर्क किया है और इस वैक्सीन को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.
यूरोप में 900 साल बाद फूटा आइसलैंड का ज्वालामुखी, आसमान तक में छाई लाली
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ वैक्सीनेशन कार्यक्रम (Vaccination Drive) शुरू हो चुका है और अब तक करोड़ों लोगों को वैक्सीन दिए जाने की खबरें आ चुकी हैं. इस बीच, ताज़ा खबर यह है कि दुनिया की ऐसी पहली वैक्सीन रूस में रजिस्टर की गई है, जो जानवरों को कोरोना वायरस (First Animal Corona Vaccine of the World) से बचाने के लिए लगाई जाने वाली है. हालांकि अभी इस वैक्सीन से जुड़े कई पहलुओं पर शोध और विश्लेषण (Research & Analysis) का काम जारी है, लेकिन रूस ने इसे लेकर पहल कर दी है. (जानवरों के कोरोना टेस्ट किए जाने संबंधी प्रतीकात्मक तस्वीर)
रूस के कृषि सुरक्षा मामलों के लिए वॉचडॉग का काम करने वाली प्रमुख संस्था के हवाले से विदेशी मीडिया में खबरें हैं कि पहली एनिमल वैक्सीन के डोज़ के छह महीने बाद तक असर रहता है. लेकिन, डोज़ डेवलपर अभी इस बारे में और रिसर्च कर रहे हैं. रूस में रजिस्टर की गई इस वैक्सीन के बारे में रोचक बातें जानिए. (प्रतीकात्मक तस्वीर Pixabay से साभार)
कबसे होगा उत्पादन? इस एनिमल वैक्सीन के कुछ डोज़ तो रजिस्टर हो चुके हैं, लेकिन इसका मास प्रोडक्शन अगले महीने से शुरू होने की बात कही गई है. यह भी गौरतलब बात है कि रूसी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस वैक्सीन के इस्तेमाल से वायरस के म्यूटेशन होने से भी बचाव संभव होगा.
क्या है यह वैक्सीन? रूस में पशु चिकित्सा सेवा की फेडरल संस्था ने जानवरों के लिए जो वैक्सीन डेवलप की है, उसका नाम कार्निवैक यानी Carnivac-Cov है. कुत्तों, बिल्लियों, लोमड़ियों जैसे जानवरों पर अक्टूबर 2020 से इस वैक्सीन के ट्रायल हो चुके हैं. इन ट्रायलों के बाद यह दावा किया गया कि दुनिया की यह पहली और अब तक इकलौती वैक्सीन है, जो जानवरों को कोविड-19 के खतरे से बचाने में कारगर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
ट्रायलों का नतीजा? खबरों में रूस की वेटनरी संस्था के हवाले से कहा गया कि ट्रायलों के नतीजों के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि इस वैक्सीन से कोई नुकसान नहीं होता और साथ ही जानवरों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हो जाती है. यही नहीं, दावे के मुताबिक ऐसा 100 फीसदी मामलों में देखा गया. मनुष्यों के लिए रूस में फिलहाल तीन वैक्सीनें दी जा रही हैं, जिनमें से एक स्पूतनिक है और बाकी दो एपिवैककोरोना और कोविवैक हैं. वहीं, आंकड़ों के मुताबिक रूस में रोज़ाना नए केसों का औसत 8000 से ज़्यादा का बना हुआ है. (रूस में मिंक्स के कोरोना के शिकार होने की खबरें रही थीं. चित्र में रूसी मिंक्स)
क्या रूस बेचेगा यह वैक्सीन? दुनिया भर से इस तरह की रिपोर्ट्स थीं कि पालतू जानवर कोरोना के शिकार हुए. इसके बाद ही खास तौर से घरेलू या पाले जाने वाले जानवरों के लिए वैक्सीन डेवलपमेंट शुरू हुआ था. रिपोर्ट्स कह रही हैं कि ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, पोलैंड, कनाडा, अमेरिका और सिंगापुर की कंपनियों ने रूस से संपर्क किया है और इस वैक्सीन को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.
Iceland Volcano Eruption: यह ज्वालामुखी 900 सालों से सुसुप्त था. चश्मदीदों ने बताया कि जब विस्फोट हुआ तो उससे धुंआ या गुबार नहीं निकला. बल्कि सीधे लावा ही बाहर आया.
आइसलैंड की राजधानी रेकजाविक से महज़ 40 किलोमीटर (25 मील) की दूरी पर शुक्रवार को ज्वालामुखी फट गया. जिससे आसमान में काफी ऊंचाई तक लपटें जाती दिखी. (AFP)
मिली जानकारी के अनुसार ज्वालामुखी में विस्फोट से भारी तबाही मची है. रात 9.45 बजे हुए विस्फोट के बाद आस पास के इलाकों को पहले ही खाली करा लिया गया था.इस बात की आशंका पहले सी ही जाहिर की जा रही थी कि यह ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है. (afp)
विस्फोट के बाद स्थानीय लोगों ने कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं जिसमें इसकी तबाही को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. स्थानीय प्रशासन और पुलिसकर्मियों ने लोगों को यहां से दूर रहने को कहा (afp)
समाचार लिखे जाने तक इस विस्फोट से जान माल के नुकसान की सूचना नहीं थी. बताया गया कि सुरक्षाकर्मी राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं. (afp)
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह ज्वालामुखी 900 सालों से सुसुप्त था. अब इसमें विस्फोट हुआ. चश्मदीदों ने बताया कि जब विस्फोट हुआ तो उससे धुंआ या गुबार नहीं निकला. बल्कि सीधे लावा ही बाहर आया. (afp)
आइसलैंड की राजधानी रेकजाविक से महज़ 40 किलोमीटर (25 मील) की दूरी पर शुक्रवार को ज्वालामुखी फट गया. जिससे आसमान में काफी ऊंचाई तक लपटें जाती दिखी. (AFP)
मिली जानकारी के अनुसार ज्वालामुखी में विस्फोट से भारी तबाही मची है. रात 9.45 बजे हुए विस्फोट के बाद आस पास के इलाकों को पहले ही खाली करा लिया गया था.इस बात की आशंका पहले सी ही जाहिर की जा रही थी कि यह ज्वालामुखी कभी भी फट सकता है. (afp)
विस्फोट के बाद स्थानीय लोगों ने कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं जिसमें इसकी तबाही को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. स्थानीय प्रशासन और पुलिसकर्मियों ने लोगों को यहां से दूर रहने को कहा (afp)
समाचार लिखे जाने तक इस विस्फोट से जान माल के नुकसान की सूचना नहीं थी. बताया गया कि सुरक्षाकर्मी राहत और बचाव कार्य में लगे हुए हैं. (afp)
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह ज्वालामुखी 900 सालों से सुसुप्त था. अब इसमें विस्फोट हुआ. चश्मदीदों ने बताया कि जब विस्फोट हुआ तो उससे धुंआ या गुबार नहीं निकला. बल्कि सीधे लावा ही बाहर आया. (afp)