{ALL RAJASTHAN NEWS}

                              {29-05-2021} 

                                                 

Rajasthan Politics 

राजस्थान: MP रंजीता कोली पर हमले से भड़की बीजेपी, गहलोत सरकार को दी चेतावनी


 दीपक पुरी

भरतपुर. बीजेपी सांसद रंजीता कोली (BJP MP Ranjita Koli) पर गुरुवार रात को अज्ञात बदमाशों ने हमला (Attack) कर दिया. इसमें सांसद बाल-बाल बच गईं. बदमाशों ने सांसद की गाड़ी पर हमला पत्थरों और सरियों से किया था. घटना के दौरान सांसद की गाड़ी में उनके निजी सचिव और एक सुरक्षाकर्मी सवार थे. घटना से सांसद सदमे में हैं. वारदात के बाद से बीजेपी कार्यकर्ताओं में खासा अक्रोश फैला हुआ है. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है, लेकिन फिलहाल उनका कोई सुराग नहीं लग पाया है. हमला क्यों किया गया इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है.

जानकारी के अनुसार, वारदात गुरुवार देर रात करीब 12 बजे की बताई जा रही है. उस समय सांसद रंजीता कोली भरतपुर जिला मुख्यालय पर स्थित आरबीएम अस्पताल का निरीक्षण करके वापस अपने घर वैर लौट रही थीं. इसी दौरान धरसोनी गांव के करीब आधा दर्जन से अधिक अज्ञात बदमाश स्कॉर्पियो गाड़ी में सवार होकर आए. उन्होंने सांसद रंजीता कोली की चलती गाड़ी पर सरिए और पत्थरों से हमला कर दिया. हालात देखकर निजी सचिव ने सूझबूझ का परिचय देते हुए गाड़ी को समीप ही स्थित धरसोनी गांव के अंदर घुसा दिया. इससे सांसद बाल-बाल बच गईं.

सूचना के आधे घंटे बाद पहुंची पुलिसग्रामीण के इकट्ठा हो गये तो बदमाश भाग गए. सांसद के निजी सचिव ने बताया कि घटना के तत्काल बाद पुलिस को फोन किया गया, लेकिन वह करीब आधा घंटे बाद मौके पर पहुंची. बाद में सांसद को तुरंत आरबीएम अस्पताल ले जाया गया. वहां भरतपुर शहर पुलिस उपाधीक्षक समेत अन्य अधिकारी और पुलिस जाब्ता पहुंचा. अधिकारियों ने सांसद का हालचाल जाना. बाद में घटनाक्रम की पूरी जानकारी लेकर इलाके में चारों तरफ नाकाबंदी कराई गई, लेकिन अभी तक बदमाशों का कोई सुराग नहीं लग पाया है. सांसद फिलहाल अभी भरतपुर सर्किट हाउस में ठहरी हैं.



राजस्थान: बच्चों पर दिए गए गहलोत के बयान पर गरमाई राजनीति, हमलावर हुई बीजेपी, पूनिया ने जड़े CM पर ये आरोप

पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री 'मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी' कहकर सिर्फ गांववालों पर ही जिम्मेदारी डालकर पल्ला नहीं झाड़ सकते.

पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री 'मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी' कहकर सिर्फ गांववालों पर ही जिम्मेदारी डालकर पल्ला नहीं झाड़ सकते.

Politics heated over Gehlot's statement on children: कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सीएम गहलोत की ओर से दिये गये बयान के बाद राजस्थान में सियासत गरमा गई है. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश ने सीएम के बयान को उनका गैर जिम्मेदारा रवैया बताया है.

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जयपुर. सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की ओर से कोरोना की तीसरे लहर के मद्देनजर बच्चों को लेकर दिये गये बयान पर प्रदेश में सियासत गरमा गई है. इस मसले को लेकर बीजेपी (BJP) गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish punia) ने इसे लेकर कहा है कि सीएम गहलोत यह बयान देकर गैर जिम्मेदार होने का प्रमाण दे रहे हैं. वे प्रदेश में पैनिक (Panic) भी क्रिएट कर रहे हैं.

पूनिया ने कहा कि गहलोत के बयानों से लगता है कि वे कोरोना प्रबंधन एवं शासन करने की इच्छाशक्ति खो चुके हैं. पूनिया ने ट्वीट करके कहा कि ''हम बच्चों को बचा नहीं पाएंगे'' यह कहकर मुख्यमंत्री ना केवल अपने गैर जिम्मेदार होने का प्रमाण दे रहे हैं, बल्कि प्रदेश में एक पैनिक क्रिएट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभर के डॉक्टर्स बच्चों में संक्रमण के घातक ना होने के संकेत दे रहे हैं और राजस्थान की जनता तो अपेक्षा करती है कि तीसरी लहर आये ही नहीं और यदि आ भी जाए तो मुख्यमंत्री बतायें कि आपकी प्रदेशवासियों को बचाने की क्या तैयारी है ?

यह बयान कांग्रेस के टूलकिट के संदर्भ की ओर इशारा कर रहा है

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पूनिया ने गहलोत पर निशाना साधते हुये कहा कि एक भरोसेमंद सेनापति की तरह आप प्रदेशवासियों को भरोसा दिलाते कि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाएगा तो इससे लोगों का मनोबल बढ़ता. मुख्यमंत्री का यह बयान कांग्रेस के टूलकिट के संदर्भ की ओर इशारा कर रहा है.सीएम आकंड़े छिपाने के लिये केन्द्र सरकार पर झूठे आरोप लगाते हैं

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत मजबूती से कोरोना से लड़ाई लड़ रहा है. जल्द ही कोरोना को परास्त करेंगे. मोदी सरकार सभी राज्यों को लगातार मदद कर रही है. बावजूद मुख्यमंत्री गहलोत अपनी विफलतायें, मौतों और मरीजों के आकंड़े छिपाने के लिये केन्द्र सरकार पर झूठे आरोप लगाते हैं. प्रदेश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं.

सिर्फ गांववालों पर ही जिम्मेदारी डालकर पल्ला नहीं झाड़ सकते

पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री 'मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी' कहकर सिर्फ गांववालों पर ही जिम्मेदारी डालकर पल्ला नहीं झाड़ सकते. क्या स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिये मुखिया के नाते उनकी 'मेरा राज्य-मेरी जिम्मेदारी' नहीं है ? क्या राज्य के सीएचसी और पीएचसी की व्यवस्थाओं को चिकित्सा संसाधनों के साथ मजबूत करना, गांवों में टेस्टिंग व दवाइयां पहुंचाना, चिरंजीवी योजना को निजी अस्पतालों में धरातल पर लागू करना ये सब मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी नहीं है ?


यह कहा था सीएम अशोक गहलोत ने


उल्लेखनीय है कि हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने 25 मई को ट्वीट करके कहा था कि ''130 करोड़ आबादी वाले हमारे देश में शीघ्र ही सभी के लिए वैक्सीन का इंतजाम नहीं हुआ और कोरोना की तीसरी लहर ने बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया तो ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से जो स्थिति दूसरी लहर में बनी उससे कई गुना बदतर हालात तीसरी लहर में बनेंगे और हम बच्चों को बचा नहीं पायेंगे.''


जयपुर. कोरोना संक्रमण के मुद्दे पर बीजेपी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर निशाना साधा है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) ने कहा कि वो आए दिन केंद्र सरकार पर तथ्यहीन और झूठे आरोप लगा रहे हैं, और बच्चों में कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण फैलने की आशंका भरे बयान देकर भय का माहौल बना रहे हैं. पूनिया ने बुधवार को ट्वीट किया, 'हम बच्चों को बचा नहीं पाएंगे' यह कहकर मुख्यमंत्री न केवल अपने गैर-जिम्मेदार होने का प्रमाण दे रहे हैं, बल्कि राज्य में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं.'

पूनिया ने कहा कि देश भर के डॉक्टर, बच्चों में संक्रमण के घातक न होने की बात कह रहे हैं और राजस्थान की जनता अपेक्षा करती है कि तीसरी लहर आए ही नहीं. लेकिन यदि आ भी जाए तो मुख्यमंत्री बताएं कि उन्होंने क्या तैयारी है? प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यदि भरोसेमंद सेनापति की तरह मुख्यमंत्री लोगों को भरोसा दिलाते कि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाएगा तो इससे लोगों का मनोबल बढ़ता, लेकिन अपने बयानों से लगता है कि वो कोरोना प्रबंधन और शासन करने की इच्छाशक्ति खो चुके हैं.


कोटा. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के हर राजकीय चिकित्सालय को ऑक्सीजन मामले में आत्मनिर्भर बनाने का ऐलान किया था. इसके बाद कोटा के 7 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का कार्यादेश जारी कर दिया गया है. ये सभी प्लांट एक साल के रखरखाव और दो साल की वारंटी के साथ लगाए जाएंगे. अगले साल यानी अगस्त 2021 तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा.

कोटा के सभी राजकीय चिकित्सालयों में स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के निर्देशों पर 7 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का कार्यादेश जारी किया गया है. नगर विकास न्यास कोटा इसका खर्च वहन करेगा. मंत्री ने बताया कि नगर विकास न्यास कोटा दूसरे चरण में 7 ऑक्सीजन प्लांट लगाएगा. प्लांट लगाने की संपूर्ण प्रक्रिया के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने प्रदेश के राजकीय चिकित्सालयों में अलग-अलग क्षमता के प्लांट लगाने के लिए निर्धारित तकनीकी मापदण्ड एवं तकनीक का निर्धारण किया है. यह सभी ऑक्सीजन प्लांट एक वर्ष  के संचालन व रखरखाव, दो साल की वारंटी के साथ स्थापित किए जाएंगे.

इस अस्पतालों में लगेंगे प्लांट

कोटा के जिन 7 राजकीय चिकित्सालयों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, उनमें सेन्ट्रल लाइन के जरिये बेड तक ऑक्सीजन की सप्लाई की जा सकेगी. यह प्लांट मुख्य रूप से कोटा न्यू मेडिकल कॉलेज में 1040 सिलेण्डर या 520 बेड क्षमता का, एमबीएस हॉस्पिटल में 800 सिलेण्डर या 400 बेड क्षमता का, जेके लॉन हॉस्पिटल कोटा में 200 सिलेण्डर या 100 बेड क्षमता का, रामपुरा सेटेलाईट हॉस्पिटल में 100 सिलेण्डर या 50 बेड क्षमता का, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र विज्ञान नगर, दादावाड़ी, कुन्हाड़ी में 300 सिलेण्डर या 150 बेड क्षमता का तथा सामुदायिक केन्द्र ईटावा, कैथून, सांगोद में 300 सिलेण्डर या 150 बेड क्षमता का एवं राजकीय चिकित्सालय रामगंजमण्डी में 100 सिलेण्डर या 50 बेड क्षमता का लगाया जाएगा. कोटा के 7 राजकीय अस्पतालों में 1,414 हॉस्पिटल बेड पर प्रतिदिन पाइप या 2840 सिलेंडर के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाई जा सकेगी. इससे कोटा शहर ऑक्सीजन के मामलें में आत्मनिर्भर हो सकेगा.


 

{entertainment news}
                                                             
   
मुंबई. टीवी के मशहूर फैमिली कॉमेडी शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah)'चश्मा में गोकुलधाम वासियों के साथ आए दिन जबरस्त ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल जाते हैं, वहीं ऐसे ही एक चौंका देने वाले ट्विस्ट की वजह से ये शो जबरदस्त सुर्खियों में बना हुआ है. शो में पोपटलाल (Popatlal) को बस यही चिंता सताई जा रही है कि कैसे वह अपने मिशन 'काला कौआ' को सफल करे. डॉ. हाथी के पकड़े जाने के बाद भी वह हार नहीं मानते और तुरंत गोकुलधाम सोसाइटी (Gokuldham Society) से जेठालाल (Jethalal) को प्लान में शामिल होने के लिए बुलाते है.

जेठालाल (Jethalal) के साथ चंपकलाल (Champaklal) और बाघा (Bagha) भी प्लान में मदद करने के लिए तैयार हो जाते है. पोपटलाल (Popatlal) को लगता है कि अब की बार उनके यह स्टिंग ऑपरेशन को सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है और वह सब के सामने ब्लैक मार्केटिंग (Black marketing) करने वाले चोरों की असलियत लेकर आएंगे.


Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah: रियल लाइफ में हुआ टप्पू और जेठालाल का पंगा, Dilip Joshi ने उठाया बड़ा कदम



 

नई दिल्ली: 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' (Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah) के किरदार लोगों के जीवन में इतने घुलमिल गए हैं कि लगता है जैसे रियल लाइफ में भी वह एक-दूसरे के साथ वैसे ही होंगे जैसे स्क्रीन पर नजर आते हैं. लेकिन रियल लाइफ में इन कलाकारों के बीच भी अनबन और मनमुटाव हो ही जाता है. लेकिन अब खबर आई है कि  टप्पू यानी राज अनदकत (Raj Anadkat) और जेठालाल यानी दिलीप जोशी (Dilip Joshi) के बीच कुछ ज्यादा ही बड़ा पंगा हो गया है. 

सोशल मीडिया पर किया अनफॉलो

तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta ka Ooltah Chashmah) में पिता और बेटे यानी टप्पू (Tappu) और जेठालाल (Jethalal) के बीच गजब की केमिस्ट्री नजर आती है. दोनों की इस कॉमिक केमिस्ट्री के कारण शो के दर्शक इन्हें साथ देखना पसंद करते हैं. लेकिन अब खबर है कि जेठालाल ऑन स्क्रीन बेटे टप्पू से असल जीवन में काफी नाराज चल रहे हैं. इसी वजह से उन्होंने इंस्टाग्राम पर टप्पू यानी राज अनदकत (Raj Anadkat) को अनफॉलो भी कर दिया है. 

क्यों नाराज हैं दिलीप जोशी

खबरें की मानें तो टप्पू और जेठालाल की ऑन स्क्रीन जोड़ी भले ही जबरदस्त हो लेकिन ऑफ स्क्रीन दोनों के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो सीनियर एक्टर होने के बाद भी दिलीप जोशी हमेशा समय पर सेट पर पहुंचते हैं, वहीं राज कई बार टोके जाने के बाद भी देरी से सेट पर आते हैं. लंबे समय तक यह सिलसिला जारी रहा और दिलीप जोशी को शूटिंग के लिए राज का इंतजार करना पड़ता है. यही वजह है कि दिलीप जोशी नाराज हो गए और राज को इंस्टाग्राम पर भी अनफॉलो कर दिया. 

इसे भी पढ़ें: Taarak Mehta... में लगेगा ग्लैमर का तड़का, नई एंट्री देख भूल जाएंगे Disha Vakani

पहले भी आईं हैं ऐसी खबरें

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब 'तारक मेहता...' के कलाकारों के बीच तनाव की खबरें आई हों. बीते दिनों शो की महिला कलाकारों के बीच आपसी बैर की जानकारी सामने आई थी. इसके बाद खुद सुनैना फौजदार ने सफाई दी थी. इसके अलावा दिलीप जोशी और शैलेश लोढ़ा के बीच विवाद भी चर्चा में रहा. इसके बाद शैलेश ने इस बात को महज अफवाह बताया था और कहा था कि वो दोनों काफ अच्छे दोस्त हैं.

                   {KHEL KHABAR}


डिफेंडिंग चैंपियन अंमित पंघल, शिव थापा एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गए हैं। जबकि 69 किलो में ओलिंपिक कोटा हासिल कर चुके विकास कृष्णन की आंख में चोट लग गई। इस वजह से उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से संतुष्ट होना पड़ा।

कजाखिस्तान के शाकेन बिबोसिनोव को हराया
टोक्यो ओलिंपिक के लिए कोटा हासिल कर चुके पंघल ने सेमीफाइनल में 52 किलो वेट में कजाखिस्तान के फोई शाकेन बिबोसिनोव को 5-0 से हराया। पंघल पहले भी वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में बिबोसिनोव को हरा चुके हैं। इस चैंपियनशिप में बिबोसिनोव ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था, जबकि पंघल ने सिल्वर मेडल जीते। पंघल शुरू से ही बिबोसिनोव पर आक्रमण करते रहे और उन्होंने कोई मौका नहीं दिया।

सोमवार को वर्ल्ड चैंपियन जोइरोव से भिड़ेंगे
पंघल को सोमवार को फाइनल में उज्बेकिस्तान के ओलिंपिक मेडलिस्ट और वर्ल्ड चैंपियन शाखोबिदीन जोइरोव से भिड़ेंगे। पंघल 2019 वर्ल्डचैंपियनशिप के फाइनल में भी जोइरोव से भिड़ चुके हैं। उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

थापा ने डिफेंडिंग चैंपियन को हरा कर फाइनल में एंट्री की
थापा ने 64 किलो वेट में पिछले साल के चैंपियन कजाखिस्तान के बखोदुर उसमोनोव को सेमीफाइनल में 4-0 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल में उनका मुकाबला मंगोलिया के बातरसुख चिनजोरिग से होगा। चिनजोरिग एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं।

थापा का टूर्नामेंट में पांचवां मेडल होगा
शिव थापा का इस टूर्नामेंट में पांचवां मेडल होगा। इससे पहले वह चार बार मेडल जीत चुके हैं। पहली बार उन्होंने 2013 में गोल्ड मेडल जीता था। यह उनका उसके बाद 2015 में ब्रॉन्ज, 2017 में सिल्वर और 2019 में ब्रॉन्ज मेडल जीते थे।

विकास कृष्णन को आंख में लगी चोट
विकास कृष्णन को सेमीफाइनल में उज्बेकिस्तान के पिछले साल के विजेता बुटरोव बोबो- उस्मोन के साथ भिड़ंत के दौरान आंख में चोट लग गई। जिसकी वजह से पहला राउंड पूरा होने से पहले ही उन्हें टूर्नामेंट से हटना पड़ा।

पहली बार इस टूर्नामेंट उतरे वीरेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता
पहली बार इस टूर्नामेंट में खेलने के लिए उतरे 60 किलो वेट के नेशनल चैंपियन वीरेंद्र सिंह को सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें ईरान के दनियाल शाहबख्श ने 3-2 से हराया।

चार महिला बॉक्सर में फाइनल में जगह बना चुकी हैं
पंघल और थापा से पहले गुरुवार को चार महिला बॉक्सर भी सेमीफाइनल में जीतकर फाइनल में प्रवेश कर चुकी हैं। 51 किलो वेट में 6 बार की ओलिंपिक चैंपियन मैरीकॉम, 75 किलो वेट में पूजा रानी, 81 किलो से ऊपर वेट कैटगिरी में अनुपमा और 64 किलो वेट में लालबुत्साईही अपने- अपने मुकाबले जीतकर फाइनल में प्रवेश कर चुकी हैं।

            

                         {MAGZINES}



  • * जंगलों में भटकना, स्वयं के आलिंगन में समा जाने जैसा है। विशेषतः जब कोई संताप मुझे मथता है तो आत्मा को विश्रान्ति, वृक्षों के मौन और वन के मूक शोर में प्राप्त होती है।
  • * कभी-कभी ऐसे ही जंगलों में जीवन-धुन मिल जाती है।

(यूं तो महीने में तीन-चार बार जंगलों की तरफ़ जाना हो जाता है। किंतु पिछले कुछ दिनों से रोज़ जाने लगी हूं। एक व्यक्तिगत क्षति ने मन को विह्वल कर रखा है। मनुष्यों की बस्ती में लोग प्रश्न बहुत करते हैं। क्या हुआ? कैसे हुआ? यह कोई जाने की उम्र तो नहीं थी। लेकिन जंगल, ईश्वर की गोद है। वहां न कोई प्रश्न करता और न ही अपनी राय रखता। बस सुनता है। अंतर की पीड़ा को, दुविधा को, चीत्कार को, प्रश्नों को और भय को! जंगल वह श्रोता है, जिसके लिए कभी शब्द आवश्यक नहीं।

क्षणभंगुर जीवन में शिल्पी मनुष्य कितना कुछ रच लेता है, और फिर एक दिन हवा में सुगंध की तरह घुल जाता है। अलोप। जब सुगंध ही बन जाना है, तो फिर फूल बनकर खिलना ही क्यों? कली बनकर मुरझा जाना ही ठीक क्यों नहीं! जब अलोप ही हो जाना है, तो फिर जीवन का क्या औचित्य! सांस भर लेना जीना तो नहीं। अपने आस-पास मूल्यवान भौतिक वस्तुओं को जमा कर लेना तो सफलता नहीं। यदि होती तो हर धनवान सुखी भी होता। निर्धन कभी हंसता ही नहीं। फिर भी लोग धन-संपदा जोड़ने में व्यस्त हैं।

किंतु मात्र अपने लिए जीना, जीवन का ध्येय कैसे हो सकता है? जंगल में अपने इन्ही विचारों की झंझा में उलझी, मैं घंटों फिरती रहती। संभव है स्वयं एक ठूंठ बन जाती, अगर एक दिन मेरे मन के इन सभी विचारों के चक्रव्यूह को तोड़कर, वो मेरे सामने न आती।

चैत्र माह की इस दोपहर में, तेज़ हवाओं के बीच, मैं भटक रही थी। सदा की तरह हाथ में चिड़ियों के दाने वाली पोटली थी। मैंने च च च च की आवाज़ निकाली। मेरी एक आवाज़ पर आ जाने वाले भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षी आस-पास जमा हो गए। अभी उन्हें दाने डालकर पलटी ही थी कि मैंने देखा एक तितली मेरे चारों तरफ़ घूम रही है। उसके भूरे पंखों पर काली रेखाएं थीं, जिन पर छोटे-छोटे सफ़ेद और हरे रंग के बिंदु थे। एक पल को मुझे ऐसा लगा, जैसे जंगल तितली का रूप लेकर मुझसे मिलने आया हो। लेकिन अगले ही पल मैंने इसे अपने मन का वहम समझ भूला दिया। किंतु जो आगे हुआ, वह कल्पनातीत था।

वह तितली मेरे समीप आई और मेरे कंधे पर बैठ गई। अभी मैं कुछ समझ पाती, उससे पहले ही हरे पंख की असंख्य तितलियों का एक समूह मेरे समीप से गुज़र गया। उनमें से कुछ तितलियां मेरे निकट आकर ठहर गईं। मेरे कंधे पर बैठी भूरी के पंख हिले। वो कंधे से ऊपर उठी और मेरे गालों का स्पर्श कर जंगल में ओझल हो गई। उसके पीछे-पीछे हरे पंखों वाली तितलियां भी चली गईं। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मेरे पीठ पर पंख उग आए हो और मैं भूमि से थोड़ा ऊपर उठ गई। जो हुआ, वह अप्रत्याशित किंतु सत्य था। हालांकि मेरे मन को मेरे मस्तिष्क ने अपनी विचार शक्ति से बहलाने का हरसंभव प्रयास किया, किंतु शून्य में सांई को देख लेने वाला मेरा मन भ्रमित ही रहा। सही समझा आपने। अगले दिन पुनः मैं जंगल गई। मुझे तो जाना ही था। उस दिन मेरी टेर की उत्कंठा को जंगल ने भी सुना। पक्षियों ने भी सुना। और उसने भी सुना, जिसे संबोधित कर वह टेर मैंने लगाई थी। भूरी अपनी हरी संगिनियों के साथ आई।

फिर तो यह मेरी दिनचर्या में जुड़ गया। मेरे मन में तब एक बात ही रहती कि भूरी मेरी राह देखती जागती बैठी है। तेज़ वर्षा भी मुझे नहीं रोक पाती। भीगे कपड़े पहने ही पवन-गति से उड़ चलती। कुछ लोगों ने मुझे जंगलों में अपने एकांत के साथ बातें करतें, गीले वस्त्रों में भटकते भी देखा। लेकिन कोई मात्र बातों के और कुछ नहीं कर सका। मेरा और भूरी का यह प्रेम इतना मौन, इतना रहस्यमयी था कि उसे समझ पाना उनके लिए संभव ही नहीं। मैं कल्पनालोक के इस एकांत को चिरस्थायी समझ बैठी। किंतु सदा के लिए तो कुछ भी नहीं होता। मृत्यु भी नहीं। मृत्यु के बाद जहां एक तरफ मृतक की अज्ञात तथा अविदित यात्रा आरंभ होती है, वहीं दूसरी तरफ उनकी यात्रा आरंभ होती है, जो इस लोक में शेष रह गए होते हैं।

उस दिन आवाज़ लगाते-लगाते मेरी श्वास ज़ोर-ज़ोर से चलने लगी। भूरी विलंब से आई। कह नहीं सकती कैसे, पर वो मुझे सुस्त लगी। धीरे से आकर मेरे कंधे पर बैठ गई। मैंने देखा पीछे-पीछे उसकी वो हरियाली फ़ौज भी आई। किंतु घोर आश्चर्य! उनमें से एक भी उसकी प्रतीक्षा में नहीं रुकी।

भूरी ने उठने का क्षीण प्रयास भी नहीं किया। मोह के सभी आबंध टूट गए हों जैसे। फिर कौन-सा नेहबंध उसे मेरे पास से जाने नहीं दे रहा था! इसका उत्तर तब भी मेरे पास नहीं था। और आज भी नहीं है। इस पहेली को हल करने के लिए पढ़ने वाले स्वतंत्र हैं। मैंने उसका स्पर्श किया। उसके पंखों में हल्की हरकत हुई। किंतु वह उड़ी नहीं। वह होश में नहीं थी। मैंने बेहोशी में पड़ी अपनी भूरी को पुकारा, च च च च च च च... और पुकारती चली गई। क्षण भर को भी नहीं रुकी। तभी ऐसा लगा जैसे उसने मुझे देखा हो। मेरा मन उसके पंखों पर बैठा और मेरे नेत्र बरसने लगे। ठीक उसी समय सुदूर से आती एक स्नेहसिक्त टेर को हम दोनों ने साथ ही सुना- एका जेते होबे! एका जेते होबे! एका जेते होबे!

मैंने उसके कोमल शरीर को पास ही बहते झरने में डाल दिया और घर की तरफ़ चल पड़ी। एक यात्रा का अंत, अनेक यात्राओं का आरंभ होता है। जीवन का प्रयोजन स्वार्थ नहीं परमार्थ है। यदि किसी एक भी प्राणी के जीवन में भूरी बन पाओ, तब जन्म लेना सार्थक हुआ। एका जेते होबे, लेकिन जाने से पहले, किसी के आनंद का कारण बनकर जाओ। किसी आहत मन को स्वस्थ कर के जाओ।

कृतिकार के इस संसार में प्राणी अंत को अकेला ही प्राप्त करता है। वह संगी-साथी, घर-परिवार, मोह-माया इत्यादि का तो त्याग करता ही है। किंतु अपने इस मैं के साथ के संबंध का भी अंत कर वह एक एकाकी यात्रा आरंभ करता है। इसके पूर्व वह अकेला होकर भी, अकेला नहीं होता। और इसके बाद उसका मैं भी समाप्त हो जाता है।

आप क्या मानते हैं? यह सब कहानी है। कोरी बक़वास? किंतु इतना कह दूं, यह मेरे भोगे हुए यथार्थ पर आधारित है।

अपने प्रतिवाद में शरतचंद्र की लिखी दो पंक्तियां प्रस्तुत हैं जो उन्होंने सुप्रसिद्ध कवयित्री राधारानी देवी को लिखी थीं- कभी संभव हुआ तो तुम्हें एक कहानी सुनाऊंगा। सुनने में कथा-कहानी की तरह अवास्तविक लगेगी, लेकिन इससे अधिक वास्तव सत्य मेरे जीवन में और कुछ नहीं है।)

                

                   {BUSINESS NEWS}


1 जून से महंगा होगा घरेलू हवाई सफर:सरकार ने न्यूनतम किराया 13-16% बढ़ाया, 3 घंटे के सफर पर 1100 रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे



  • * घरेलू हवाई सफर के अधिकतम किराए में कोई बदलाव नहीं
  • * इससे पहले फरवरी में 10-30% बढ़ाया गया था प्राइस बैंड


केंद्र सरकार ने घरेलू हवाई यात्रा करने वालों को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने न्यूनतम हवाई किराए यानी किराए के निचले स्तर में 13% से 16% तक की बढ़ोतरी की है। हालांकि, अधिकतम किराया यानी किराए के उपरी स्तर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। नया किराया 1 जून 2021 से लागू होगा।

एयरलाइंस को मिलेगी राहत
कोरोना की पहली लहर के कारण देश में हवाई यात्रा पर रोक लगानी पड़ी थी। इसके बाद सरकार ने मई में हवाई सफर को मंजूरी दी थी। हालांकि, सरकार ने पूरी क्षमता के साथ उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी थी। साथ ही सरकार ने किराए की न्यूनतम और अधिकतम दरों पर लिमिट लगा दी थी। इससे एयरलाइंस पर बोझ पड़ रहा था। कोरोना की दूसरी लहर के साथ हवाई सफर करने वालों की संख्या में भी गिरावट आई है। इससे एयरलाइन कंपनियों पर बोझ और बढ़ गया है। ऐसे में न्यूनतम किराया बढ़ने से एयरलाइंस को मदद मिल सकती है।

40 मिनट की यात्रा पर 300 रुपए ज्यादा खर्च होंगे
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, अब 40 मिनट तक के सफर के लिए कम से कम 2600 रुपए खर्च करने होंगे। अभी तक 40 मिनट के सफर के लिए न्यूनतम किराया 2300 रुपए था। अब यात्रियों को 40 मिनट तक के सफर में 300 रुपए ज्यादा खर्च करने होंगे। इसी प्रकार से अवधि के अनुसार न्यूनतम किराए की दरों में बढ़ोतरी की गई है। सबसे लंबी दूरी 180 से 210 मिनट तक के सफर के लिए न्यूनतम किराए में 1100 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। 180 मिनट से ज्यादा के सफर के लिए यात्रियों को अब कम से कम 7600 के बजाए 8700 रुपए खर्च करने होंगे।

बढ़ोतरी के बाद नया प्राइस बैंड

  • * कैटेगिरी-1: 40 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 2600-7800 रुपए है।
  • * कैटेगिरी-2: 40-60 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 3300-9800 रुपए है।
  • * कैटेगिरी-3: 60 से 90 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 4000-11700 रुपए है।
  • * कैटेगिरी-4: 90-120 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 4700 से 13000 रुपए तक है।
  • * कैटेगिरी-5: 120-150 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 6100 से 16900 रुपए है।
  • * कैटेगिरी-6: 150 से 180 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 7400 से 20400 रुपए है।
  • * कैटेगिरी-7: 180 से 210 मिनट तक की यात्रा के लिए प्राइस बैंड 8700 से 24200 रुपए है।

फरवरी में 10-30% बढ़ाया गया था प्राइस बैंड
इससे पहले सरकार ने फरवरी में हवाई किराए के प्राइस बैंड में 10-30% की बढ़ोतरी की थी। इस बार सरकार ने न्यूनतम प्राइस बैंड में बढ़ोतरी की है। अधिकतम प्राइस बैंड में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह प्राइस इकोनॉमी क्लास के लिए है और इसमें यूजर डेवलपमेंट फीस, पैसेंजर सिक्योरिटी फीस और जीएसटी शामिल नहीं है। वर्तमान में हवाई किराया सात कैटेगिरी में बंटा हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर 30 जून तक प्रतिबंध रहेगा
देश-विदेश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध को जारी रखने का फैसला किया है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के ताजा नोटिफिकेशन के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर अब 30 जून 2021 तक प्रतिबंध जारी रहेगा। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सभी अंतरराष्ट्रीय कार्गो उड़ानों और DGCA की ओर से अनुमति प्राप्त उड़ानों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। यानी कार्गो और अन्य अनुमति प्राप्त उड़ानें पहले की तरह जारी रहेंगी।

लॉकडाउन के बाद डोमेस्टिक ऑपरेशन 25 मई से खुला
कोरोना शुरू होने के बाद शेड्यूल्ड डोमेस्टिक ऑपरेशन 25 मार्च 2020 से रोक दिया गया था। 25 मई से इसे कुछ शर्तों और प्री-कोविड लेवल के मुकाबले एक-तिहाई क्षमता के साथ धीरे-धीरे खोलना शुरू किया गया। हवाई किराए पर न्यूनतम और अधिकतम सीमा लगाई गई थी, ताकि विमानन कंपनियां बहुत ज्यादा किराया न लें और सिर्फ जरूरी कार्यों के लिए ही हवाई यात्रा हो।   

एयर फेयर पर प्रतिबंध जारी:31 मई तक विमानन कंपनियां नहीं बढ़ा सकेंगी किराया, मंत्रालय ने जारी किया आदेश




13 अप्रैल को करीब 5 महीने में पहली बार यात्रियों की संख्या 2 लाख से नीचे पहुंचकर 1 लाख 83 हजार 331 रह गई थी। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में 78 लाख यात्रियों ने यात्रा की, जबकि जनवरी में 77.3 लाख यात्रियों ने यात्रा की थी
  • * कोरोना की वजह से पिछले साल से ही फ्लाइट किराए की सीमा पर प्रतिबंध लगा है
  • * किराए के अलावा फ्लाइट को 80% क्षमता के साथ ही चलाने का भी नियम है


बीकानेर में डेढ़ साल का मासूम आया ब्लैक फंगस की चपेट में, ये अभी तक का सबसे कम उम्र का 

बीकानेर
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के साथ तेजी से बढ़ रहे म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले भी लगातार चिंता में डाल रहे हैं। राजस्थान के बीकानरे जिले में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां डेढ़ साल के बच्चे में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल में भर्ती यह बच्चा एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया से पीड़ित है, जो एक तरह का ब्लड कैंसर है। सात दिन से भर्ती बच्चे के नाक के नीचे कालापन देख डॉक्टरों ने जांच करवाई तो ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। बच्चे को कैंसर वार्ड से ब्लैक फंगस वार्ड में शिफ्ट करने के साथ ही एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन देने के साथ इलाज शुरू कर दिया है।

डॉक्टर एमआरआई रिपोर्ट आने के बाद लेंगे फैसला
मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार इस बच्चे को चूरू जिले के सुजानगढ़ से लाया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी एमआरआई करवाकर ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि फंगस कितनी गहराई तक पैठ कर चुका है। इसके अनुरूप ही सर्जरी की संभावनाओं पर भी विचार किया जाएगा। बता दें कि एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एक तरह का ब्लड कैंसर) से पीड़ित इस बच्चे में ब्लैक फंगस की वजह कैंसर का उपचार करते हुए दी गई स्टेरॉइड मानी जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि स्टेरॉइड कैंसर रोगी के ट्रीटमेंट का पार्ट है। फिलहाल अपनी बच्चे की रिपोर्ट के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा।
छोटे बच्चों को होता है एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया
मिली जानकारी के अनुसार एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया एक तरह का ब्लड कैंसर है, जो छोटे बच्चों में होता है। हालांकि ये रेयर केस में ही गिना जाता है। लेकिन कोरोना महामारी के दौरान डेढ़ साल के बच्चे को हुए ब्लैक फंगस की पुष्टि ने डॉक्टरों भी हैरान किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी तक आए राजस्थान में ब्लैक फंगस के केस में यह संभवत: अभी तक का सबसे कम उम्र के रोगी का केस है।

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